Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इसराइल-हमास संघर्ष को इन 9 शब्दों से समझें

हमें फॉलो करें israel hamas war

BBC Hindi

, रविवार, 22 अक्टूबर 2023 (07:59 IST)
इसराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में अब तक सीमा के दोनों तरफ़ सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही इस संघर्ष के इन क्षेत्रों की सीमाओं से परे भी फ़ैलने का ख़तरा है।
 
इसकी शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को तब हुई जब हमास ने इसराइल पर अचानक हमला बोल दिया जिसमें 1,400 लोगों की मौत हो गई और क़रीब 200 लोग अगवा किए गए थे। मरने वालों में अधिकतर स्थानीय नागरिक शामिल थे।
 
उस हमले के बाद इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी पर सिलसिलेवार तरीके से बमबारी की जिसमें चार हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई और हज़ारों की संख्या में लोग विस्थापित हुए।
 
इसराइल और फ़िलीस्तीनियों के बीच 50 सालों के इस सबसे बड़े संघर्ष की ख़बरें दुनिया भर के समाचारों में छाई हुई हैं।
 
वहां क्या हो रहा है इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हम यहां उन नौ शब्दों की जानकारी दे रहे हैं जिन्हें समझ कर आप इसराइल और ग़ज़ा के बीच चल रहे संघर्ष को बेहतर समझ सकेंगे।
 
webdunia
1. इसराइल
इसराइल मध्य पूर्व का वो देश है जो 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ के एक प्रस्ताव से अस्तित्व में तब आया जब ब्रिटिश मैंडेट के तहत फ़िलीस्तीनी क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर दिया गया।
 
20वीं सदी की शुरू में यूरोप में यहूदियों को निशाना बनाया जा रहा था। तब यहूदी लोगों के लिए अलग देश की मांग ज़ोर पकड़ने लगी।
 
भूमध्य सागर और जॉर्डन नदी के बीच पड़ने वाला फ़लस्तीन का इलाक़ा मुसलमानों, यहूदियों और ईसाई धर्म, तीनों के लिए पवित्र माना जाता था। इस इलाक़े पर ऑटोमन साम्राज्य का नियंत्रण था और ये ज़्यादातर अरबों और दूसरे मुस्लिम समुदायों के क़ब्ज़े में रहा।
 
हालांकि यहां यहूदी लोग भी बड़ी संख्या में आकर बसने लगे लेकिन स्थानीय लोगों में उन्हें लेकर विरोध शुरू हो गया।
 
पहले विश्व युद्ध के बाद ऑटोमन साम्राज्य का विघटन हो गया और ब्रिटेन को संयु्क्त राष्ट्र संघ की ओर से फ़लस्तीन का प्रशासन अपने नियंत्रण में लेने की मंज़ूरी मिल गई।
 
दूसरे विश्व युद्ध और नाज़ियों के हाथों यहूदियों के व्यापक जनसंहार के बाद यहूदियों के लिए अलग देश की मांग को लेकर दबाव बढ़ने लगा। उस वक्त ये योजना बनी कि ब्रिटेन के नियंत्रण वाले इलाक़े को फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच बांट दिया जाएगा।
 
इसराइल में रहने वाले यहूदी धर्म के मानने वालों का इतिहास सदियों पुराना है। इनकी संख्या वहां 90 लाख से अधिक यानी क़रीब 74 फ़ीसद है। इनमें से क़रीब 80% लोगों का जन्म इसी देश में हुआ, जबकि अन्य 20 फ़ीसद दूसरे देशों से आकर यहां रह रहे हैं। दूसरी तरफ़ इसराइली अरब क़रीब 21 फ़ीसद और अन्य 5 प्रतिशत हैं।
 
जेरूसलम इसराइल की शक्ति का एक बड़ा केंद्र है जबकि तेल अवीव इसका आर्थिक केंद्र है। देश के सरकार का नेतृत्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के हाथों में है। आइज़ैक हरज़ोग यहां राष्ट्रपति हैं, पर यह एक औपचारिक पद है।
 
यह देश आर्थिक, तकनीकी और सैन्य मामलों में मध्य पूर्व की एक ताक़त है। लेकिन इस देश के इतिहास का अधिकांश हिस्सा फिलिस्तीनियों और अरब देशों के साथ संघर्ष का रहा है।
 
दोनों क्षेत्रों के बीच शांति प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा की वजहें- एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी राष्टर के गठन में देरी, वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियां बसाने का काम और फ़लस्तीनी क्षेत्र के आस पास इस्लामी सशस्त्र समूहों के हमले रहे हैं।
 
2. हमास
हमास, इसराइल पर हमले करने वाला फ़िलीस्तीनी क्षेत्र का सबसे बड़ा इस्लामी चरमपंथी समूह है। इसका गठन 1987 की शुरुआत में हुआ था। इसके लड़ाके इज़े-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड कही जाती है और उनका मुख्य उद्देश्य फ़िलीस्तीनी राष्ट्र बनाना है।
 
