Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बिहार चुनाव में NDA के सीट बंटवारे में चिराग हुए रोशन, दलित वोट बैंक पर पकड़ या सियासी मजबूरी?

Advertiesment
हमें फॉलो करें Bihar Assembly Elections 2025

विकास सिंह

, सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 (14:57 IST)
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन NDA  में सीटों का बंटवारा हो गया है। सीट समझौता फॉर्मूले के मुताबिक राज्य में भाजपा और जेडीयू बराबर 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं चिराग पासवान की पार्टी को 29 सीटों और उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी को 6-6 सीटें दी गई हैं। बिहार में  NDA  में सीट बंटवारे को लेकर सबसे अधिक फायदा चिराग पासवान को होता दिख रहा है। बिहार में NDA में सीट बंटवारे ने यह साफ कर दिया है कि एनडीए की रणनीति में चिराग पासवान अब छोटे सहयोगी नहीं, बल्कि मुख्य चेहरा बन गए हैं।
ALSO READ: Bihar Elections 2025 : बिहार चुनाव के लिए NDA ने किया सीट बंटवारे का ऐलान, BJP-JDU को मिलेंगी 101-101 सीटें
क्यों मिली चिराग पासवान को 29 सीटें?-बिहार में बिना किसी विधायक वाली लोक जनशक्ति पार्टी को 29 सीटें मिलना चिराग की प्रेशर पॉलिटिक्स का नतीजा बताया जा रहा है। गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे मात्र एक सीट मिली थी। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी ने 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे चुनाव में पार्टी 5.64 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। दिलचस्प बात यह थी कि चिराग के अकेले चुनाव लड़ने का खामियाजा सीधे जेडीयू को उठाना पड़ा था और उसके कई उम्मीदवारों की नजदीकी मुकाबले में हार हुई थी। चिराग के कारण नीतीश कुमार की पार्टी को 43 सीटों पर सिमटना पड़ा। ऐसे में इस बार जब बिहार में मुकाबला नजदीकी माना जा रहा है तब NDA किसी भी तरह अपने वोट बैंक में बिखराव का जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है और यहीं कारण है कि चिराग पासवान 29 सीट लेने में सफल हुए।
ALSO READ: बिहार में बाहुबली सूरजभान सिंह ने 20 साल बार फिर दी अनंत सिंह को खुली चुनौती!
वहीं पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी पांचों सीटों पर उसको जीत हासिल हुई। इसके बाद से चिराग पासवान विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग में प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे थे और उन्होंने कई मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना भी की। वहीं चिराग पासवान जो मोदी सरकार में मंत्री भी है, खुलकर मोदी की तारीफ कर रहे थे। ऐसे में अब जब बिहार मे भाजपा और जेडीयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रहे है तब चिराग पासवान को 29 सीटें मिलना सियासी जनाकारों के मुताबिक भाजपा का चिराग के प्रति नरम रूख के तौर पर देखा जा रहा है। सीट बंटवारे पर आरजेडी ने तंज कसते हुए कि कहा कि भाजपा और चिराग ने 130 सीटें बांट ली है और चुनाव के बाद जेडीयू को खत्म कर देंगे।

दलित वोट बैंक पर खासी पकड़- बिहार में 20 फीसदी दलित वोटर्स पर चिराग पासवान की पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी का खासा असर माना जाता है। चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान का बिहार के दलित वोटर्स के बीच खासी पकड़ मानी जाती है। दलित वोटर्स मे आने वाले दुसाध समुदाय में रामविलास पासवान का खासा असर माना जाता है और दुसाध समुदाय कई विधानसभा सीटों पर गेमचेंजर की भूमिका में है। NDA  में चिराग पासवान जातीय समीकरण को साधने की राजनीति करते आए है, भाजपा को जहां सवर्ण और शहरी वोटरों का समर्थन मिलता है, वहीं जेडीयू को कुर्मी और पिछड़े वर्ग का. ऐसे में चिराग की पार्टी दलित समुदाय को जोड़ती है, जिससे गठबंधन की सामाजिक पकड़ और मजबूत होती है.

बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के नारे के साथ अपनी राजनीति करने वाले चिराग पासवान का बिहार के युवा वोटर्स में भी खासा असर भी देखा जा रहा है। बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले जानकारों का मानना है कि चिराग की महत्वाकांक्षा अब सिर्फ कुछ सीटें जीतने तक सीमित नहीं है. वह खुद को बिहार की अगली पीढ़ी के नेताओं में स्थापित करना चाहते हैं और चुनाव के बाद भी वह प्रेशर पॉलिटिक्स करते नजर आ सकते है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi