सलमान खान की राधे की Hybrid Release: क्या बनेगी गेम चेंजर?

समय ताम्रकर
गुरुवार, 29 अप्रैल 2021 (17:07 IST)
हाइब्रिड रिलीज। यह शब्द हॉलीवुड से तब आया जब वॉर्नर ब्रदर्स ने दिसम्बर 2020 में अपनी बड़ी फिल्मों को सिनेमाघरों के साथ-साथ एचबीओ मैक्स स्ट्रीमिंग सर्विस पर भी प्रीमियर करने की घोषणा की। इस शब्द के साथ भारतीय फिल्म उद्योग का तब वास्ता हुआ जब सलमान खान ने अपनी आगामी फिल्म ‘राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई’ को इसी तरह से रिलीज करने की बात की और सिनेमा व्यवसाय के क्षेत्र में हलचल मचा दी। हाईब्रिड रिलीज यानी सिनेमाघरों के साथ-साथ कई डिजीटल मीडियम्स पर एक साथ फिल्म को रिलीज करना। मोटे तौर पर देखा जाए तो दर्शकों को उनके हर विकल्प पर फिल्म उपलब्ध कराना। राधे आप सिनेमा के विशाल स्क्रीन के साथ-साथ पांच इंच के मोबाइल स्क्रीन पर भी देख सकते हैं। चॉइस आपकी है। राधे सिनेमाघर, डीटीएच और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध रहेगी। इस ‍मूवी को ज़ी5 पर ज़ी की 'पे पर व्यू' सर्विस ZEEPlex के साथ,  जो भारत के प्रमुख ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ज़ी5 से संबंधित है और सभी प्रमुख डीटीएच ऑपरेटर यानि डिश,  डी2एच,  टाटा स्काई और एयरटेल डिजिटल पर देखा सकेगा। इसके लिए आपको 249 रुपये खर्च करना होंगे।  
 
 
राधे के हाइब्रिड रिलीज के फैसले से बॉलीवुड में हलचल मच गई। यह गेमचेंजर हो सकता है। संभव है ‍कि भविष्य में इसी तरह से कई फिल्में रिलीज हों। यह फैसला सही है या गलत इसका पता कुछ दिनों में चल जाएगा, लेकिन बॉलीवुड का एक वर्ग इससे खुश नहीं है। बॉलीवुड का बिज़नेस मुख्यत: तीन भागों में बंटा है। प्रोड्यूसर यानी फिल्म‍ निर्माता, डिस्ट्रीयब्यूटर यानी वितरक और एक्सीहिबिटर यानी सिनेमाघर मालिक या प्रदर्शक। निर्माताओं को इस फैसले से खास असर नहीं पड़ा है। संभवत: उनके लिए एक नई राह खुल जाए। वितरकों को फिल्म मिलती तो उन्हें मुनाफा होता, नहीं मिली तो कुछ गया भी नहीं। सबसे बुरी मार पड़ी है सिनेमाघर वालों पर। उन्हें ‘राधे’ से कमाई की उम्मीद थी। सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर वालों ने तो सलमान से वादा भी ले लिया था कि वे अपनी फिल्म थिएटर में ही रिलीज करेंगे, लेकिन सलमान भी आखिर कब तक फिल्म को होल्ड पर रखते। एक साल तक उन्होंने ऐसा किया और ब्याज की मार हर दिन सही।


 
ज़ी स्टूडियोज़ ने राधे के सारे अधिकार खरीद लिए हैं। असल में ज़ी के पास ओटीटी प्लेटफॉर्म, खुद के टीवी चैनल और डीटीएच फॉर्मेट भी है। साथ ही ‍फिल्म व्यवसाय में भी उनका दखल है। इस कारण उनके लिए यह मॉडल अपनाना आसान रहा है। ज़ी स्टूडियोज़ के सीबीओ शारिक पटेल का इस बारे में कहना है- “वर्तमान में चल रही महामारी ने हमें कुछ नया करने के लिए मजबूर किया और हमें गर्व है कि हम सबसे पहले इस नई वितरण रणनीति को अपनाने जा रहे हैं। हमने महसूस किया कि हम सलमान के प्रशंसकों के लिए कुछ हटकर करे। हमने सिनेमाघरों के साथ-साथ कई प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने की योजना बनाई है और इसके लिए राधे से बेहतर और कोई फिल्म नहीं हो सकती है। हम 40 से अधिक देशों में फिल्म रिलीज कर रहे हैं जिसमें प्रमुख विदेशी बाजारों में थिएट्रिकल रिलीज भी शामिल है।”


