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बच्चे माँ का दूध पी सकते हैं, खून नहीं

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इंदौर , शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010 (13:14 IST)
धनी देशों की आबादी विश्व की कुल आबादी का 50 प्रतिशत है, लेकिन यह देश कार्बन उत्सर्जन पूरे विश्व की तुलना में 50 फीसद करते हैं। दूसरे देशों से कार्बन ट्रेडिंग कर बदलने में पैसा भी दिया जा रहा है। प्रकृति का खर्च हमने हैसियत से ज्यादा कर दिया है और इसका नुकसान हमें उठाना ही पड़ेगा।

यह बात भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने पर्यावरण विषय पर बोलते हुए कही। परिषद बैठक में पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन पर हुई विस्तृत चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति खराब होने पर बैंकें डूब जाती हैं, उसे हम ठीक कर सकते हैं लेकिन प्रकृति की स्थिति खराब हो जाए तो वह हमें डूबो देती है।

प्रकृति को हम माँ मानते हैं। बच्चे माँ का दूध पी सकते हैं उसका खून नहीं, लेकिन हम प्रकृति का खून भी पी रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि धरती का तापमान एक डिग्री भी बढ़ता है तो 70 लाख टन गेहूँ उत्पादन कम हो जाएगा।

दवे ने दिया प्रेजेंटेशन : चर्चा में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे ने कोपेनहेगन पर पॉवर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव क्षेत्र है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में स्थित टूआलू टॉपू डूब जाएगा। इसका प्रभाव भारत सहित अन्य देशों पर भी पड़ेगा।

कार्बन क्रेडिट-ट्रेडिंग ने ग्लोबल वार्मिंग को भी एक बाजार बना दिया है। इसे हमे रोकने की जरूरत है। हमें अब अनुशासित जीवन शैली के बारे में सोचना पड़ेगा। एक वाहन यदि 30 हजार किलोमीटर चलता है तो वह कितना कार्बन छोड़ता है। इसका हिसाब कोई नहीं लेता।

वस्तुओं की एमआरपी में प्रकृति से लिए गए पानी-हवा की कॉस्ट नहीं जोड़ी जाती, क्योंकि यह हमें मुफ्त में मिलती है। इस बारे में सोचने की जरूरत है। इस सत्र में हिमाचलप्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल और अहलूवालिया ने भी विचार रखे। (नईदुनिया)

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