Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

ये‍ हैं बिहार में महागठबंधन की जीत के नायक

हमें फॉलो करें ये‍ हैं बिहार में महागठबंधन की जीत के नायक
, रविवार, 8 नवंबर 2015 (13:52 IST)
बिहार चुनाव में नीतीश और लालू यादव और कांग्रेस के महागठबंधन ने जीत दर्ज कर फिर सरकार बनाने की राह पर है। बिहार के इस चुनाव में दलों के साथ ही दो बड़े नेताओं के चेहरों में भी मुकाबला था। बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी धुआंधार सभाएं कीं, लेकिन उनकी सभाओं की भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी। ये हैं महागठबंधन की जीत के नायक- 
1. नीतीश कुमार : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार चुनाव में इस बार रैलियों के साथ ही सोशल मीडिया पर अपने प्रचार से सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाया। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डीएनए वाले बयान को भी इस चुनाव में खूब भुनाया।  'बढ़ चला बिहार', चौपाल पर चर्चा', 'पर्चे पर चर्चा', 'हर घर दस्तक' जैसे अभियानों की शुरुआत कर उन्होंने जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश की और उनके ये अभियान जीत में बेहद सफल रहे। उन्होंने कार्यकाल में महिलाओं के लिए जो योजनाएं चलाई थीं, उसका लाभ नीतीश कुमार को इस चुनाव में मिला। 
 
2. लालू प्रसाद यादव : राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव ने इस बार जेडीयू और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया और सत्ता की राह पर उनकी यह रणनीति बिलकुल सटीक बैठी। भाजपा के 'जंगल राज' वाले बयान को भी लालू यादव ने खूब भुनाया। इसके साथ ही लालू का जाति कार्ड भी इस बार सफल रहा। वे मुस्लिम-यादव समीकरण को साधने में सफल रहे, जो लोकसभा चुनाव में उनकी हार का सबब बना था। लालू ने अपने अनोखे अंदाज में धुआंधार प्रचार किया और उसका ही परिणाम है कि लालू की पार्टी की बिहार में वापसी हुई है। लालू यादव की बेटी के मुताबिक उनके पिता ने चुनाव प्रचार में एक-एक दिन में 9-9 सभाएं कीं। 
 
3. प्रशांत किशोर : लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने में में प्रशांत किशोर की रणनीति का बहुत बड़ा हाथ था। चाय पर चर्चा, थ्रीडी प्रचार प्रशांत किशोर की दिमाग की उपज थे। मगर नरेन्द्र मोदी के चुनाव प्रबंधन और रणनीतिकार का जिम्मा संभालने वाले प्रशांत इस बार नीतीश कुमार के साथ हो गए। प्रशांत ने बिहार चुनाव में वही रणनीति अपनाई, जो उन्होंने लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए अपनाई थी। नीतीश कुमार पर मोदी के डीएनए वाले बयान के बाद लोगों के डीएनए सैंपल जमा करके मोदी को भेजने का बेहतरीन आइडिया प्रशांत का ही था।
 
जनता तक नीतीश की बात पहुंचाने के लिए उन्होंने 'चौपाल पर चर्चा', 'पर्चे पर चर्चा', 'हर घर दस्तक', नीतीश कुमार पर कॉमिक्स 'मुन्ना से नीतीश' और मोदी के डीएनए वाले बयान के खिलाफ 'शब्द वापसी आंदोलन' जैसे कार्यक्रम चलाए। बिहार के पढ़े-लिखे और इंटरनेट सेवी लोगों के लिए भी 'आस्क नीतीश' जैसे हाईटेक कार्यक्रम चलाकर उन्होंने नीतीश की बात बिहार की जनता तक पहुंचाई और इसका असर चुनाव परिणामों में दिखा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi