Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सरकार की शक्ति सोनिया के पास:भाजपा

हमें फॉलो करें सरकार की शक्ति सोनिया के पास:भाजपा
इंदौर , शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010 (16:16 IST)
भाजपा ने आरोप लगाया कि आज देश में महँगाई इसलिए बेकाबू हुई है क्योंकि पूर्व और वर्तमान की राजनीतिक रूप से असंतुलित संप्रग सरकार की शक्ति कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के पास और अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री से कोसों दूर है और इसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी को ध्वस्त कर डाला है।

पार्टी के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन शुक्रवार को यहाँ पारित आर्थिक प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार ने‘तेज विकास दर से पैदा होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था को तैयार नहीं किया था। असहनीय मूल्यवृद्धि सहित अर्थव्यवस्था की सभी वर्तमान खामियाँ इसी कुप्रबंधन का परिणाम हैं।’

प्रस्ताव को पेश करते हुए पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चल रही इस सरकार की सबसे घोर निराशा की बात यह है कि उसकी अक्षमता के चलते एशियाई प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों की तुलना में भारत में महँगाई की दर आज सबसे अधिक है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि असहनीय मूल्य वृद्धि सहित अर्थव्यवस्था की सभी वर्तमान खामियाँ इसी कुप्रबंधन का परिणाम हैं। संप्रग सरकार ने उँची विकास दर के जश्न मनाकर अच्छे वर्षों को बेकार गँवा दिया। इसमें कहा गया कि जब धूप खिली हुई थी तब छत छाने का काम नहीं किया।

इसीलिए जब बरसात आयी तो सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं थी और यह सब कुछ उस सरकार में हुआ जिसका प्रधानमंत्री एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री है और प्रधानमंत्री पद के लिए उनका एकमात्र दावा यही है।

सिन्हा ने कहा कि सितंबर 2008 में शुरू हुए वैश्विक वित्तीय संकट से काफी पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था गिरावट की ओर बढ़ रही थी, लेकिन सरकार विदेशी पूँजी से पैदा हुई उच्च मौद्रिक तरलता और अर्थव्यवस्था द्वारा दर्ज उच्च विकास दर से पैदा हुई उच्च माँग की चुनौती का मुकाबला करने में अक्षम साबित हुई।

प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार ने इन चुनौतियों के समक्ष घुटने टेक दिए और वह किया जो इसे नहीं करना चाहिए था। अर्थात अर्थव्यवस्था में से तरलता को निचोड़ने के लिए मौद्रिक नीति के हथौड़े का प्रयोग किया गया, जिससे निवेश तथा उपभोक्ता माँग दोनों निर्जीव हो गए।

भाजपा के अनुसार, सरकार को अपने सारे कुकर्म छिपाने के लिए वैश्विक वित्तीय संकट का आवरण सहज ही मिल गया। इससे सरकार को सिटुमलेस पैकेज के नाम पर अंधाधुंध रूप से अपनी तिजोरी खोलने का बहाना भी मिल गया, जो चुनावी वर्ष में संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ साधने के काम आया और इससे सरकार का बजटीय घाटा असाधारण स्तर तक बढ़ गया।

केन्द्रीय बजट में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि भारत के महालेखापाल ने केन्द्रीय बजट में धोखाधड़ी की प्रवृति के विरुद्ध टिप्पणी की है कि किस तरह सरकार ने वास्तविक घाटे को छिपा कर पेट्रोलियम, अनाज तथा खादों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को बजट के बाहर रखा।

प्रस्ताव में कहा गया कि घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने एक नया तरीका अपनाया है... जीडीपी के आधार वर्ष में परिवर्तन कर इसके आकार को बढ़ा दिया है, ताकि बजट में घाटा कम दिखे। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में जो सीटें जीती हैं,उसके लिए देश ने भारी कीमत चुकाई है।

पार्टी ने कहा कि बेलगाम बजटीय घाटे का स्वाभाविक परिणाम मुद्रास्फीति ही होता है। आपूर्ति पक्ष के कुप्रबंधन से कीमतों में और अधिक वृद्धि होती है और इससे मुद्रास्फीति की आशंका को बढ़ावा मिलता है तथा मूल्य आसमान छूने लगते हैं।

गत वर्ष ठीक यही हुआ तथा आज भी वही हो रहा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि कीमतों में वृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण कारण सरकार में सभी स्तरों पर व्याप्त भ्रष्टाचार के साथ साथ सरकार में नेतृत्व की कमी तथा उसकी घोर अक्षमता है।

प्रस्ताव में यह भी आरोप लगाया गया कि मंत्रिमंडल के सदस्यों ने वायदा बाजार का लाभ उठाकर धन कमाने का काम किया है। इस संदर्भ में उदाहरण के रूप में कहा गया कि वायदा बाजार के 4.50 लाख करोड़ रुपए के कारोबार में मात्र एक प्रतिशत ही डिलीवरी पर आधारित था,बाकी सब विशुद्ध रूप से सट्टाबाजी थी।

केन्द्रीय बजट के बढ़े हुए वित्तीय घाटे को बेहद चिंता का विषय बताते हुए पार्टी ने कहा कि पिछले दो वर्षों में,विशुद्ध रूप से मात्र चुनावों के कारण, सरकार ने राजग कार्यकाल के दौरान संसद द्वारा पारित वित्तीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून को उपहास का पात्र बना दिया है। मितव्ययता के नाम पर जो प्रतीकात्मक कदम उठाए गए हैं वह लोगों के जले पर नमक छिड़कने जैसा है।

प्रस्ताव में कहा गया कि कृषि का संकट बदस्तूर जारी है और इसकी उपेक्षा भी जारी है। आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और किसानों को उनके उत्पाद की बढ़ती कीमतों का कोई लाभ नहीं मिल रहा है बल्कि उल्टा वह इसके शिकार हो रहे हैं।

प्रस्ताव में कहा गया कि आर्थिक नीति का मुख्य उद्देश्य बजट में आय तथा व्यय के बीच,आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच, समृद्धि तथा विकास के बीच, विकास तथा रोजगार सृजन के बीच, कृषि तथा उद्योग के बीच, अमीर तथा गरीब के बीच और राष्ट्र तथा वैश्विक नीतियों आदि के बीच संतुलन स्थापित करना है।

केन्द्रीय बजट यही संतुलन स्थापित करने में पूर्णतया: नाकाम रहा जिसका खामियाजा आज पूरा देश और उसकी जनता भुगत रही है। पार्टी ने घोषणा की कि वह महँगाई के खिलाफ चलाए जा रहे अपने देशव्यापी आंदोलन को और तेज करेगी तथा 12 मार्च को संसद का घेराव करेगी।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi