बधाई हो की सान्या मल्होत्रा से विशेष बातचीत

रूना आशीष
'बधाई हो' फिल्म में एक 51 साल की महिला को अपने तीसरे बच्चे को जन्म देने में किस शर्म से गुजरना पड़ता है, ये कहानी बयां की जा रही है। फिल्म में नीना गुप्ता के बेटे आयुष्मान की गर्लफ्रैंड की भूमिका निभाने वाली सान्या मल्होत्रा से बातचीत की 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष ने।
 
कभी ऐसी स्थिति का सामना आपको करना पड़ गया तो आप क्या करेंगी?
फिल्म में मेरे कैरेक्टर का नाम रेने हैं। मैं रेने से बहुत रिलेट कर सकती हूं, क्योंकि मैं भी उसी की तरह से रिएक्ट करती। मेरे हिसाब से ये उनकी लाइफ है, ये उनका फैसला है कि वे कैसे जिंदगी जिएं। ये तो वही बता सकते हैं। मुझे लगता है कि प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती है। फिर कोई इंसान अपनी पत्नी के साथ बच्चे नहीं पैदा करेगा तो किसके साथ करेगा?
 
आपके सामने कभी ऐसा कुछ आया कि इतनी उम्र में कोई मां बनने वाला है?
ये तो शायद 70-80 के दशक में आम बात हुआ करती थी। पहले तो कोई इस पर रिएक्ट भी नहीं करता था, फिर अब क्यों रिएक्ट कर रहे हैं? मेरे हिसाब से फिल्म के लेखक और स्क्रीन प्ले लिखने वाले ने बहुत मजेदार तरीके से इस बात को लोगों के सामने रखा था।
 
आपके सामने आयुष्मान जैसे एक्टर हैं?
मैं आयुष्मान से पहले ही मिल चुकी थी लेकिन मेरे लिए वो अपारशक्ति के भाई हैं। जाहिर है कि 'दंगल' के बाद मैं उनके ज्यादा करीब हूं। उस फिल्म के बाद भी हम लोगों की आपस में बात होती रहती है। तो जब मुझे मालूम पड़ा कि मैं आयुष्मान के अपोजिट काम करने वाली हूं तो मैंने फटाफट अपारशक्ति को फोन लगाया और कहा कि मैं आयुष्मान भैया की हीरोइन बनने वाली हूं। जरा सोचिए कि मेरे हीरो को मैं भैया कह रही हूं। लेकिन मजा आया उनके साथ काम करके। वो तो ऐसे अलग से क्वर्की विषय पर पहले भी काम कर चुके हैं।
 
'दंगल' के इंटरव्यू के दौरान आपने बताया था कि आप तो बहुत कठोर अनुशासन में रही हैं, अब 'दंगल' के बाद क्या हाल हैं?
मुझे याद है कि मुझे 'दंगल' के बाद 'पटाखा' का शूट शुरू करना था। 'पटाखा' के कैरेक्टर के लिए मुझे लगभग 10 किलो का वजन बढ़ाना था। 'दंगल' के दौरान हमने बहुत अनुशासित जिंदगी देखी थी। कब उठना है, कब कसरत करना है, कितना खाना है और बड़ा नपा-तुला खाना है। लेकिन 'पटाखा' के लिए जैसे ही मुझे खाने की परमिशन मिली, मैंने इतना खाया है। पिज्जा, बर्गर चीज जो भी मिलता था, खा जाती थी। हालांकि फिर वजन उतारने में मेरी हालत फिर खराब हो गई थी।
 
कोई बायोपिक करना चाहेंगी?
मैंने ऐसे तो बायोपिक करने की अभी से नहीं सोची है लेकिन मुझे किताबें पढ़ते रहने का बहुत शौक है। मुझे लगता है कि अमृता प्रीतम की कहानी लोगों के सामने लानी चाहिए कि वे उस समय की महिला होने के बावजूद कितनी बोल्ड थीं।

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