Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बॉक्स ऑफिस पर इत्तेफाक क्यों साबित हुई कमजोर?

हमें फॉलो करें बॉक्स ऑफिस पर इत्तेफाक क्यों साबित हुई कमजोर?
1969 में रिलीज हुई 'इत्तेफाक' की गिनती क्लासिक फिल्मों में होती है। इस तरह की फिल्मों का चलन उस दौर में नहीं था और यह तब के जमाने से आगे की फिल्म थी। दर्शकों ने इसे पसंद भी किया था। जब इससे प्रेरित होकर 'इत्तेफाक' बनाने की घोषणा की गई तो दर्शकों की दिलचस्पी इस फिल्म में जाग गई। फिर बीआर स्टुडियो, करण जौहर और शाहरुख खान जैसे दिग्गज निर्माता इससे जुड़े तो उत्सुकता और बढ़ गई। लगा कि एक सफल फिल्म बॉलीवुड को मिलने वाली है। 
 
बॉक्स ऑफिस के आंकड़ेबाज उम्मीद बांधने लगे कि दस करोड़ का ओपनिंग डे कलेक्शन कहीं नहीं गया। वीकेंड तो तीस करोड़ पार होगा, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद को पूरा नहीं कर पाई। पहले दिन चार करोड़ और वीकेंड के 16 करोड़। ये आंकड़े निर्माताओं के दिल की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी थे। आखिर चूक कहां हुई जो फिल्म के ढंग की ओपनिंग भी नहीं ले पाई। दो मुख्‍य कारण नजर आते हैं। 
 
पहला कारण, फिल्म का प्रचार-प्रसार नहीं करना। विश्वास कीजिए, कई लोगों को रिलीज वाले दिन तक पता नहीं था कि इस नाम की फिल्म आज रिलीज हुई है। करण जौहर ने फैसला लिया कि फिल्म का प्रचार नहीं किया जाएगा। सितारे टीवी शो में भाग नहीं लेंगे। इंटरव्यू नहीं देंगे। इसका कारण उन्होंने यह बताया कि 'इत्तेफाक' थ्रिलर फिल्म है, जिसमें कातिल का पता आखिरी मिनटों में पता चलता है। यदि यह राज सितारों के मुंह से बातचीत में निकल गया तो फिल्म का मजा जाता रहेगा, लिहाजा उन्होंने फिल्म का प्रचार ही नहीं किया। अब सितारे इतने भोले तो होते नहीं हैं। वे उतना ही बोलते हैं जितना उन्हें बताया जाता है। 
 
ये बात ठीक है कि अति प्रचार का भी कोई मतलब नहीं रहता, लेकिन इतनी पब्लिसिटी तो कीजिए ताकि फिल्म देखने वालों को पता चले कि इत्तेफाक नामक फिल्म इस दिन रिलीज हो रही है। यह सस्पेंस फिल्म है। हिट फिल्म इत्तेफाक का रिमेक है। जो यह फिल्म देखना भी चाहते थे उन्हें भी पता नहीं चला कि यह कब सिनेमाघरों में आ गई। इससे फिल्म की ओपनिंग प्रभावित हो गई, जबकि शुरुआत के तीन दिन किसी भी फिल्म के लिए कितने महत्वपूर्ण होते हैं ये बात सभी को पता है।
 
कई लोग तो ओपनिंग वीकेंड के लिए पूरा जोर लगा देते हैं। इससे कई बुरी फिल्में भी शुरुआती तीन दिनों में जोरदार व्यवसाय कर लेती है। इसके बाद फिल्म का चलना या न चलना फिल्म की क्वालिटी पर निर्भर करता है, लेकिन इत्तेफाक यह भी नहीं कर पाई। जबकि फिल्म ठीक-ठाक है और कुछ समीक्षकों ने तारीफ भी है। इस लिहाज से फिल्म का व्यवसाय और बेहतर हो सकता था। 
 
एक और कारण जो नजर आता है वो ‍हैं फिल्म के सितारें। अक्षय खन्ना अच्छे कलाकार हैं, इस पर कोई दो राय नहीं है, लेकिन वे बिकाऊ सितारे नहीं हैं। वे अपने दम पर भीड़ नहीं खींच सकते। सारा बोझ सिद्धार्थ मल्होत्रा और सोनाक्षी सिन्हा के कंधों पर था। लेकिन ये दोनों भी दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाए क्योंकि इनकी पिछली फिल्में कमाल नहीं कर सकी। 
 
सिद्धार्थ मल्होत्रा के पीछे बार बार देखो और ए जेंटलमैन जैसी फिल्में हैं जो बुरी तरह असफल रही थीं। अब इत्तेफाक के कमजोर प्रदर्शन ने सिद्धार्थ के करियर पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। यही हाल सोनाक्षी सिन्हा का भी है। 
 
सिद्धार्थ और सोनाक्षी के अभिनय की भी आलोचना हुई है। दोनों का अभिनय फिल्म में कमजोर है। सोनाक्षी सिन्हा चेहरे पर एक ही भाव लिए पूरी फिल्म में नजर आईं तो सिद्धार्थ अपने कैरेक्टर में जान ही नहीं फूंक पाए। कई बार कमजोर फिल्म को स्टार्स अपने शानदार अभिनय के बल पर चला लेते हैं, लेकिन सिद्धार्थ और सोनाक्षी यहां भी फिसड्डी साबित हुए। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बॉलीवुड पर नोटबंदी का क्या हुआ असर?