क्या बिहार चुनाव में नीतीश की सत्ता बचा पाएगी 'सोशल इंजीनियरिंग'

Webdunia
शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020 (16:58 IST)
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जदयू (JDU) के उम्मीदवारों की सूची में नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत बनाने की प्रयास की स्पष्ट छाप सामने आई है, जिसमें एक तरफ अति पिछड़ा वर्ग में पैठ को गहरा बनाने और दूसरी तरफ विरोधी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मुस्लिम-यादव समीकरण (एम-वाई) में सेंध लगाने की कोशिश है।
 
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों के बंटवारे के तहत 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए जदयू को 122 सीटें मिली थीं। जदयू ने अपने खाते में से सहयोगी जीतनराम मांझी की हम पार्टी को सात सीटें दी हैं। इसके बाद पार्टी ने 115 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची बुधवार को जारी कर दी।
 
उम्मीदवारों की सूची में अति पिछड़ा वर्ग को प्रमुखता मिली है। पार्टी ने अति पिछड़ा वर्ग से 19 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। नीतीश कुमार ने सोशल इंजीनियरिंग की कवायद के तहत पिछले वर्षों में अति पिछड़ा वर्ग को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षण में इस वर्ग के लिए उप कोटा पेश करने सहित कई अन्य कदम शामिल हैं।
 
गौरतलब है कि काफी समय तक अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का झुकाव राजद की ओर रहा था और यह वर्ग लालू प्रसाद की पार्टी का वोट बैंक माना जाता था, लेकिन नीतीश कुमार के अलग होने के बाद से स्थितियां बदल गई हैं।
 
इस सूची में उल्लेखनीय बात यह है कि यादव समुदाय से 19 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। यह समुदाय काफी हद तक लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ रहा है।
 
यादव समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों में वर्तमान विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव, पूनम यादव शामिल हैं। हालांकि, इस बार जदयू ने नए नेताओं- चंद्रिका यादव, जयवर्द्धन यादव ऊर्फ ‘बच्चा’ को भी टिकट दिया। यादव समुदाय से इतने उम्मीदवारों को टिकट देने से नीतीश की रणनीति साफ दिखाई देती है। 
 
नीतीश कुमार के राजद का साथ 2015 के विधानसभा जीतने और कुछ समय सरकार चलाने के बाद भाजपा के साथ दोबारा गठजोड़ करने तथा सरकार बनाने को लेकर इस समुदाय में असंतोष बताया जाता रहा है।
 
चंद्रिका राय को परसा सीट से टिकट दिया गया है, जो एश्वर्या राय के पिता हैं, जिनका विवाह लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव के साथ 2018 में हुआ था। लेकिन शादी के छह महीने बाद ही पति ने उनका साथ छोड़ दिया था। चंद्रिका राय बिहार में कई बार विधायक रहे हैं और उनके पिता दरोगा प्रसाद राय राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।
 
जयवर्द्धन यादव उर्फ ‘बच्चा’ ने वर्ष 2015 में राजद के टिकट पर पालीगंज से चुनाव जीता था। वे कुछ महीने पहले जद (यू) में शामिल हुए थे। राजद ने पालीगंज सीट महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के तहत भाकपा-माले को दिया है।
 
जदयू ने 18 यादव और 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर राजद के ‘मुस्लिम-यादव समीकरण’ में सेंध लगाने का प्रयास किया है। 12 कुर्मी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनकी संख्या राज्य की आबादी के लिहाज से कम हैं, लेकिन कुमार इसी समुदाय से आते हैं।
राज्य में रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण कुशवाह समुदाय माना जाता है और जदयू ने इस वर्ग से 15 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। राज्य में कुशवाह समुदाय की संख्या अन्य पिछड़ा वर्ग में यादवों के बाद सबसे बड़ी है।
 
रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इस समुदाय को अपने साथ लाने के लिए काफी प्रयास किया है हालांकि कई कारणों से अभी तक समुदाय को अपने साथ नहीं जोड़ पाए हैं। 
 
जदयू ने 17 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों को दी हैं। पार्टी को उम्मीद है कि चिराग पासवान के लोजपा का साथ छूटने के बाद जीतन राम मांझी के सहयोग से दलितों को साथ ला सकेंगे। पार्टी ने अगड़ी जातियों के 19 उम्मीदवारों को टिकट दिया है और यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह हर वर्ग की चिंता करती है।
 
अगड़ी जातियों में जदयू ने सात राजपूतों को टिकट दिया है, जबकि 10 भूमिहारों को उम्मीदवार बनाया गया है। जदयू ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह के पुत्र सत्यप्रकाश सिंह को पार्टी में शामिल किया है और उम्मीद की जा रही है कि उन्हें बाद में विधान परिषद भेजा जाएगा। 

भूमिहार उम्मीदवारों में जदयू ने मोकामा से राजीव लोचन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। मृदुभाषी राजीव लोचन सिंह की जड़ें संघ परिवार से जुड़ी रही हैं और उन्हें इलाके में ‘साधु बाबा’ के नाम से जाना जाता है।
राजीव लोचन को कई बार विधायक रहे बाहुबली अनंत सिंह के खिलाफ टिकट दिया गया है। अनंत सिंह राजद को राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
 
जदयू ने भूमिहार समुदाय के एक अन्य उम्मीदवार सुदर्शन कुमार को टिकट दिया है जो बरबीघा से वर्तमान विधायक हैं। सुदर्शन कुमार हाल ही में कांग्रेस छोड़कर जदयू में शामिल हुए हैं।

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