दिलीप कुमार को धर्मेन्द्र अपना बड़ा भाई मानते थे। दिलीप कुमार की फिल्मों को देख ही उनके मन में फिल्म अभिनेता बनने की तमन्ना जागी और वे पंजाब से मुंबई भाग कर आ गए। फिल्मों में जब उनकी पहचान बन गई तो दिलीप कुमार के मन में भी उन्होंने अपनी जगह बना ली।
दिलीप कुमार पर हमेशा धर्मेन्द्र का प्यार बरसता रहा। जब मन हुआ वे दिलीप साहब के घर पहुंच जाते थे। कभी सायरा भाभी के हाथों की बिरयानी खाते थे तो कभी खुद अपने घर से ले जाते थे। दिलीप साहब भी धर्मेन्द्र को बहुत चाहते थे। वे जानते थे कि पंजाब के इस पुत्तर का दिल सोने का है और यह उनका दिल से सम्मान करता है। इसलिए दिलीप साहब के घर जाने पर धर्मेन्द्र के लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। अपॉइंटमेंट तो छोड़िए, बिना फोन लगाए जब दिल किया दिलीप साहब का दरवाजा धर्मेन्द्र खटखटा देते थे और फिर घंटों तक बातचीत हुआ करती थी।
धर्मेन्द्र हमेशा दिलीप कुमार के पैरों में बैठते थे। दिलीप साहब कई बार धर्मेन्द्र से गुजारिश करते थे धर्मेन्द्र से कि अमां यार बराबरी पर सोफे पर बैठो। तुम भी बड़े स्टार हो, लेकिन धर्मेन्द्र मुकर जाते थे। उन्हें दिलीप कुमार के कदमों में बैठने में ही सुकुन महसूस होता था।
दिलीप कुमार पठान थे तो धर्मेन्द्र भी पंजाब के हट्टे-कट्टे नौजवान थे। एक बार एक इंटरव्यू के दौरान दिलीप साहब ने कह दिया कि वे धर्मेन्द्र से ईर्ष्या करते हैं। सुनने वाले सन्न रह गए कि यह क्या कह रहे हैं अभिनय सम्राट।
अब अभिनय सम्राट तो बहुत सोच-समझ कर ही बोलते थे। यह बात उन्होंने कही है तो जरूर ही इसका कोई मतलब होगा। आखिर क्यों? सभी की जुबां पर सवाल था।
सोच-विचार कर अभिनय सम्राट बोले कि इस धर्मेन्द्र को अल्लाह मियां ने कितना खूबसूरत बनाया है। इसका चेहरा कितना मासूम है। शरीर से यह कितना हष्ट-पुष्ट है। मैं जब ऊपर जाऊंगा तो अल्लाह से इस बात की शिकायत करूंगा कि मुझे धर्मेन्द्र जैसा हैंडसम क्यों नहीं बनाया? धर्मेन्द्र जैसा शरीर क्यों नहीं दिया?
अभिनय सम्राट की यह बात सुन सब हंस पड़े। बातों ही बातों में दिलीप कुमार ने धर्मेन्द्र की क्या तारीफ कर दी।