बिहार चुनाव : इमामगंज सीट पर जीतनराम और उदय नारायण के बीच होगी कांटे की टक्कर

Webdunia
सोमवार, 19 अक्टूबर 2020 (17:15 IST)
गया। बिहार विधानसभा के लिए 28 अक्टूबर को प्रथम चरण में होने वाले चुनाव में हाइप्रोफाइल इमामगंज (सुरक्षित) सीट पर जहां हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी एक बार फिर से कब्जा बरकरार रखने के प्रयास में हैं, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायाण चौधरी की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है।

मांझी ने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रत्याशी उदय नारायाण चौधरी को 29408 मतों के अंतर से मात दी थी। इस बार के चुनाव में सियासी समीकरण बदल चुका है। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सिपहसालार रहे चौधरी इस बार जदयू का साथ छोड़कर राजद का ‘लालटेन’ थाम चुके हैं। वहीं मांझी एक बार फिर से मुख्यमंत्री कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए हैं।


इन दोनों वरिष्ठ नेताओं की राजनीतिक दुश्मनी उस समय से है जब मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले चौधरी के खिलाफ नक्सलियों से संबंध होने और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता राजेश कुमार की हत्या में उनकी संलिप्तता होने के आरोपों की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो से कराने की संस्तुति कर दी थी। चौधरी ने इसके बाद राज्यसभा चुनाव के समय मांझी के समर्थक आठ विधायकों की मान्यता रद्द कर दी थी और उन्हें असंबद्ध सदस्य घोषित कर दिया था।

चौधरी इमामगंज सीट से पांच बार चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं। वर्ष 1990 में जनता दल, वर्ष 2000 में समता पार्टी और फरवरी 2005, अक्टूबर-नवंबर 2005 और 2010 में जदयू के टिकट पर चुनाव जीतकर वह विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर-नवंबर 2005 में हुए चुनाव में राजद के रामस्वरूप पासवान दूसरे स्थान पर रहे थे।

वर्ष 2010 के चुनाव में राजद ने पासवान की जगह रोशन कुमार को मैदान में उतारा था। वर्ष 2015 के चुनाव में चौधरी के खिलाफ सत्ताविरोधी रुझान हावी था। मांझी पहली बार इस सीट से किस्मत आजमा रहे थे। साथ ही राज्य में लालू-नीतीश गठजोड़ की लहर थी, बावजूद इसके राजग की तरफ से हम उम्मीदवार मांझी की ही जीत हुई थी।

इमामगंज विधानसभा सीट का गठन वर्ष 1957 में हुआ और इसी साल हुए चुनाव में अंबिका प्रसाद सिंह ने कांग्रेस की चंद्रावती देवी को पराजित किया था। वर्ष 1962 में सिंह ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के जगलाल महतो को परास्त किया। वर्ष 1967 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गई। वर्ष 1967 में कांग्रेस के टिकट पर डी. राम ने जीत हासिल की। वर्ष 1969 में इस सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के ईश्वर दास ने जीत का परचम लहराया था।

इसके बाद वर्ष 1972 में कांग्रेस के अवधेश्वर राम निर्वाचित हुए। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के ईश्वर दास विजयी रहे। 1980 और 1985 में कांग्रेस के श्रीचंद सिंह विधायक चुने गए। वर्ष 1990 में जनता दल के टिकट पर उदय नारायण चौधरी निर्वाचित हुए।
वर्ष 1995 में राजद के रामस्वरूप पासवान विधायक चुने गए। इसके बाद हुए अगले चार चुनाव में चौधरी का कब्जा बरकरार रहा। इमामगंज (सु) सीट पर वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 10 प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन कांटे की टक्कर मांझी और चौधरी के बीच ही मानी जा रही है।(वार्ता) 

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