अजय देवगन, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, एमी विर्क, शरद केलकर और प्रणिता सुभाष सहित कई दिग्गज कलाकारों द्वारा अभिनीत फिल्म 'भुज : द प्राइड आफ इंडिया' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। इस फिल्म को टी-सीरीज और अजय देवगन फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है और निर्माता भूषण कुमार, कुमार मंगत पाठक, गिन्नी खानूजा, वजीर सिंह, बन्नी संघवी व अभिषेक दुधैया है।
इस फिल्म के सह निर्माता, लेखक और निर्देशक अभिषेक दुधैया हैं। इससे पहले अभिषेक दुधैया गुजरात के अंजार, रापर, जामनगर इत्यादि से पढ़ाई पूरी करके मुंबई आकर मुकुल एस आनंद की फिल्म 'त्रिमूर्ति', रमन कुमार की फिल्म 'राजा भैया', वाह वाह रामजी, सरहद पार के बतौर सहायक निर्देशक काम किया तथा धारावाहिक तारा, संसार, दीवार, सुहाग, एहसास, अग्निपथ, सिंदूर तेरे नाम का, लाइफ का रीचार्ज इत्यादि का निर्देशन किया। बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म 'भुज : द प्राइड आफ इंडिया' भारत के 1971 के एक सत्य ऐतिहासिक घटना पर आधारित है।
इस फिल्म में अभिनेता अजय देवगन ने स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक का रोल निभाया है, जो उस वक्त भुज एयरबेस के इंचार्ज थे और उन्हें उसका हीरो माना जाता है। जिसके बारे में अजय देवगन कहा, जब विंग कमांडर विजय कार्णिक से पूछा गया कि उन्होंने भुज द प्राइड ऑफ इंडिया को अपनी मंजूरी क्यों दी? विजय कार्णिक ने कहा कि जब निर्देशक अभिषेक दुधैया मेरे पास इस घटना पर एक फिल्म बनाना चाहते हैं, तो उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने अपना शोध किया है और टीम ने माधापर की 50-60 महिलाओं से बात की है और अभिषेक की नानी भी रनवे बनाने वाली बहनों में शामिल थीं, तभी मैंने इस प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी देने का फैसला किया और मैंने यह फिल्म किया।
फिल्म भुज : द प्राइड आफ इंडिया को लेकर निर्देशक अभिषेक दुधैया से बातचीत के प्रमुख अंश..
आपकी पहली ही फिल्म इतने दिग्गज कलाकारों के साथ पूरी हुई और रिलीज़ हुई, आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
बहुत अच्छा लग रहा है। उनके साथ काम करने का मज़ा ही आता है। सभी कलाकारों ने काफी सपोर्ट किया। सबसे ज्यादा सपोर्ट अजय देवगन का रहा, क्योंकि पूरी फिल्म उन्ही को लेकर थी यानि स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक जोकि हमारी फिल्म के स्टार है और वह रोल अजय देवगन ने बखूबी निभाया।
फिल्म का सब्जेक्ट क्या है?
1971 में भारत तथा पाकिस्तान के युद्ध के दौरान गुजरात के भुज एयरबेस के रनवे को पाक सेना ने बमबारी करके तहस नहस कर दिया था। उस वक्त भुज एयरबेस के तत्कालीन प्रभारी आईएएफ स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक और उनकी टीम ने गुजरात के माधापर व उसके आसपास के गांव की 300 महिलाओं की मदद से वायुसेना के एयरबेस का पुनः निर्माण किया था। उसी को इस फिल्म में दिखाया गया है।
इस पर फिल्म बनाने का ख्याल कैसे और क्यों आया?
इस युद्ध में सेना और आम जनता की भागीदारी थी और गांव की 300 औरतों की शौर्य गाथा थी। उसमें से मेरी नानी मां लक्ष्मी परमार भी एक थीं, जिनका भुज एयरबेस के रनवे को बनाने में योगदान था। वे अक्सर बचपन में मेरे सामने जिक्र करती थीं। जिसके कारण मुझे इस पर अब जाकर फिल्म बनाने का ख्याल आया। जिसके लिए वहां की कई दर्जनों औरतों से बातचीत की, फिर विजय कार्णिक से बातचीत की और काफी समय रिसर्च करने के बाद इस पर फिल्म बनाई।
आपकी दूसरी आने वाली फिल्म कौन सी है?
मैं शौर्यचक्र विजेता सरदार बाना सिंह की बायोपिक बनाने जा रहा हूं। जिसपर काम चल रहा है। जल्द ही उसके बारे में आप लोगों को पूरा बताऊंगा।