इमरान क़ुरैशी, बैंगलुरु से, बीबीसी हिंदी के लिए
बी.एस. येदियुरप्पा के चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके नाम में तब्दीली देखने को मिली है। Yeddyurappa से उनके नाम की स्पेलिंग Yediyurappa हो गई है। यानी उन्होंने अपने नाम से एक 'डी' हटा दिया है और एक 'आई' जोड़ लिया है।
दरअसल, ऐसा करने के लिए उन्हें ज्योतिष ने कहा था और उन्होंने फ़ौरन ऐसा किया भी। और ऐसा लगता है कि ये काम भी कर गया। कम से कम, वो तो यही मान रहे होंगे।
ज़रा उस चिट्ठी पर नज़र दौड़ाइए, जो सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए उन्होंने राज्यपाल वजुभाई वाला को शुक्रवार को दी थी। आप पाएंगे कि इसमें उन्होंने अपने नाम में अतिरिक्त 'डी' का इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन 2008 में मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने जो प्रेस नोट भेजा था, उसमें उनके नाम में ये अतिरिक्त 'डी' था।
ये भी उन्होंने एक ज्योतिष की सलाह पर ही किया था। कहा जाता है कि उन्होंने ये सलाह तब ली थी जब 2007 में वो सिर्फ़ एक हफ्ते के लिए ही मुख्यमंत्री रह पाए थे।
पहचान ज़ाहिर ना करने की शर्त पर बीजेपी के एक कार्यकर्ता ने बीबीसी हिंदी से कहा, 'ये पावर पॉलिटिक्स का युग है। सरकार बनाने का दावा करने के फ़ैसले को आप किसी वैचारिक चश्मे से ना देखें। केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार बनाने का फ़ैसला किया और वो (येदियुरप्पा) कर्नाटक में सबसे बड़े नेता हैं।'
येदियुरप्पा की मान्यता में आए बदलाव का एक और हैरान करने वाला पक्ष ये है कि उन्होंने तब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का फ़ैसला किया, जब 'आषाढ़ का अशुभ महीना' पूरा होने में तीन दिन बाकी हैं।
'आषाढ़' महीने में कोई नया काम हाथ में नहीं लिया जाता या ना नई चीज़ों को लागू किया जाता है। यहां तक कि, येदियुरप्पा ने 2008-2013 में पार्टी की हाई कमांड के ख़िलाफ़ अपने विद्रोह को इसलिए टाल दिया था, क्योंकि वो चाहते थे कि यह महीना बीत जाए। लेकिन ये कहना ग़लत होगा कि सिर्फ़ येदियुरप्पा ही ज्योतिष की दी सलाह पर अमल करते हैं।
पिछले हफ़्ते की ही बात है। लोगों का ध्यान लोक निर्माण मंत्री और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भाई एचडी रेवन्ना की ओर ना होकर उनके पैरों की ओर था। उनके भाई की ओर से लाए गए विश्वास मत की चर्चा के दौरान वो विधानसभा में नंगे पांव आए थे।
रेवन्ना मज़ाक का पात्र भी बने, क्योंकि वो कई बार हाथ में एक या दो, तो कभी चार नींबू लेकर इधर-उधर घूमते नज़र आए। ये नींबू उन्हें मंदिर में प्रसाद के तौर पर मिले थे। दक्षिण भारत में नींबू 'प्रसाद' में दिए जाते हैं।
राजनीतिक गलियारे में ये सबको अच्छे से पता है कि रेवन्ना अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की तरह ही ज्योतिष में काफ़ी विश्वास रखते हैं।
मई 2018 में मंत्री बनने के बाद क़रीब एक महीने तक रेवन्ना रोज़ 350 किलोमीटर गाड़ी से सफ़र कर अपने गृह क्षेत्र हासन ज़िले के होलेनारसीपुरा शहर जाया करते थे। इसका कारण था, जो आधिकारिक बंगला उन्हें मिला था, वो वास्तु के अनुरूप नहीं था।
कुमारास्वामी ने सदन से कहा, 'भगवान में आस्था रखने वाला हर इंसान मंदिर जाता है। क्या आपको प्रसाद में नींबू नहीं मिलता? मेरा भाई भगवान से बहुत डरता है। इस वजह से लोग उस पर गैरज़रूरी आरोप लगाते हैं कि वो काला जादू करता है।' कुमारास्वामी की दायीं तरफ येदियुरप्पा बैठे थे और उनके चेहरे पर सौम्य मुस्कान थी।
सदन की लॉबी में एक बीजेपी सदस्य ने कहा, 'सिर्फ़ येदियुरप्पा ही वो इंसान है जो रेवन्ना से सहानुभूति रख सकते हैं। लेकिन कृपया मेरे हवाले से ये बात मत कहिएगा। अजीब माहौल चल रहा है। पता नहीं किसको क्या बुरा लग जाए।'