ताक़त और असर पाने के बाद हमास ने 2007 में ग़ज़ा पट्टी पर नियंत्रण कर लिया और कसम खाई कि वो इसराइल को बर्बाद कर देगा। तब से लेकर अब तक इस चरमपंथी संगठन ने इसराइल के साथ कई बार युद्ध छेड़े हैं। इसराइल पर हमले के लिए हमास अन्य चरमपंथी संगठनों की सहायता भी लेता है।
 
दूसरी तरफ़ इसराइल ने 2007 से ही मिस्र के साथ मिलकर गाजा पट्टी की नाकेबंदी कर रखी है। हमास को इसराइल, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां आतंकवादी गुट कहती हैं।
 
3. यरूशलम
यरूशलम 2,800 ईसा पूर्व अस्तित्व में आया था। यह नाम सेमिटिक भाषा से बना है और इसका मतलब ‘शांति का शहर’ या ‘शांति का घर’ होता है। यहूदी, इस्लाम और ईसाइयों का आस्था का केंद्र यरूसलम प्राचीन काल से ही धार्मिक विवाद का विषय रहा है।
 
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में कहा गया था कि यरूसलम को स्वतंत्र दर्जा मिलेगा पर छह दिनों के युद्ध के बाद इसराइल ने इस पर पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया और 1980 में यहां की संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसने इस शहर को अविभाज्य घोषित किया और इस पर पूरा नियंत्रण इसराइल का हो गया।
 
यरूशलम पर इसराइल के नियंत्रण की यह स्थिति फिलिस्तीनियों के साथ उसके संघर्ष के मुख्य कारणों में से है क्योंकि वो इसे अपनी ऐतिहासिक राजधानी भी मानते हैं।
 
ऐतिहासिक संघर्षों को देखते हुए, यरूशलम को अधिकांश अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इसराइल की राजधानी नहीं मानती हैं। पर 06 दिसंबर 2017 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी।
 
webdunia
4. गाजा पट्टी
गाजा पट्टी 41 किलोमीटर लंबा और 6 से 12 किलोमीटर चौड़ा (क़रीब 365 वर्ग किलोमीटर) एक क्षेत्र है जिसमें 2।3 मिलियन से अधिक फ़िलीस्तीनी रहते हैं। यह दुनिया की सबसे अधिक घनी आबादी वाले शहरों में से एक है।
 
फ़िलीस्तीनी ब्रिटिश मैंडेट को दो भागों में विभाजित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के साथ 1947 में इसराइल, ग़ज़ा पट्टी और यरूशलम अस्तित्व में आया।
 
फिलीस्तीनियों ने इस समझौते को ख़ारिज कर दिया और 1948 में युद्ध के मैदान में कूद गए। इसे पहले अरब इसराइल युद्ध के नाम से जाना जाता है। इसे इसराइल ने जीता। नतीजा ये हुआ कि इसराइल और मिस्र की सीमा से लगे क्षेत्र के फिलीस्तीनियों का एक बड़ा विस्थापन हुआ। यह इन दोनों के बीच हुआ कोई पहला बड़ा युद्ध नहीं था।
 
1967 में अरब-इसराइल संघर्ष हुआ जो छह दिनों तक चला। उसमें अरब देश के सैनिकों के गठबंधन पर इसराइल को जीत मिली। गाजा पट्टी, मिस्र का सनाई, जॉर्डन से वेस्ट बैंक (पूर्वी यरूशलम) और सीरिया से गोलन पहाड़ी इसराइल के नियंत्रण में आ गए। उस युद्ध में क़रीब पांच लाख लोग विस्थापित हुए थे।
 
1993 में ओस्लो संधि में ग़ज़ा को सीमित स्वायत्ता दी गई। इसके तहत फ़लस्तीनी प्राधिकरण का गठन किया गया जिसका मकसद ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक क्षेत्र में पांच साल के लिए सीमित स्वशासन करना था। सीमित स्वायत्ता पर ह्यूमन राइट वॉच ने कहा कि ‘गाजा पट्टी खुली जेल की तरह है।’
 
5. यहूदीवाद
ज़ायनिज़्म या यहूदीवाद यहूदियों का एक राजनीतिक आंदोलन है जो 19वीं सदी के आखिर में उभरा और जिसने वास्तव में वहां इसराइल के गठन को बढ़ावा दिया जहां प्राचीन काल से यहूदी और मुसलमान रहते थे।
 
ज़ायनिज़्म शब्द का प्रयोग ग़लती से सामान्य यहूदियों के लिए किया जाता है। लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जो यहूदी धर्म में आस्था ज़ायोनीवाद के बग़ैर भी रखते हैं क्योंकि वे आधुनिक इसराइल में विश्वास नहीं करते हैं।
 
बाइबिल के मुताबिक़ यहूदियों की जड़ें सेमिटिक संस्कृति में है। 19वीं सदी में ‘सेमिटिक विरोधी’ शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जाता था जो यहूदियों का नकारा करते थे। हालांकि अरब लोगों में भी कुछ सेमिटिक मूल के हैं।
 
