- अनंत प्रकाश
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को बीजेपी और कांग्रेस को लगभग चौंकाते हुए भारतीय करेंसी में हिंदू देवी-देवताओं गणेश-लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की अपील की है। ये अपील करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश इंडोनेशिया ऐसा कर सकता है तो भारत क्यों नहीं?
आम आदमी पार्टी के मुखिया ने यहां तक कहा है कि इंडोनेशिया की आबादी में 85 फ़ीसदी जनता मुस्लिम है और मात्र दो फ़ीसदी जनता हिंदू है, फिर भी गणेश जी की तस्वीर उनकी करेंसी पर है। अरविंद केजरीवाल ने बुधवार सुबह लगभग 11 बजे ये मुद्दा उठाया था। इसके बाद टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ये मुद्दा छा गया।
गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक़, केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद 'इंडोनेशिया की करेंसी' कीवर्ड की तलाश में जबरदस्त उछाल देखा गया है। इंटरनेट यूज़र्स ये जानना चाह रहे हैं कि आख़िर इंडोनेशिया की करेंसी में हिंदू देवता गणेश जी की तस्वीर क्यों है?
इंडोनेशियाई नोट में हिंदू देवता की तस्वीर क्यों?
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि इंडोनेशिया ने ये नोट साल 1998 में एक ख़ास थीम के तहत जारी किया था और अब ये नोट चलन में नहीं है। सोशल मीडिया पर वायरल होती इस नोट की तस्वीर को ध्यान से देखें तो इसमें एक तरफ़ हिंदू देवता गणेश और एक शख़्स की तस्वीर नज़र आती है। वहीं दूसरी तरफ़ पढ़ाई करते कुछ बच्चों की तस्वीर नज़र आती है।
बीबीसी इंडोनेशिया सेवा से जुड़ीं वरिष्ठ पत्रकार अस्तूदेस्त्रा अजेंगरास्त्री बताती हैं कि इंडोनेशिया में गणेश जी की तस्वीर होना यहां की संस्कृति में विविधता को दर्शाता है।
वह कहती हैं, साल 1998 में जारी किए गए इस करेंसी नोट का थीम शिक्षा थी। गणेश को इंडोनेशिया में कला, बुद्धि और शिक्षा का भगवान माना जाता है। यहां के कई शैक्षणिक संस्थानों में भी गणेश जी की तस्वीर का इस्तेमाल होता है।
इस नोट में इंडोनेशिया के राष्ट्रीय नायक 'की हज़ार देवंतरा' की तस्वीर भी है। उन्होंने उस दौर में इंडोनेशियाई लोगों की शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष किया था जब ये देश डेनमार्क का उपनिवेश हुआ करता था। उस दौर में सिर्फ समृद्ध और डच समुदाय के बच्चों को ही स्कूल जाने की अनुमति थी।
हालांकि इंडोनेशिया में अभी भी एक करेंसी नोट सर्कुलेशन में है जिसमें इंडोनेशियाई द्वीप बाली में स्थित एक हिंदू मंदिर की तस्वीर है। अस्तूदेस्त्रा इसकी पुष्टि करते हुए कहती हैं कि 'पचास हज़ार रुपए के नोट में बाली के मंदिर की तस्वीर है। बाली में हिंदू समुदाय बहुसंख्यक है।
हालांकि ये नहीं कहा जा सकता कि नोटों पर सिर्फ हिंदू धर्म के प्रतीक हैं, क्योंकि दूसरे नोटों में अलग-अलग धर्मों और समुदायों के प्रतीकों को जगह दी गई है।
इंडोनेशिया में गणेश इतने पॉपुलर क्यों हैं?
सारे इंडोनेशिया में भले ही हिंदू मात्र दो प्रतिशत हों लेकिन बाली द्वीप की 90 फ़ीसदी आबादी हिंदू है, लेकिन हिंदू धर्म का विस्तार सारे इंडोनेशिया में है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1960 और 1970 के दशक में जावा द्वीप पर हज़ारों लोगों ने हिंदू धर्म अपनाया था।इंडोनेशिया के समाज और संस्कृति पर नज़र डालें तो कई क्षेत्रों में इंडोनेशिया के हिंदू इतिहास की झलक मिलती है। इंडोनेशिया में अतीत में कई हिंदू राजवंशों का शासन रहा है।
7वीं से 16वीं सदी के बीच इंडोनेशिया के अधिकतर हिस्से पर हिंदू-बौद्ध राजवंशों का शासन रहा है। इनमें मजापहित साम्राज्य और श्री विजय साम्राज्य सबसे बड़े थे। इनके दौर में हिंदू धर्म इंडोनेशियाई द्वीपों में फला-फूला।
इस साम्राज्य में भी हिंदू, बौद्ध, एनिमिज़्म समेत कई धर्म फले-फूले, लेकिन धार्मिक भाषा संस्कृत ही रही। इससे पहले श्री विजय साम्राज्य का दौर 7वीं से 12वीं सदी तक रहा, जिसकी मुख्य भाषाएं संस्कृत और ओल्ड मलय रही थीं। मौजूदा दौर में भी इंडोनेशिया के इतिहास में पनपी लोककथाओं और प्रतीकों का असर देखा जाता है।इंडोनेशिया का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है जिसका सीधा संबंध हिंदू पौराणिक ग्रंथों से है।
रामचरित मानस के मुताबिक़, गरुड़ पक्षी ने सीता को श्रीलंका से वापस लाने में राम की मदद की थी। इसके साथ ही इंडोनेशिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक बांदुंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में भी गणेश जी की तस्वीर को लोगो के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इंडोनेशिया की एयरलाइंस का नाम भी गरुड़ एयरलाइंस है जिसके लोगो में भी पौराणिक पक्षी गरुड़ की तस्वीर को इस्तेमाल किया गया है।
इसके साथ ही इंडोनेशिया में एक जगह साल 1961 के बाद से अब तक लगातार रामायण का मंचन जारी है। रामायण से जुड़े किरदारों को निभाने वालों में हिंदुओं के साथ-साथ दूसरे धर्मों के लोग भी शामिल होते हैं। इसके साथ ही इंडोनेशिया में हिंदू नामों को रखना भी काफ़ी प्रचलित है।
फोटो सौजन्य : टि्वटर