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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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किशोर कुमार : दुनिया कहती मुझको पागल, मैं कहता दुनिया को पागल

हमें फॉलो करें किशोर कुमार : दुनिया कहती मुझको पागल, मैं कहता दुनिया को पागल

सीमान्त सुवीर

ये कोई नई बात नहीं है कि ख्यात गायक किशोर कुमार मनमौजी थे और पागलपन की हद तक चले जाते थे। किशोर कुमार के किस्सों से कई अखबार, पत्रिकाओं के पुराने अंक भरे पड़े हैं। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि करोड़ों लोगों को अपने गीतों से दीवाना बना देने वाले किशोर कुमार ने अपनी जिंदगी में बहुत कम लोगों को इंटरव्यू दिए। इन कम लोगों में स्वर सामाज्ञी लता मंगेशकर भी हैं जिनसे उन्होंने अपने दिल की बात कही थी...। लताजी बताती हैं कि किशोर मुझसे उम्र में छोटे थे लेकिन मेरे मुंह से हमेशा उनके लिए 'किशोर दा' ही निकला। 
 
संगीत असली है और एक्टिंग नकली
लताजी बताती हैं कि जब मैंने उनसे इंटरव्यू लिया तो उन्होंने अपने दिल की बात कहते हुए कहा कि संगीत मेरे लिए पूजा है और यह‍ दिल से निकलकर दिल तक पहुंचता है और फिल्मों में एक्टिंग पूरी तरह झूठी होती है। मैं बचपन से ही गाने गाता था लेकिन कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिल्मों में भी काम करना पड़ेगा।
 
लोग मुझे पागल समझते थे
मैं खंडवा से मुंबई गायक बनने गया था और सफल भी रहा लेकिन मेरे बड़े भाई दादामुनि (अशोक कुमार) की जिद के कारण मैंने फिल्मों में काम करना शुरू किया। मेरा मकसद प्रोड्‍यूसरों को सताना होता था ताकि वे मेरी उटपटांग हरकतों की वजह से मुझे फिल्म से निकाल बाहर करें लेकिन मैं नहीं जानता था कि मेरी ये हरकतें मुझे ही सुपरहिट कर देंगी। लोग मुझे पागल समझते थे और मैं उनसे कहता था कि पागल मैं नहीं, ये दुनिया एक पागलखाना है...! 
 
तीनों भाइयों की यादें जुड़ी हुई थीं गाड़ी से
मैं सच कहता हूं कि मुझे फिल्मों में काम करना कभी रास नहीं आया, एक बोझ लगा... जबकि संगीत मेरे दिल के हमेशा करीब रहा। मैं चाहता था कि लोग मेरे संगीत को पसंद करें लेकिन वे तो मेरी अदाकारी के दीवाने हुए जा रहे थे। जब हमारे परिवार ने मिलकर फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' बनाई और वह सुपरहिट रही तो बाद में वह गाड़ी मैंने अपने बंगले में रखवा ली। तब कई लोग उसे खरीदने आते और लाखों की बात करते लेकिन इससे हमारी तीनों भाइयों की यादें जुड़ी हुई थीं, लिहाजा हमने उसे कभी नहीं बेचा...। मेरे दुनिया से चले जाने के बाद भी वो कभी नहीं बिकेगी...। 
 
किशोर कुमार की चार शादियां
किशोर कुमार ने 4 शादियां की थीं। परिवार के दबाव में पहला विवाह उनका रूमा गुहा से हुआ जिनसे बेटा अमित कुमार है। फिर कैंसर से ग्रस्त और अपने जमाने की मशहूर अदाकारा मधुबाला से उन्होंने शादी इस गरज से की कि उन्हें जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर चंद खुशियां दें सकें लेकिन वे भी किशोर को छोड़कर चली गईं। फिर योगिता बाली से शादी हुई, जो ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। चौथी शादी लीना चंदावरकर से हुई।  
 
चार लोगों का टिफिन जाता था स्टूडियो
लीना ने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा था कि वे बहुत खुशमिजाज और जिंदादिल इंसान थे। उन्हें घर का खाना बहुत पसंद था। जब स्टूडियो में उनका टिफिन जाता तो एक नहीं, चार व्यक्तियों का खाना होता। वे खुद भी खाते और दोस्तों को भी खिलाते। 
 
खंडवा लौटने की हसरत दिल में ही रह गई
लीना के मुताबिक किशोर रोज शाम होते ही कुछ देर के लिए बहुत उदास हो जाया करते थे...। कहते थे जब शाम और रात का मिलन होता है, वह समय मुझे बहुत बेचैन करता है। कई बार वे कहते कि ये मुंबई मायावी नगरी है और यहां अब दिल नहीं लगता। हम सब अपने छोटे से शहर खंडवा चलते हैं और वहीं पर सुकून से रहेंगे लेकिन दुर्भाग्य से वे अपनी जन्मस्थली नहीं लौट सके।
 
