वरुण धवन की कुली नं. 1 फिल्म को उनके पिता डेविड धवन ने निर्देशित किया है। डेविड ने इसी नाम से 1995 में गोविंदा और करिश्मा कपूर को लेकर यही फिल्म बनाई थी। अब इसका रीमेक भी उन्होंने बनाया है। डेविड ने हमेशा आम दर्शकों को ध्यान में रख कर फिल्में बनाई हैं ताकि वे कुछ देर के लिए अपने दु:ख भूला कर मनोरंजन की दुनिया में खो जाए।
वर्तमान में कोरोना के कारण जो हालात हैं उसे देखते हुए कई फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देने का फैसला ले लिया है। सिनेमाघर वाले तो बेचारे फंस गए हैं और उनकी बात न सरकार सुन रही है और न ही फिल्म निर्माता। उन्हें हर महीने बिजली का बिल भी चुकाना पड़ रहा है और पिछले आठ महीनों से उन्होंने एक रुपया भी नहीं कमाया है। मल्टीप्लेक्स तो किसी तरह टिके हुए हैं, लेकिन हो सकता है कि कई सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों का अब ताला ही नहीं खुले।
कुली नं 1 को भी अमेजॉन प्राइम वीडियो वालों को दे दिया गया है। आगामी कुछ दिनों में यह फिल्में सीधे घर पर देखने को मिलेगी। इस निर्णय से फिल्म के निर्देशक डेविड धवन खुश नहीं हैं। वे अपनी फिल्म को सिनेमाघर में ही रिलीज करना चाहते थे। हो सकता है कि उनकी सोच को पुरानी ठहरा कर दरकिनार कर दिया गया हो, लेकिन डेविड अभी भी जुटे हुए हैं।
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म या वेबसीरिज देखने की सुविधा भारत में बहुत ही कम लोगों के पास है। डेविड चाहते हैं कि उनकी फिल्म ओटीटी के साथ-साथ सिनेमाघर में भी रिलीज हो। इससे फिल्म की पहुंच ज्यादा दर्शकों तक हो जाएगी और जिसे जहां देखना है वो वहां देख लेगा।
मल्टीप्लेक्स वाले फैसला ले चुके हैं कि यदि कोई फिल्म सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की जाती है तो वे अपने सिनेमाघर में फिल्म का प्रदर्शन नहीं करेंगे क्योंकि मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने वाले ज्यादातर दर्शकों के पास ओटीटी प्लेटफॉर्म की सुविधा है, लेकिन सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरवालों को इस पर ऐतराज नहीं है। उनका मानना है कि उनके दर्शकों में ज्यादातर के पास यह सुविधा नहीं है इसलिए वे दर्शक उनके सिनेमाघर में फिल्म देखने के लिए आ सकते हैं।
अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी' के लिए भी सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर वालों ने मांग की थी कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के साथ-साथ फिल्म उनके सिनेमाघर में भी रिलीज हो, लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई। फिल्म कुली नं. 1 के मेकर्स इस कोशिश में लगे हुए हैं कि उनकी फिल्म ओटीटी के साथ-साथ सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में भी रिलीज हो और हो सकता है कि उनकी कोशिश रंग लाए क्योंकि सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों को प्रदर्शन के लिए दो-तीन बड़ी फिल्मों की सख्त जरूरत है।