भागलपुर। बिहार में दूसरे चरण में 3 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भागलपुर जिले की 5 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अपने प्रत्याशी खड़े कर राजग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भागलपुर जिले में विधानसभा की कुल 7 सीटें हैं और इनमें से 4 भागलपुर, कहलगांव, पीरपैंती एवं बिहपुर पर महागठबंधन का कब्जा है वहीं शेष 3 नाथनगर, गोपालपुर तथा सुल्तानगंज में राजग ने पिछले चुनाव में अपना परचम लहराया था।
प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को हुए चुनाव में सुल्तानगंज और कहलगांव सीट के लिए मतदान हो चुका है। बिहार में कभी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का गढ़ माने जाने वाले पीरपैंती (सुरक्षित) सीट पर वर्ष 1972 से 1995 तक भाकपा के दिग्गज नेता अंबिका प्रसाद का कब्जा रहा। इसके बाद कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी काबिज हुए। फिर वर्ष 2015 के चुनाव में राजद के रामविलास पासवान ने भाजपा के ललन पासवान को करीब 32 हजार मतों से शिकस्त देकर इस सीट पर राजद का कब्जा कायम किया।
इस बार भी दोनों प्रत्याशी फिर से मैदान में है लेकिन इस बार टिकट पाने से वंचित भाजपा के बागी पूर्व विधायक अमन कुमार निर्दलीय मैदान में कूदकर यहां के चुनावी संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुए हैं। इससे राजग के ललन पासवान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन 3 प्रत्याशियों समेत कुल 21 प्रत्याशी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यहां कुल 3 लाख 33 हजार 888 मतदाता हैं।
'मिनी राजस्थान' के नाम से मशहूर भागलपुर सीट पर काबिज महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा को टक्कर देने के लिए राजग की ओर से भाजपा के रोहित पांडेय को उतारा गया है, वहीं दोनों के खिलाफ लोजपा ने उपमहापौर राजेश वर्मा को खड़ा किया है। यहां से कुल 8 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा और लोजपा दोनों के प्रत्याशी नए चेहरे हैं और हाल के कुछ वर्षों से भागलपुर शहर में उन दोनों की गतिविधियों से जनता परिचित हुई है। यह सीट भाजपा की परंपरागत मानी जाती रही है।
जनसंघ से जुड़े वर्तमान केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने लंबे समय तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। चौबे के बक्सर से भाजपा के टिकट पर सांसद चुने जाने के बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा के खिलाफ भाजपा ने उनके पुत्र अर्जित शाश्वत को उतारा था लेकिन भाजपा के ही विजय साह ने टिकट
नहीं मिलने पर बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। नतीजतन भाजपा प्रत्याशी की हार हुई और विजय साह के कारण कांग्रेस के अजीत शर्मा ने 10 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की थी।
राजग ने केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत को वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देकर नए चेहरे जिला भाजपा अध्यक्ष रोहित पांडेय को मैदान में उतारा है लेकिन वैश्य बहुल भागलपुर सीट से किसी वैश्य नेता को इस बार भी प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से नाराज भाजपा के पुराने कार्यकर्ता विजय साह एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में डटे हैं। इस तरह लोजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा एवं विजय साह के चुनाव लड़ने से भाजपा प्रत्याशी रोहित पांडेय की जीत के रास्ते में अवरोध देखा जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के अजीत शर्मा को इसका फायदा हो सकता है। यहां कुल 3 लाख 32 हजार 961 मतदाता हैं।
इधर बुनकर बहुल नाथनगर सीट पर कुल 8 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं जिनमें राजग से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के निवर्तमान विधायक लक्ष्मीकांत मंडल, राजद के नए प्रत्याशी अली अशरफ सिद्दीकी और लोजपा के अमर कुशवाहा मुख्य रूप से मैदान में हैं। यहां पर त्रिकोणीय संघर्ष जैसी स्थिति बनती दिख रही है। वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू के अजय कुमार मंडल ने अपने प्रतिद्वंद्वी रालोसपा के अमर कुशवाहा को 8 हजार से अधिक मतों से हराया था। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू विधायक अजय कुमार मंडल को भागलपुर सीट से उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में मोदी लहर में अजय मंडल ने राजद के शैलेष कुमार उर्फ बुलो मंडल को रिकॉर्ड मतों के अंतर से हराकर संसद पहुंच गए।
मंडल के सांसद बनने से रिक्त हुई नाथनगर सीट के लिए उसी वर्ष हुए उपचुनाव में जदयू प्रत्याशी लक्ष्मीकांत मंडल ने राजद की रबिया खातून को करीब 5 हजार मतों से हराकर जदयू की लाज बचाई थी, क्योंकि इस दौरान अन्य सीटों पर हुए उपचुनाव में जदयू के प्रत्याशी हार गए थे। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में राजग ने एक बार फिर जदयू के निवर्तमान विधायक लक्ष्मीकांत मंडल को मैदान में उतारा है।
जदयू और राजद प्रत्याशी को टक्कर देने के लिए लोजपा ने पुराने चेहरे अमर कुशवाहा पर भरोसा जताया है, जो यहां की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। यहां कुल मतदाता की संख्या 3 लाख 25 हजार
18 है। दूसरी ओर गंगा नदी के पार गोपालपुर विधानसभा सीट पर काबिज जदयू प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल चौथी बार विधायक बनने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं, वहीं राजद ने उनके खिलाफ नए चेहरे शैलेष कुमार को मैदान में उतारा है जबकि लोजपा ने भाजपा के दिग्गज नेता सुरेश भगत को प्रत्याशी बनाकर यहां के संघर्ष को त्रिकोणीय बना दिया है।
जदयू प्रत्याशी मंडल वर्ष 2005 से लगातार 3 बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में मंडल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अनिल यादव को 5 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था जबकि निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश भगत करीब 6 हजार वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर थे। उस समय जदयू के
साथ राजद का गठबंधन था। लेकिन इस बार वैसी स्थिति नहीं है और अब जदयू को भाजपा का साथ है। लोजपा ने भगत को खड़ा कर राजग के गोपाल मंडल की बेचैनी बढ़ा दी है, क्योंकि लोजपा प्रत्याशी भगत के कारण भाजपा के वैश्य वोटर के साथ-साथ पासवान समेत अन्य दलित मतदाताओं का मोह राजग से भंग हो सकता है। यहां कुल 2 लाख 69 हजार 407 मतदाता हैं।
इसी तरह बिहपुर विधानसभा सीट पर राजग की ओर से भाजपा के इंजीनियर शैलेन्द्र कुमार और राजद की ओर से निवर्तमान विधायक वर्षारानी के स्थान पर उम्मीदवार बनाए गए उनके पति एवं पूर्व सांसद शैलेष कुमार उर्फ बुलो मंडल के बीच आमने-सामने की टक्कर है। बिहपुर भाजपा की परम्परागत सीट मानी जाती है और इस बार भाजपा प्रत्याशी इंजीनियर शैलेन्द्र अपनी हार का बदला लेने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
वर्ष 2015 के चुनाव में राजद की वर्षारानी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के इंजीनियर शैलेन्द्र को 12 हजार से अधिक मतों से हराकर विधानसभा पहुंची थीं। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 2 लाख 58 हजार 454
है। बहरहाल, भागलपुर जिले की इन 5 सीटों पर राजग, महागठबंधन और लोजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, वहीं राजग के कुछ प्रत्याशी भीतरघात की आशंका से खासे परेशान नजर आ रहे हैं। मतदान का समय बिलकुल नजदीक आने के बावजूद मतदाताओं की चुप्पी से भी प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ी हुई है। (वार्ता)