दादामुनि को लगा कि किशोर ने फिर उल्लू बनाया
जिस दिन किशोर कुमार इस दुनिया से गए, वही दिन अशोक कुमार के जन्मदिन (13 अक्टूबर) का पड़ता है। लीना ने बताया कि 12 अक्टूबर को किशोर ने दादामुनि को फोन करके कहा कि कल आप मेरे घर आ जाना और यहीं पर मनाएंगे जन्मदिन...। और जब अगले रोज दादामुनि पहूंचे तो वहां कोई इंतजाम नहीं देख वे समझ गए कि किशोर ने फिर मुझे उल्लू बनाया। लोगों की तरह मुझे भी खाने पर बुलाया और खुद गायब हो गया। लेकिन बाद में उन्हें असलियत मालूम हुई कि उनका छोटा भाई अब इस दुनिया में ही नहीं रहा...। यही कारण है कि इसके बाद दादामुनि ने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया। 
 
कैंटीन में उधार के चाय-पोहे
किशोर कुमार, अशोक कुमार और अनूप कुमार तीनों भाइयों की कॉलेज की पढ़ाई इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में हुई। तब किशोर कुमार के पास ज्यादा पैसे नहीं होते थे और कॉलेज के कैंटीन में चाय-पोहे उधार खाया करते थे। ये उधारी बढ़ती गई और पहूंच गई 5 रुपए 12 आने तक...। जब भी किशोर कैंटीन में प्रवेश करते, तब वहां का संचालक चिल्लाता 'किशोर 5 रुपैय्या 12 आना' उधारी हो गई है...। बाद में फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' में इसी उधारी वाले गीत का उपयोग किया था उन्होंने। 
 
अभी कुछ हजार लोग सुन रहे हैं, एक दिन करोड़ों सुनेंगे 
'बिग एफएम' पर उनके 1975 लाइव कंसर्ट को सुनाया गया। इसी प्रोग्राम में एक संगीतकार ने शुरुआती दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं किशोर को कहता था कि अभी तुम्हें कुछ हजार लोग सुन रहे हैं, देखना एक दिन करोड़ों लोग तुम्हें सुनेंगे...। और वाकई ये सच है कि आज करोड़ों लोग उनके जाने के बाद भी किशोर के गीतों को बड़े चाव से सुनते हैं...। 
 
अब कभी आशा के साथ गीत नहीं गाऊंगा 
आशा भोसले ने कहा कि मैंने और किशोर ने करीब साथ-साथ ही पार्श्वगायन में कदम रखा था। हमने एक युगल गीत रिकॉर्ड किया लेकिन बाद में मैं उनके घर गई और कहा कि आप फिर से अपना गीत रिकॉर्ड करके आ जाइएगा, क्योंकि वह आपने अच्छा नहीं गाया है। बस इतना सुनना था कि वे भड़क उठे। यही नहीं, पूरी फिल्म इंडस्ट्री में कहते फिरे कि मैं आज के बाद आशा के साथ कभी नहीं गाऊंगा।
 
जान-बूझकर बेसुरा गाया
कुछ दिनों बाद हम दोनों एक गीत की रिकॉर्डिंग पर थे और मैं यह जानती थी कि किशोर के साथ यह आखिरी गीत है। गीत के अंत में वे बेसुरा गाने लगे और तभी कट... कट... की आवाज आई। मैंने पूछा किशोर क्या हुआ? तब वो बोले, तेरे सुर ठीक नहीं लग रहे हैं। 
 
मैं तो पागल हूं आशा
मैंने कहा कि ठीक है यह आखिरी गीत है आपके साथ... तो बोले आखिरी क्यों? मैंने कहा आप ही तो बोलते फिर रहे हैं ये बात... किशोर ने मुझसे कहा कि अरे मैं तो पागल हूं, तू देखती नहीं... चल फिर से गाते हैं और फिर वो गीत रिकॉर्ड हुआ। इसके बाद हमने कई गाने साथ गाए।
 
इस तरह की इंजीनियर दोस्त की मदद
किशोर कुमार का एक इंजीनियर दोस्त था, जो मुंबई में बेरोजगार था। अगले दिन उसे घर आने को कहा कि तेरे लिए मेरे पास काम है। जब वो घर आया तो बोले, यार मेरे बंगले की कंपाउंड वॉल तोड़ और इसे नई बना दे...। इस काम के उन्होंने अपने दोस्त को काफी पैसे भी दिए ताकि उसकी मदद हो सके।

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