पटना। बिहार में करीब 35 वर्ष तक शासन करने के बाद चार सीटों तक सिमट गई कांग्रेस को इस बार नीतीश कुमार के विकास पुरुष की छवि और लालू प्रसाद यादव के आधार वोट ने विधानसभा की 27 सीट पर जीत दिला दी। इस जीत ने उसे राज्य में नया जीवन दे दिया है।
विधानसभा के इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने जदयू और राजद से गठबंधन कर 41 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारा था जिसमें से उसे 27 सीटों पर जीत मिली है। महागठबंधन में जब कांग्रेस को समझौते के तहत चुनाव लड़ने के लिए 41 सीटें मिली थी तब लोगों को लग रहा था कि बिहार में जनाधार खो चुकी पार्टी को जदयू-राजद ने कुछ ज्यादा ही सीट दे दी है।
प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक ने कह दिया था कि महागठबंधन ने 41 सीट उन्हें मतदान से पहले ही थाली में परोस कर दे दी है।
कांग्रेस के 27 विधायक नरकटियागंज, बेतिया, रीगा, बेनीपट्टी, भागलपुर, कहलगांव, औरंगाबाद, बक्सर, बरबीघा, विक्रम, तरारी, भोरे, मांझी, रोसड़ा, बछवाड़ा, बेगूसराय, कुटुम्बा (सु),वजीरगंज, गोविंदपुर, सिकंदरा, बहादुरगंज ,त्रिवेणीगंज ,अमौर, कसबा, कदवा, मनिहारी और कोढ़ा क्षेत्र से चुने गए है।
इसके साथ ही अब कांग्रेस की राज्य के 38 में से 20 जिलों में उपस्थिति हो गई है। इनमें पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, दरभंगा, भागलपुर, औरंगाबाद, बक्सर , शेखपुरा, पटना, भोजपुर, गोपालगंज, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय , गया, नवादा, जमुई, किशनगंज, सुपौल, पूर्णियां और कटिहार जिला शामिल है। (वार्ता)