 
जाहिर सी बात है कि ज़ी स्टूडियोज़ अपने इस एक्सपरिमेंट को लेकर खुश है,  लेकिन प्रदर्शन के क्षेत्र में मायूसी है। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर सिंगल स्क्रीन्स और मल्टीप्लेक्सेस, जहां मसाला फिल्में अच्छा व्यवसाय करती हैं उन्हें राधे से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। वे मान कर चल रहे थे कि पिछले 13 महीनों का उन्हें जो नुकसान हुआ है वो राधे पूरा कर देने की क्षमता रखती है। भले ही इस दौर में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बोलबाला है जिसके गुणगान सोशल मीडिया पर होते हैं, लेकिन मसाला फिल्मों का मार्केट इससे कई गुना बड़ा है। 300 या 400 करोड़ का व्यवसाय करने वाली फिल्मों के पीछे इनके दर्शकों का ही हाथ रहता है। यदि हम हिंदी बेल्ट की बात करें तो कुल 950 मल्टीप्लेक्सेस हैं। इनमें से 450 मल्टीप्लेक्स सिर्फ कहने को मल्टीप्लेक्स हैं। इनमें गली बॉय जैसी फिल्में नहीं चलती। ये पूरी तरह मसाला फिल्मों पर आश्रित हैं। हिंदी बेल्ट में 2000 सिंगल स्क्रीन हैं जिसमें से 1900 सिंगल स्क्रीन्स में मसाला फिल्में ही चलती हैं। सिर्फ महानगरों में ‍स्थित 100 सिंगल स्क्रीन्स ऐसे हैं जहां मसाला फिल्मों का व्यवसाय थोड़ा कम रहता है।
 
फिल्म और थिएटर के व्यवसाय से जुड़े एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- ‘राधे को इस तरह से रिलीज करना सिनेमाघरों के ‍लिए बड़ा झटका है। राधे, सूर्यवंशी और 83 ऐसी फिल्में हैं जिनसे हमें घाटा कम करने की उम्मीद थी, जिसमें से एक हमारे हाथ से ‍निकल गई। राधे को सिनेमाघरों में रिलीज करना मन बहलाने वाली बात है। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए बताइए कि क्या 13 मई को सिनेमाघर खोलने की इजाजात ‍मिल जाएगी?’


 
अक्षय राठी, जो नागपुर से फिल्म व्यवसाय का संचालन करते हैं और जिनके कई सिनेमाघर हैं का कहना है- ‘सलमान खान देश के बड़े स्टार हैं। उनकी फिल्में फिल्म व्यवसाय में जान डाल देती हैं। मल्टीप्लेक्स, सिंगल स्क्रीन, महानगर और ग्रामीण क्षेत्रों में भी अच्छा व्यवसाय करती हैं। इस बात का अफसोस है ‍कि ‍राधे शायद ही सिनेमाघरों में ‍दिखाई जा सके क्योंकि सभी सिनेमाघर फिलहाल बंद हैं। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए किसी को दोष देना ‍उचित नहीं होगा कि यह फिल्म और रोकी जा सकती थी क्योंकि जिन्होंने भी पैसा लगाया है वे भी रिटर्न जल्दी से जल्दी चाहते हैं। हम निवेदन कर सकते हैं पर दबाव नहीं डाल सकते हैं। उम्मीद है कि परिस्थिति बेहतर होंगी और जुलाई तक एक बार फिर हम सिनेमाघर में ‍फिल्मों का आनंद ले सकेंगे। यह जो हाइब्रिड रिलीज का एक्सपरिमेंट ‍किया जा रहा है इस पर सभी की निगाह है। इसके परिणाम के आधार पर ही अन्य बड़ी फिल्मों के बारे में फैसले लिए जाएंगे कि उन्हें हाइब्रिड रिलीज की जाए या नहीं। सिनेमा संचालक होने के नाते मैं चाहूंगा कि बड़ी फिल्में इस तरह रिलीज न हो क्योंकि ये बड़ी फिल्में ही सिनेमाघरों में दर्शकों को खींचती हैं।‘


