Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जयंती विशेष: क्या थी राजा राम मोहन राय की सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन की कहानी, कैसे बने महान समाज सुधारक

Advertiesment
हमें फॉलो करें Raja Ram Mohan Roy Jayanti

WD Feature Desk

, सोमवार, 19 मई 2025 (13:08 IST)
Raja Ram Mohan Roy Jayanti : राजा राम मोहन राय का नाम भारतीय समाज सुधार आंदोलन में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। 22 मई 1772 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के राधानगर गांव में जन्मे राम मोहन राय को 'आधुनिक भारत का जनक' कहा जाता है। उनकी शिक्षा फारसी, अरबी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं में हुई, जिससे वे भारतीय और पाश्चात्य विचारों के संगम से एक प्रबुद्ध दृष्टिकोण विकसित कर सके। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों, विशेषकर सती प्रथा, बाल विवाह और जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और महिलाओं की शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह के समर्थक बने।
 
सती प्रथा के खिलाफ राजा राम मोहन राय का ऐतिहासिक आंदोलन
भारत के सामाजिक इतिहास में जब हम कुरीतियों और रूढ़ियों की बात करते हैं, तो सती प्रथा का नाम सबसे पहले आता है। लगभग दो शताब्दी पहले जब यह भयावह परंपरा समाज पर हावी थी, तब राजा राम मोहन राय जैसे दूरदर्शी और साहसी समाज सुधारक ने इसके विरुद्ध संघर्ष छेड़ा। उन्होंने अपने विचारों, साहस और प्रयासों से समाज को नई दिशा देने का कार्य किया।
 
सती प्रथा: सती प्रथा वह रिवाज था जिसमें किसी महिला का पति मर जाने पर, समाज उसे भी उसकी चिता पर बैठाकर ज़िंदा जला देता था। यह न केवल अमानवीय था, बल्कि एक महिला के जीवन को उसकी मर्जी के बिना छीन लेने वाला क्रूर रिवाज था। समाज ने इसे धार्मिक मान्यता का नाम देकर पीढ़ियों तक चलने दिया, लेकिन राजा राम मोहन राय ने इस अमानवीय परंपरा को खत्म करने की ठान ली।
 
राजा राम मोहन राय ने न केवल सती प्रथा का विरोध किया, बल्कि इसके खिलाफ व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया। उन्होंने वेदों और उपनिषदों का गहन अध्ययन कर यह सिद्ध किया कि सती प्रथा का समर्थन किसी भी धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता। यह धर्म नहीं, एक सामाजिक अपराध है, ऐसा उन्होंने खुलकर कहा। उन्होंने लोगों को समझाया कि महिलाओं को भी जीने का उतना ही हक है जितना पुरुषों को।
 
जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयास: राजा राम मोहन राय ने देश के विभिन्न हिस्सों में यात्राएं कीं, सभाएं कीं और लोगों से सीधे संवाद किया। उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से सती प्रथा के खिलाफ जनमत तैयार किया। वह लगातार इस बात पर ज़ोर देते रहे कि महिलाओं को भी समाज में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने न केवल सती प्रथा बल्कि महिलाओं के पुनर्विवाह और संपत्ति के अधिकार की भी वकालत की।
 
सती प्रथा के खिलाफ कानून: राजा राम मोहन राय ने तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक से संपर्क किया और उन्हें सती प्रथा की भयावहता से अवगत कराया। उनके ठोस तर्क, जनसमर्थन और नैतिक शक्ति के बल पर 1829 में ‘सती प्रथा निषेध अधिनियम’ पास हुआ। इस अधिनियम के तहत सती को कानूनी रूप से अपराध घोषित कर दिया गया। यह कदम न सिर्फ कानून की जीत थी, बल्कि उस सोच की भी जीत थी जो महिलाओं को जीने का अधिकार देना चाहती थी। राजा राम मोहन राय इस ऐतिहासिक परिवर्तन के सूत्रधार बने।
 
महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर: सती प्रथा के उन्मूलन के साथ-साथ राजा राम मोहन राय ने महिलाओं को समान अधिकार देने की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण पहल की। उन्होंने पुनर्विवाह का समर्थन किया और महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिलाने की मांग उठाई। वे मानते थे कि समाज तभी आगे बढ़ेगा जब उसमें महिलाओं को भी बराबरी का स्थान मिलेगा।
 
समाज में बदलाव के प्रेरणास्त्रोत: राजा राम मोहन राय का उद्देश्य केवल एक प्रथा का विरोध करना नहीं था, बल्कि वे पूरे सामाजिक ढांचे में बदलाव लाना चाहते थे। उन्होंने परंपराओं को चुनौती दी, लोगों की सोच बदली और भारत में आधुनिक समाज की नींव रखी। उनका संघर्ष आज भी हमें यह सिखाता है कि जब समाज गलत रास्ते पर चल रहा हो, तो एक व्यक्ति भी परिवर्तन की शुरुआत कर सकता है।
 
राजा राम मोहन राय का सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन सिर्फ एक सामाजिक सुधार नहीं था, यह मानवता की जीत थी। उन्होंने दिखाया कि साहस, ज्ञान और संकल्प के साथ कोई भी अन्याय मिटाया जा सकता है। आज हम जो स्वतंत्रता और अधिकारों की बातें करते हैं, उनकी नींव उन्हीं सुधारकों ने रखी थी।उनकी यह विरासत हमें आज भी प्रेरित करती है कि हम भी अपने समय की बुराइयों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं, क्योंकि बदलाव की शुरुआत हमेशा सोच से होती है। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को हुआ प्रोस्टेट कैंसर, जानिए कितनी खतरनाक है यह बीमारी, लक्षण और उपचार