Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

महज 13 साल की उम्र में लता मंगेशकर ने गाया था पहला गाना, 50 हजार से ज्यादा गानों को दी आवाज

हमें फॉलो करें महज 13 साल की उम्र में लता मंगेशकर ने गाया था पहला गाना, 50 हजार से ज्यादा गानों को दी आवाज

WD Entertainment Desk

, मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024 (07:06 IST)
Lata Mangeshkar Death Anniversary: बॉलीवुड में लता मंगेश्कर को ऐसी पार्श्वगायिका के तौर पर याद किया जाता है,जिन्होंने अपनी आवाज के जादू से संगीत प्रेमियों के दिलों पर करीब सात दशक तक राज किया। मध्य प्रदेश के इंदौर में 28 सिंतबर 1929 को जन्मीं लता मंगेशकर (मूल नाम हेमा हरिदकर) के पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच से जुड़े हुए थे। पांच वर्ष की उम्र में लता ने अपने पिता के साथ नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया।
 
इसके साथ ही लता संगीत की शिक्षा अपने पिता से लेने लगी। उन्होंने साल 1942 में फिल्म किटी हसाल के लिए अपना पहला गाना गाया लेकिन उनके पिता को लता का फिल्मों के लिए गाना पसंद नहीं आया और उन्होंने उस फिल्म से लता के गाए गीत को हटवा दिया। साल 1942 में 13 वर्ष की छोटी उम्र में ही लता के सिर से पिता का साया उठ गया और परिवार की जिम्मेदारी उनके उपर आ गई। इसके बाद उनका पूरा परिवार पुणे से मुंबई आ गया। 
 
webdunia
लता को फिल्मों में अभिनय करना जरा भी पसंद नहीं था बावजूद इसके परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को उठाते हुए उन्होंने फिल्मो में अभिनय करना शुरू कर दिया। साल 1942 मे लता को ‘पहली मंगलगौर’ में अभिनय करने का मौका मिला। 1945 में लता की मुलाकात संगीतकार गुलाम हैदर से हुई। गुलाम हैदर लता के गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। गुलाम हैदर ने फिल्म निर्माता एस मुखर्जी से यह गुजारिश की कि वह लता को अपनी फिल्म शहीद में गाने का मौका दे। एस मुखर्जी को लता की आवाज पसंद नही आई और उन्होंने लता को अपनी फिल्म में लेने से मना कर दिया।
 
इस बात को लेकर गुलाम हैदर काफी गुस्सा हुए और उन्होंने कहा यह लड़की आगे इतना अधिक नाम करेगी कि बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशक उसे अपनी फिल्मों में गाने के लिए गुजारिश करेंगे। 1949 में फिल्म महल के गाने 'आएगा आने वाला' गाने के बाद लता बालीवुड में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गईं। इसके बाद राजकपूर की बरसात के गाने 'जिया बेकरार है', 'हवा मे उड़ता जाये' जैसे गीत गाने के बाद लता बालीवुड में एक सफल पार्श्वगायिका के रूप में स्थापित हो गईं। सी रामचंद्र के संगीत निर्देशन में लता ने प्रदीप के लिखे गीत पर एक कार्यक्रम के दौरान एक गैर फिल्मी गीत 'ए मेरे वतन के लोगों' गाया। इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उनकी आंखो मे आंसू आ गए। लता के गाए इस गीत से आज भी लोगो की आंखे नम हो उठती है।
 
webdunia
लता की आवाज से नौशाद का संगीत सज उठता था। संगीतकार नौशाद लता के आवाज के इस कदर दीवाने थे कि उन्होने अपनी हर फिल्म में लता को ही लिया करते थे। साल 1960 मे रिलीज फिल्म मुगले आजम के गीत मोहे पनघट पे गीत की रिकार्डिंग के दौरान नौशाद ने लता से कहा था मैंने यह गीत केवल तुम्हारे लिए ही बनाया है, इस गीत को कोई और नहीं गा सकता है। हिन्दी सिनेमा के शो मैन कहे जाने वाले राजकपूर को सदा अपनी फिल्मो के लिए लता की आवाज की जरूरत रहा करती थी। 
 
राजकपूर लता के आवाज के इस कदर प्रभावित थे कि उन्होने लता मंगेश्कर को सरस्वती का दर्जा तक दे रखा था। साठ के दशक में लता पार्श्वगायिकाओं की महारानी कही जाने लगी। वर्ष 1969 मे लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत निर्देशन ने लता मंगेशकर ने फिल्म इंतकाम का गाना आ जानें जा गाकर यह साबित कर दिया कि वह आशा भोंसले की तरह पाश्चात्य धुन पर भी गा सकती है। नब्बे के दशक तक आते-आते लता कुछ चुनिंदा फिल्मो के लिए ही गाने लगी। वर्ष 1990 में अपने बैनर की फिल्म लेकिन के लिए लता ने यारा सिली सिली गाना गाया। हालांकि यह फिल्म चली नहीं लेकिन आज भी यह गाना लता के बेहतरीन गानों में से एक माना जाता है।
 
लता मंगेश्कर को उनके सिने करियर में चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लता मंगेशकर को उनके गाये गीत के लिए वर्ष 1972 में फिल्म परिचय, 1975 में कोरा कागज और 1990 में फिल्म लेकिन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उनको 1969 में पद्मभूषण, 1989 में दादा साहब फाल्के सम्मान, 1999 में पद्मविभूषण, 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया। 6 फरवरी 2022 को सुर सम्राज्ञी लता मंगेश्कर ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
Edited By : Ankit Piplodiya

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आएगा, आएगा आने वाला: महल के इस गीत को अकेली लता मंगेशकर क्लासिक बना जाती हैं | Geet Ganga