आमिर खान (3 इडियट्स)
वर्ष के अंत में आकर धमाकेदार सफलता हासिल करना कोई आमिर से सीखे। 2007 में तारे जमीं पर, 2008 में गजनी और 2009 में 3 इडियट्स के जरिये आमिर ने सफलता की हैट्रिक पूरी कर ली। ‘3 इडियट्स’ के जरिये उन्होंने हर उम्र और वर्ग के दर्शकों का मनोरंजन किया। यह फिल्म बॉलीवुड की सफलतम फिल्मों में से एक है। आमिर का कद दिन-प्रतिदिन ऊँचा होता जा रहा है।
अक्षय कुमार (चाँदनी चौक टू चाइना, एट बाय टेन तस्वीर, कमबख्त इश्क, ब्लू, दे दना दन)
अक्षय फ्लॉप नहीं हुए बल्कि उनकी फिल्में असफल रहीं। शुरुआती तीन-चार दिनों तक अक्षय अपने नाम पर भीड़ जुटा लेते हैं, लेकिन उनकी फिल्में इतनी कमजोर रहती हैं कि वे टिक नहीं पाती। इस वर्ष अक्षय के नाम पर फ्लॉप फिल्मों का अंबार का लगा हुआ है। जरूरत है अक्की को अच्छी फिल्म चुनने की और प्राइस कम करने की। उम्मीद है कि अक्षय ने इन असफलताओं से सबक सीखा होगा।
सलमान खान (वॉन्टेड, मैं और मिसेस खन्ना, लंदन ड्रीम्स)
वॉन्टेड की सफलता ने सलमान के लिए ऑक्सीजन का काम किया। लंदन ड्रीम्स न लंदन में चली और न ही लुधियाना में। ‘मैं और मिसेस खन्ना’ की असफलता ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सलमान की फिल्म इतनी बुरी तरह पिट सकती है। ‘दस का दम’ में सेलिब्रिटीज के बल पर सल्लू दम दिखाते रहे।
अभिषेक बच्चन (पा, देहली 6, लक बाय चांस)
अभिषेक की सफलता और असफलता का स्कोर 1-1 रहा। ‘पा’ की सफलता में अभिषेक का कितना योगदान कितना रहा ये बात सभी जानते हैं। अकेले के दम पर फिल्म चलाने लायक अभिषेक अभी तक नहीं हो पाए हैं। ‘देहली 6’ इसका उदाहरण है।
सैफ अली खान (लव आज कल, कुर्बान)
लव आज कल की सफलता पर इतरा रहे छोटे नवाब ‘कुर्बान’ के पिटने पर धड़ाम से जमीन पर आ गिरे। फिर भी यह वर्ष उनके लिए अच्छा माना जा सकता है क्योंकि बतौर निर्माता उन्होंने अपनी पारी शुरू की और सफलता भी मिली।
अमिताभ बच्चन (पा, अलादीन, देहली 6)
बिग बी ने ‘बिग बॉस’ के जरिये स्माल स्क्रीन पर फिर एक बार प्रवेश कर लिया। अमरसिंह के साथ उन्होंने खूब समय बिताया। ‘अलादीन’ में जिनी बने, लेकिन फिल्म को नहीं बचा सके। ‘पा’ में 13 वर्ष बनकर उन्होंने साबित किया कि अभिनय में वे सबके पा हैं।
जॉन अब्राहम (न्यूयॉर्क)
‘न्यूयॉर्क’ के जरिये जॉन अब्राहम ने साबित करने की कोशिश की कि वे अभिनय भी कर सकते हैं। इस फिल्म की सफलता के कारण उन्हें कुछ बेहतर फिल्में मिली हैं और 2009 जॉन के लिए बेहतर साबित हुआ है।
अजय देवगन (ऑल द बेस्ट, लंदन ड्रीम्स)
अजय ने अपने आपको कुछ लोगों तक सीमित कर लिया है और वे उन्हीं के साथ काम करना पसंद करते हैं। ‘ऑल द बेस्ट’ के रूप में एक सफल फिल्म उनके खाते में दर्ज हुई। अब उनका रुझान कॉमेडी फिल्मों की ओर है। ‘लंदन ड्रीम्स’ में अजय को पसंद किया गया, लेकिन फिल्म को नहीं।
रणबीर कपूर (वेक अप सिड, अजब प्रेम की गजब कहानी, रॉकेट सिंह)
रणबीर कपूर ने वर्ष 2009 में लंबी छलाँग लगाई है। उनकी प्रदर्शित सारी फिल्मों में उनका अभिनय सराहा गया। तीनों फिल्मों में उन्होंने अलग-अलग भूमिका निभाई। ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ ने गजब सफलता पाई। उन्हें भविष्य का सुपरस्टार माना जा रहा है।
शाहिद कपूर (कमीने, दिल बोले हडिप्पा)
‘कमीने’ को सफलता तो नहीं मिली, लेकिन इस फिल्म के बाद फिल्मकारों का उनके प्रति नजरिया बदल गया। ‘कमीने’ को शाहिद के कारण अच्छी ओपनिंग मिली थी। ‘दिल बोले हडिप्पा’ रानी के साथ शाहिद ने जोड़ी जमानी चाही, लेकिन बात नहीं बन पाई।
शाहरुख खान (बिल्लू)
इस वर्ष शाहरुख की बतौर हीरो कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई। कंधे की सर्जरी और पीठ की समस्या ने उनके काम की गति पर ब्रेक लगा दिया। फिल्मों के प्रदर्शित नहीं होने के बावजूद भी किंग खान वर्ष भर चर्चित रहे। कभी सलमान के कारण, तो कभी आमिर के कारण। कभी नाइट राइडर्स की असफलता के कारण तो कभी एयरपोर्ट पर चेकिंग के बहाने बदसलूकी के कारण।
इमरान हाशमी (राज, तुम मिले)
इमरान हाशमी सिर्फ विशेष फिल्म्स तक सिमट कर रह गए है, जिसका खामियाजा उन्हें भविष्य में भुगतना पड़ सकता है। वैसे इस वर्ष उनका स्कोर 1-1 रहा। ‘राज’ सफल रही तो ‘तुम मिले’ को दर्शन नहीं मिले।
इमरान खान (लक)
रणबीर के मुकाबले इमरान दौड़ में बुरी तरह पिछड़ गए है। ‘लक’ फिल्म तो खराब थी ही, लेकिन इमरान का अभिनय भी अच्छा नहीं था। लगता है कि मामू आमिर को इमरान के लिए एक और फिल्म बनाना पड़ेगी।
नील नितिन मुकेश (आ देखें ज़रा, न्यूयॉर्क, जेल)
नील के लिए 2009 मिश्रित रहा। ‘न्यूयॉर्क’ सफल रही, लेकिन दो फिल्मों को असफलता का मुँह देखना पड़ा। नील को जरूरत है अभिनय में सुधार की।