भोपाल। भोपाल नगर निगम परिषद की बैठक में शनिवार को जमकर बवाल हुआ। महापौर आलोक शर्मा के इंजीनियरों की कमीशनखोरी पर दिए एक बयान से अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच सीधा मोर्चा खुल गया। निगम आयुक्त छवि भारद्वाज इस बात से नाराज होकर बैठक से चली गईं।
बाद में मीडिया से बातचीत में उन्होंने महापौर के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। कुछ देर बाद ही सिटी इंजीनियर आरके गोस्वामी की अगुआई में इंजीनियरों ने आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर महापौर के बयान वापस न लेने पर उन्हें जबरिया छुट्टी पर भेजने की मांग कर दी।
इसकी जानकारी लगते ही भाजपा और कांग्रेस पार्षद एकजुट हो गए। वे बैठक में आरके गोस्वामी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव ले आए। इस पर निगम अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान ने गोस्वामी को उनके मूल विभाग नगरीय प्रशासन वापस भेजने का आदेश दे दिया, हालांकि निगम आयुक्त को ही इसका फैसला लेने का अधिकार है।
दरअसल, बवाल की शुरुआत तब हुई, जब ई-फाइलिंग और ई-टेंडरिंग व्यवस्था पर पार्षदों ने जमकर आपत्ति जताई। कई महीने से काम और कोटा बुक न होने का आरोप लगाया। इसके लिए नगर यंत्री आरके गोस्वामी को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें मूल विभाग में वापस भेजने की मांग की।
महापौर शर्मा ने वक्तव्य दिया कि कुछ इंजीनियर नहीं चाहते कि यह व्यवस्था लागू हो। बार-बार कहने पर भी कुछ इंजीनियर नहीं सुधर रहे हैं। 5-5 फीसदी का कमीशन ले रहे हैं। उन्होंने उनके खिलाफ सबूत जुटा लिए हैं। आयुक्त दिन-रात मेहनत कर रही हैं, पर नीचे का सिस्टम नहीं सुधर रहा।
महापौर ने इंजीनियर फुलेरे, केसी गुप्ता का नाम लेकर गुमराह न करने के लिए कहा। महापौर के बयान देने के कुछ देर बाद ही आयुक्त नाराज होकर बैठक से चली गईं और अपने कक्ष में जाकर बैठ गईं। फिर बैठक खत्म होने तक वो नहीं लौटीं।
महापौर के बयान की जानकारी लगते ही गोस्वामी की अगुआई में सभी इंजीनियर इकट्ठा हो गए। बयान पर आपत्ति जताते हुए शर्मा को ज्ञापन देने की कोशिश की। महापौर ने उन्हें ज्ञापन आयुक्त को देने के लिए कहा।
आयुक्त से इंजीनियरों ने कहा कि बिना सबूत सार्वजनिक तौर से आरोप लगाना ठीक नहीं है। महापौर बयान वापस नहीं लेंगे तो हमे फोर्स लीव पर भेज दिया जाए। इसके बाद इंजीनियरों ने एक बैठक भी की। इसमें तय किया गया कि छुट्टी के दिन काम नहीं करेंगे। रोजाना 8 घंटे ही ड्यूटी करेंगे। साथ ही बिना सबूत जो बात कही गई, उसकी निंदा की।
इंजीनियरों के ज्ञापन के बाद कांग्रेस और भाजपा पार्षद दल ने बैठक की। इसके बाद परिषद में गोस्वामी के खिलाफ सामूहिक निंदा प्रस्ताव ले आए। इसे अनुशासनहीनता बताते हुए कार्रवाई की मांग की। इस पर अध्यक्ष ने गोस्वामी की कार्यशैली, अनुशासनहीनता की भर्त्सना करते हुए उन्हें मूल विभाग में वापस भेजने का आदेश दे दिया। (वार्ता)