"फ्रैंचाइज बनाना इतना आसान नहीं होता, लेकिन 'दबंग 3' के मामले में ऐसा हुआ कि सब कुछ अपने आप होता रहा। हमारी तो दबंग 4 की कहानी भी तैयार है।" सलमान खान की इस बात को देख लगता है कि वो अपनी फिल्म दबंग 3 को ले कर बहुत आशान्वित और विश्वास से भरे हुए हैं।
वेबदुनिया से बातचीत के दौरान सलमान ने अपनी कई बातें शेयर कीं जिसमें चुलबुल बनने के कहानी से लेकर 'मैंने प्यार किया' और 'बीवी हो तो ऐसी' की बातें भी शामिल हैं।
दबंग और चुलबुल पांडे की भूमिका कैसे बनी थी?
ये बात मैंने कभी नहीं बताई। आप पूछ रही हैं तो पहली बार बता रहा हूं। ये स्क्रिप्ट मेरे सामने अरबाज़ ले कर आया था। उस समय ये बहुत कम बजट में बनने वाली फिल्म थी। लगभग 2 करोड़ में और अरबाज़ के साथ इसमें रणदीप हुड्डा काम करने वाले थे। शायद ये डिज़्नी वाले बनाने वाले थे। उस समय चुलबुल एकदम निगेटिव किरदार था। बहुत ही भ्रष्ट ऑफिसर था। इसमें गाने भी नहीं रखे गए थे। दबंग में जो माँ की मौत की बात दिखाई गई है वो भी फिल्म का हिस्सा नहीं थी। अरबाज़ से ली हुई स्क्रिप्ट मेरे पास लगभग सात-आठ महीने तक रखी रही। मैं उसे बताता रहता कि इस भाग को ना रखे या इस भाग को और भी अच्छे से बनाए। फिर हमने अभिनव कश्यप से कहा कि इस फिल्म का निर्देशन कर दो। आख़िरकार फिल्म में गाने आ गए, मैं आ गया, फिल्म बन गई, रिलीज़ हो गई, हिट भी हो गई। जब दबंग 2 की बात हुई तो अभिनव ने कहा कि आपने मेरे अनुसार फिल्म बनाने नहीं दी तो दबंग 2 का निर्देशन उन्होंने नहीं किया।
आपके लिए हीरोइज़्म क्या है?
मैं जब पहले फिल्म देखता था तो सोचता था कि ये पर्दे पर जो काम कर रहा है वैसा बनना चाहिए। मेरे लिए हर वो शख्स हीरो है जो अच्छे काम या तो खुद करे या उस काम को करवाने में जो बाधाएं आ रहा है उसे हटाता चले। वह मारे या किसी को पीटे तो भी अच्छाई के लिए ही करे। यही हीरोइज़्म है। हीरो वो है जो लड़ता है लेकिन उसके पीछे हमेशा कोई ना कोई इमोशन होता है। जब तक किसी एक्शन के पीछे इमोशन नहीं होता वो हीरोइज़्म नहीं होता।
आपकी फिल्म में खलनायक दिखते हैं जबकि आज की कई फ़िल्मों में विलेन बचा ही नहीं है।
जो ऐसी फ़िल्में बना रहे हैं वो शायद मुंबई में जन्मे और पले बढ़े हैं या फिर बाहर के देशों से पढ़ कर आए है। उन्होंने खलनायक देखे ही नहीं है। मैंने आस पास देखे हैं। साल के पाँच महीने हम इंदौर अपने चाचा के घर पर जा कर समय बिताते थे। उनके फ़ार्म हाउस हैं। आज भी जब भी फुर्सत मिलती है मैं पनवेल चला जाता हूँ। जो छोटे शहर से आए हैं उन्होंने खलनायक देखे हैं। बहुत पहले न्यू एज सिनेमा हुआ करता था। आज वो ही सिनेमा रूप बदल आज का ये वाला सिनेमा बन गया है। शायद ये सब भेजा फ्राई जैसी फिल्म के साथ शुरू हुआ है।
आपकी फिल्म 'मैंने प्यार किया' को 30 साल हो गए हैं। कुछ शेयर करना चाहेंगे?
मुझे लगता ही नहीं कि 30 साल का समय हो गया है। ऐसा लगता है कि परसों फिल्म साइन की थी। फिर कल शूट करके रिलीज़ हुई और आज ये इंटरव्यू दे रहा हूँ। हालाँकि मेरी पहली फिल्म 'बीवी हो तो ऐसी' थी जो रिलीज़ ना हो मैं यही सोचता रहता था।
ऐसा क्यों?
इसलिये क्योंकि मैं अपनी पहली फिल्म 'बीवी हो तो ऐसी' में बहुत बुरा दिखा हूँ।
अब आपको सलमान के इस ख़ुलासे पर हंसी आएगी या आप चौंकेंगे ये बात हम आप पर छोड़ते हैं।