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शाहरुख-काजोल : सफल और बेमिसाल जोड़ी

हमें फॉलो करें शाहरुख-काजोल : सफल और बेमिसाल जोड़ी

समय ताम्रकर

बॉलीवुड में कुछ जोड़ियां ऐसी हुई हैं जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया है। ऐसा लगता है मानो वे एक-दूजे के लिए बने हो। परदे पर उनके बीच रोमांस देख दर्शक खुश हो जाते हैं। राज कपूर और नरगिस ने कई फिल्में साथ की। कामयाबी हासिल की। धर्मेन्द्र-हेमा मालिनी को भी साथ में देख लगता है कि वे 'मेड फॉर इच अदर' हों। दोनों ने भी सफल फिल्मों की लाइन लगा दी। शाहरुख-काजोल का भी यही आलम है। कमाल की जोड़ी लगती है ये। दोनों जब साथ होते हैं तो दर्शक रोमांचित हो जाते हैं। ऐसा लगता है दोनों के साथ सब कुछ अच्छा हो। उनके बीच कोई तीसरा न हो। एक खास बात और है इस जोड़ी की। सौ प्रतिशत सफलता का‍ रिकॉर्ड है दोनों का। यहां तक यदि काजोल ने शाहरुख की फिल्म में मेहमान भूमिका भी निभा ली तो भी फिल्म सफल। अंधविश्वास के मारे फिल्म उद्योग में इसी वजह से करण और आदित्य चोपड़ा ने बजाय अपनी काबिलियत के काजोल के भाग्य पर भरोसा किया और कई बार अपनी फिल्मों में शाहरुख के साथ कुछ सेकंड के लिए काजोल को भी ले लिया। छोटी-मोटी भूमिकाओं सहित काजोल और शाहरुख एक ही फिल्म में 12 बार नजर आए। यहां बात करते हैं उन फिल्मों की जिनमें काजोल और शाहरुख ने लीड रोल निभाएं। इनमें से आप किस फिल्म को दोनों की बेहतरीन फिल्म मानते हैं, ये भी बताएं। 
 
बाजीगर (1993) 
बाजीगर में दोनों की जोड़ी अचानक जम गई। काजोल की पहली फिल्म 'बेखुदी' पिट चुकी थी और उन्होंने जो फिल्म मिली साइन कर ली। 'बाजीगर' को कई स्टार ठुकरा चुके थे। हत्यारे और बदला लेने वाले का रोल कोई नहीं करना चाहता था। शाहरुख ने जोखिम लिया और इस तरह से शाहरुख-काजोल की जोड़ी जमाई गई। फिल्म सुपरहिट रही और दर्शकों ने दोनों को पसंद किया। 

करण अर्जुन (1995) 
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निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन ने शाहरुख-काजोल की केमिस्ट्री को ताड़ लिया। 'करण अर्जुन' के लिए उन्होंने इस जोड़ी को साइन किया। दोनों के कैरेक्टर वाचाल थे। फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई और शाहरुख-काजोल की जोड़ी लोगों के जेहन में बस गई। 

दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995) 
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1995 में ही युवा फिल्मकार आदित्य चोपड़ा ने शाहरुख-काजोल को लेकर रोमांटिक फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' चुपचाप बना डाली। यहां तक की उनके पिता यश चोपड़ा को भी भनक नहीं लगी कि बेटा क्या फिल्म बना रहा है। फिल्म ने सफलता का इतिहास लिख डाला। 20 बरस से मुंबई में चल रही है। शाहरुख और काजोल को राज-सिमरन के नए नाम मिल गए। इस फिल्म के बाद यह जोड़ी दर्शकों के दिल में बस गई। 

कुछ कुछ होता है (1998) 
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आदित्य चोपड़ा के चेले करण जौहर ने अपने गुरु के नक्शे कदम पर चलते हुए इसी जोड़ी को अपनी ‍पहली फिल्म में दोहराया। 'कुछ कुछ होता है' की सफलता में शाहरुख-काजोल का अहम योगदान है। इस फिल्म के सुपरहिट होने से यह बात और पुख्ता हुई कि दर्शक इन दोनों को बहुत पसंद करते हैं और केवल इनके चेहरे पोस्टर पर देख ही टिकट खरीद लेते हैं। 

कभी खुशी कभी गम (2001) 
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इस फिल्म की स्टार कास्ट बहुत तगड़ी थी। शाहरुख-काजोल के रोल गंभीर किस्म के थे, लेकिन फैंस को इससे कोई मतलब नहीं था। वे तो अपनी प्रिय जोड़ी की फिल्म देखने आए थे और उन्होंने फिल्म को सफल बना दिया। 

माय नेम इज़ खान (2010) 
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1999 में काजोल ने अजय देवगन को जीवन साथी बना लिया। 2003 में वे मां बन गईं। फिल्मों से वे दूर हो गईं। दोस्तों के लिए चंद सेकंड के लिए वे फिल्मों में दिखाई देती थीं। लगा कि शाहरुख-काजोल की जोड़ी‍ अब देखने को मिलेगी भी या नहीं। शाहरुख-काजोल के दीवाने करण जौहर ने जिद पकड़ ली और 'माय नेम इज़ खान' के लिए काजोल को राजी कर ही माने। नौ वर्ष बाद लीड रोल में शाहरुख-काजोल को देखने का अवसर मिला और फिल्म का सफल होना तो तय ही था। 

दिलवाले (2015) 
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दिलवाले फिल्म में दोनों ने पांच साल बाद काम किया। फिल्म खास कामयाब नहीं हुई, लेकिन घाटा नहीं हुआ। इस तरह से शत-प्रतिशत का रिकॉर्ड दोनों ने कायम रखा। 
 
रिकॉर्ड के लिए बता दे कि शाहरुख की इन फिल्मों में काजोल कुछ देर के लिए नजर आ चुकी हैं। 
डुप्लिकेट (1998)
कल हो ना हो (2003) 
कभी अलविदा ना कहना (2006) 
ओम शांति ओम (2007)  
रब ने बना दी जोड़ी (2008)   

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