कान फिल्म फेस्टिवल: फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान क्यों खाली रही निर्देशक किरिल सीट

प्रज्ञा मिश्रा
गुरुवार, 15 जुलाई 2021 (16:41 IST)
14 जुलाई फ्रांस का नेशनल डे मनाया जाता है। इस दिन देश भर में छुट्टी मनाई जाती है और शाम को fireworks का आयोजन होता है।  इस साल कान फिल्म फेस्टिवल में भी बैस्टिल डे मनाने के लिए रात दस बजे बीच पर पटाखे छोड़े गए। जिस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं अगर वहाँ कोई फिल्म कॉम्पीटीशन में शामिल हो और फिल्म डायरेक्टर को आने की इज़ाज़त ही न मिले तो उसे क्या कहेंगे। रूस के फ़िल्मकार किरिल सेरेब्रेनिकोव की फिल्म "पेत्रोव'स फ्लू" इस साल फेस्टिवल के सबसे बड़े अवॉर्ड की रेस में है, लेकिन किरिल को रूस से बाहर जाने की इज़ाज़त नहीं है इसलिए वो यहाँ शामिल नहीं हो पाए। उनकी फिल्म की टीम ने किरिल के फोटो वाले बैज लगाए और प्रीमियर शो के समय डायरेक्टर के नाम की कुर्सी खाली रखी गई।  
 
सबसे पहले फिल्म की बात, फिल्म की कहानी एक किताब "पेत्रोव इन एंड अराउंड फ्लू" पर आधारित है। पेत्रोव और उसकी बीवी को खांसी है, लेकिन वो दोनों इसे कोई तवज़्ज़ो नहीं देते हैं जब तक कि उनके बेटे को बुखार नहीं आता। आज के दौर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अगर कोई बिना मास्क के खाँसना शुरू करेगा तो उसे तुरंत वहां से उतार दिया जाएगा। लेकिन यहाँ पेत्रोव खांस रहा है और बस में लोग कहते हैं उसे देखकर लगता है कि उसे कैंसर है। 
 
फिल्म की कहानी के अंदर एक साथ कई कहानियां चल रही हैं, लेकिन जब देखें तो पता चलता है कि आखिरकार यह एक दिन की ही कहानी है। पेत्रोव काम क्या करता है यह तो नहीं पता लेकिन उसकी पत्नी लाइब्रेरियन है जो एक सुपरपॉवर की मालकिन है। उसे उन आदमियों की हत्या करने में कोई झिझक नहीं होती जो उसकी निगाह में कुछ भी गलत करते हैं।
 
किरिल रूस से ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में शामिल भी हुए। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस कहानी की स्क्रिप्ट लिखने की शुरुआत की, लेकिन जब यह पूरी हुई तो किरिल को लगा इस कहानी पर वो ही बेहतर फिल्म बना सकते हैं। वैसे तो किरिल को जेल से बाहर आए हुए दो साल हो गए हैं, लेकिन अभी भी उनकी हर हरकत पर नज़र है। जब इस फिल्म की शूटिंग हो रही थी तब मास्को की कोर्ट में किरिल के केस की सुनवाई हो रही थी, वो सुबह से लेकर दोपहर तक कोर्ट में होते थे और शाम को अपनी फिल्म की शूटिंग करते थे। 
 
2017 से किरिल बंधन की ज़िन्दगी ही जी रहे हैं लेकिन वो अभी भी उम्मीद रखते हैं कि जिस दिन दुनिया आज़ादी से घूम फिर सकेगी उस दिन किरिल भी सबके साथ शामिल होंगे 

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