 
हाइब्रिड रिलीज से ‍निश्चित रूप से सिनेमाघरों को नुकसान है, लेकिन कोरोना ने हमें ‘न्यू नॉर्मल’ को भी अपनाना होगा। आखिर फिल्म प्रोड्यूसर की कब तक परिस्थितियों के सामान्य होने की राह देखते रहेंगे? परिस्थिति सामान्य भी हुई तो क्या दर्शक सिनेमाघर जाने का साहस जुटा पाएंगे? सलमान खान फिल्म्स के प्रवक्ता का कहना है- "यह जरूरी है कि हम सभी एक साथ आएं और मौजूदा महामारी की स्थिति के दौरान उद्योग के रूप में सिनेमा के लिए समाधानों के बारे में सोचें। सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और प्रोटोकॉल के अनुसार, हम जितने सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज कर सकते हैं, हम थिएटर मालिकों का समर्थन करेंगे। लेकिन फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए दूसरे विकल्पों के बारे में भी सोचना होगा। हम इस कठिन वक़्त के दौरान दर्शकों को उनके घरों की सुरक्षा से मनोरंजन के विकल्प से वंचित नहीं करना चाहते हैं।”



 
सलमान खान मास के सितारे हैं। उनके फैंस की हम बात करें तो वो ओटीटी पर ‍फिल्म देखने वाले नहीं बल्कि सिनेमाघर में ‍फिल्म देखने के आदी हैं। न तकनीक के बारे में ज्यादा जानते हैं, इसलिए राधे का हाइब्रिड रिलीज में उन तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी ओर मसाला फिल्मों को सोशल मीडिया पर बुरी तरह धोया जाता है। ट्रोलिंग की जाती है। लक्ष्मी और कुली नं. 1में हम यह देख चुके हैं। यही सब कुछ राधे के साथ भी होना तय है। लेकिन लक्ष्मी, कुली नं 1 और राधे थिएटर में रिलीज होती तो यह बेहतर प्रदर्शन करती। लक्ष्मी को जब सैटेलाइट चैनल पर रिलीज किया जो इसे 2.51 करोड़ इम्प्रेशन्स मिले। टॉप 10 फिल्मों की बात की जाए तो प्रेम रतन धन पायो (2.51 करोड़ इम्प्रेशन्स), बजरंगी भाईजान (2.37 करोड़ इम्प्रेशन्स), वॉर (2.20 करोड़ इम्प्रेशन्स), हाउसफुल 4 (2.15 करोड़ इम्प्रेशन्स), धड़क (1.83 करोड़ इम्प्रेशन्स), टोटल धमाल (1.67 करोड़ इम्प्रेशन्स), गोलमाल अगेन (1.63 करोड़ इम्प्रेशन्स), दंगल (1.62 करोड़ इम्प्रेशन्स) और बागी 2 (1.61 करोड़ इम्प्रेशन्स) में से ज्यादातर मसाला फिल्में हैं जिनका सोशल मीडिया पर खूब मजाक बना था। यही हाल राधे का भी हो सकता है। चूंकि राधे सिनेमाघर में करोड़ों का बिज़नेस नहीं करेगी इसलिए इसलिए यह फिल्म बुराई के घेरे में ज्यादा घिर सकती है। कहने का मतलब ये ‍राधे की टारगेट ऑडियंस सिनेमाघर में फिल्म देखने वाली है ना कि ओटीटी पर। साथ ही ये भी अहम सवाल है ‍मातम, बीमारी और उदासी भरे माहौल में क्या दर्शक मनोरंजन के लिए तैयार हैं?  

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