बाजारों में केमिकल युक्त रंग सबसे अधिक रहे हैं। सभी रंग एक जैसे दिखने पर उनमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इन रंगों में केमिकल की अत्यधिक मात्रा होने पर यह सीधे आपकी त्वचा को बेकार करते हैं साथ ही इंफेक्शन का भी खतरा होता है। इनमें कई प्रकार की मिलावट की जाती है। जैसे - लेड, क्रोमियम, सिलिका आदि। तो आइए जानते हैं किन रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
काला - इसमें लेड ऑक्साइड होता है। जिसका असर आपकी किडनी पर पड़ता है। त्वचा पर एलर्जी या इन्फेक्शन होने पर किडनी भी प्रभावित होती है। साथ ही दिमाग पर भी असर पड़ता है और सीखने की क्षमता कम होती है।
सिल्वर - होली पर लड़के जरूर सिल्वर कलर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इसमें एल्युमिनियम ब्रोमाइड जो कि एक कार्सिनोजेनिक होता है। कार्सिनोजेनिक से कैंसर पैदा करने के तौर पर माना जाता है।
लाल - लाल रंग में मरक्यूरी सल्फेट होता है। जिससे त्वचा के कैंसर का खतरा अधिक होता है साथ ही लकवा का खतरा भी बढ़ जाता है। आप घर पर भी लाल रंग कई तरह से बना सकते हैं। पलाश के फूल का उपयोग कर लाल रंग बनाए जा सकता है। चुकंदर से भी लाल रंग तैयार किया जा सकता है।
हरा - हरा रंग कॉपर सल्फेट से तैयार किया जाता है। इसका रंग आंखों में चले जाने पर एलर्जी भी हो सकती है। आप इसे प्राकृतिक तौर पर भी तैयार कर सकते हैं। मेहंदी की सुखी पत्तियों से हरा रंग तैयार किया जा सकता है।
बैंगनी रंग - इसमें क्रोमियम आयोडाइड मिक्स किया जाता है। जिससे अस्थमा और एलर्जी का खतरा होता है।