फिल्म आदिपुरुष रिलीज के पहले और बाद से ही लगातार विवादों के घेरे में है। फिल्म को नापसंद करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। वजह ये कि रामायण आधारित इस फिल्म में जो बदलाव और कहानी कहने का तरीका है उस पर आपत्ति है। फिल्म ना देखने के कई कारण हैं, जिसमें से 10 पेश हैं।
पहला कारण : घटिया संवाद
संवादों को लेकर काफी बखेड़ा खड़ा हुआ है। कई जगह स्तरहीन संवाद हैं।
"तेल तेरे बाप का। कपड़ा तेरे बाप का। और जलेगी भी तेरे बाप की।"
"बोल दिया, जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे।"
"ये लंका क्या तेरी बुआ का बगीचा है, जो हवा खाने चला आया।"
"मैं तुझको धो डालूंगा।"
इस तरह के संवाद हनुमान जी या अन्य किरदारों के मुंह से सुनना बिलकुल अच्छा नहीं लगता। ये किस तरह की भाषा है। क्या उस दौर में ऐसी भाषा बोली जाती थी? आज के यूथ को कनेक्ट करना चाहते हैं तो भी स्तरीय और आसान भाषा में संवाद लिखे जा सकते थे। हालांकि अब संवाद बदल दिए हैं, लेकिन बहुत देर हो चुकी है।
दूसरा कारण : कलाकारों के लुक
टैटू वाला इंद्रजीत नजर आता है। रावण की हेअर स्टाइल आज के दौर की दिखती है। बिना खड़ाऊ के राम नजर आते हैं। कलाकारों के इन लुक से छेड़छाड़ क्यों?
तीसरा कारण : सीता वाला सीन
राम-रावण युद्ध के पहले एक माया दृश्य रचा गया है जहां सीता का गला काट कर उसे मार दिया जाता है। यह सीन फिल्म में बिलकुल फिट नहीं बैठता।
चौथा कारण : संजीवनी वाला सीन
लक्ष्मण मूर्च्छित हो जाते हैं तो हनुमान जी संजीवनी लेने पहाड़ पर जाते हैं। संजीवनी को पहचान नहीं पाते तो पूरा पहाड़ उठा लेते हैं। इस प्रसंग को ही 'आदिपुरुष' में बदल दिया है। दिखाया है हनुमान जी कहते हैं कि यदि और सैनिक घायल हो गए तो संजीवनी उनके काम आएगी और वे पहाड़ उठा लेते हैं। इसे बदलने के पीछे क्या तुक है?
पांचवां कारण : महत्वपूर्ण प्रसंग गायब
राम-रावण युद्ध में राम जब रावण को परास्त करने में मुश्किल का सामना करते हैं तब रावण का भाई विभीषण बताता है कि तीर नाभि में मारा जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण प्रसंग फिल्म 'आदिपुरुष' से गायब है।
छठा कारण : कुंभकरण हनुमान युद्ध
कुंभकरण और हनुमान युद्ध में जिस तरह से हनुमान को गिरते हुए दिखाया है वो फिल्म देखते समय बिलकुल अच्छा नहीं लगता।
सातवां कारण : लंका काली काली
रावण की लंका सोने की थी, लेकिन फिल्म में इसे काली कर दिया गया है। चमगादड़ को उसकी सेना में दिखा दिया? क्यों संदर्भों के साथ छेड़छाड़ की गई?
आठवां कारण : राम के बजाय रावण के किरदार पर ज्यादा मेहनत
आदिपुरुष में राम के बजाय रावण के किरदार को ज्यादा उभारा गया है। राम के गुण, उनकी सौम्यता, उनकी वीरता और उनकी मर्यादा पुरुषोत्तम वाली छवि उभर कर ही नहीं आती।
नौवां कारण : निर्देशक का प्रस्तुतिकरण
निर्देशक ओम राउत ने फिल्म को हॉलीवुड स्टाइल में पेश किया है। वे भूल गए कि रामायण आधारित फिल्म वे बना रहे हैं और इसमें दर्शकों की आस्था का ध्यान रखा जाना चाहिए।
दसवां कारण : विभीषण की पत्नी
विभीषण की पत्नी को कुछ ज्यादा ही ग्लैमरस तरीके से दिखाया गया है। पता नहीं निर्देशक की अक्ल कहां चली गई?
ये तो महज 10 कारण हैं। ढूंढने बैठेंगे तो संख्या दस गुना हो जाएगी।