6. फ़िलीस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण
फ़िलीस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण एक फ़लस्तीनी राजनीतिक संगठन है। जिसकी स्थापना फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) और इसराइल के बीच हुए ओस्लो संधि के बाद 1994 में हुई।
 
उन्होंने इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष के समाधान के रूप में वेस्ट बैंक और ग़ज़ा पट्टी में स्वायत्त सरकार के गठन की मांग की।
 
इसके शीर्ष नेता यासिर अराफ़ात थे जो पीएलओ के साथ फतेह राजनीतिक पार्टी के भी मुखिया भी थे। 2004 में उनकी मौत के बाद महमूह अब्बास ने सत्ता संभाली। हालांकि 2006 में ग़ज़ा में चुनाव के बाद हमास को जीत मिली।
 
तब इस्लामी संगठन हमास और कहीं अधिक उदारवादी फतेह के बीच आंतरिक लड़ाई चली। और फतेह आंदोलन ने धीरे धीरे ग़ज़ा पर अपना प्रभावी नियंत्रण खो दिया। फ़िलीस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण, फ़लस्तीनी प्रशासित क्षेत्रों के प्रशासन के लिए बनाया गया संगठन है।
 
इसका गठन 1994 में इसराइली सरकार और पीएलओ यानी फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन के बीच काहिरा में हुई सहमति के बाद हुआ था।
 
वो सहमति थी कि इसराइल, फ़िलीस्तीनी क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों को खाली कर देगा। प्राधिकरण का मक़सद उन इलाकों में प्रशासन का कामकाज देखना था जिसे इसराइल ने खाली किया था।
 
औपचारिक तौर पर फ़लस्तीनी प्राधिकरण को फ़िलीस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण कहा जाता है। इसके मुख्य अंगों में- संसद, अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और कैबिनेट आते हैं।
 
फ़िलीस्तीनी की संसद में अध्यक्ष के अलावा 132 अन्य प्रतिनिधि होते हैं। लेकिन अपने गठन के क़रीब तीन दशक बाद भी इसके केवल एक ही चुनाव हुए हैं।
 
7. वेस्ट बैंक
गाजा पट्टी और पूर्वी यरूशलम के अतिरिक्त, वेस्ट बैंक वो एकमात्र फ़लस्तीनी इलाका है जिसकी स्थापान 1948 के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत किया गया था।
 
हालांकि 1967 में जब अरब-इसराइल के बीच छह दिनों तक युद्ध हुआ तो यहूदियों ने जॉर्डर रिवर की ओर से वेस्ट बैंक के क़रीब 5,860 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसराइल ने तब पूर्वी यरूशलम पर भी नियंत्रण हासिल किया था।
 
वहां तीस लाख से अधिक फ़िलीस्तीनी लोग रहते हैं लेकिन इसराइल ने वहां कई बस्तियां बसाईं जिसमें सात लाख से अधिक यहूदी रहते हैं।
 
ये बस्तियां और फिलिेस्तीनियों का विस्थापन दशकों से इसराइल और फ़िलीस्तीनी चरमपंथी संगठनों के बीच हिंसा और विवाद का कारण रहा है।
 
वेस्ट बैंक पर फ़िलीस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण का शासन है जिसके प्रमुख महमूद अब्बास हैं। ये चरमपंथी राजनीतिक दल फतेह से ताल्लुक रखते हैं, जिसका 2000 के दशक से ही हमास के साथ सत्ता को लेकर विवाद चल रहा है।
 
8. रफ़ाह क्रॉसिंग
रफ़ाह क्रॉसिंग गाजा पट्टी के दक्षिण में स्थित एक बॉर्डर क्रॉसिंग है। 1967 के युद्ध के बाद इसराइल ने मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप और रफ़ाह शहर पर क़ब़्जा कर लिया। हालांकि समझौते के बाद इसराइली सेना वहां से लौट गई पर रफ़ाह को एक बॉर्डर से विभाजित कर दिया गया जिसके एक तरफ़ मिस्र तो दूसरी ओर गाजा पट्टी है।
 
वहां पर एक बॉर्डर क्रॉसिंग बनाई गई, जो आज की तारीख़ में गाजा में जाने के एकमात्र ज़मीनी ज़रिया है जिस पर इसराइल का सीधा नियंत्रण नहीं है। इस क्रॉसिंग के एक भाग को मिस्र संभालता है। हालांकि गाजा में किसी भी सामान के प्रवेश के लिए इसराइल से अनुमति लेनी होती है। अगर यह बॉर्डर क्रॉसिंग अप्रत्याशित रूप से बंद कर दी जाती है तो फ़िलीस्तीनी लोग ग़ज़ा के बाहर फंसे रह सकते हैं।
 
फिलीस्तीनियों के विस्थापन जैसे मानवीय कारणों की वजह से मिस्र इस बॉर्डर क्रॉसिंग को हमेशा नहीं खोल कर रखता। साथ ही इसे खोलने के लिए इसराइल के साथ समन्वय करना पड़ता है।
 
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस साल मिस्र ने ग़ज़ा से अब तक 19,608 लोगों को बाहर निकलने की अनुमति दी जबकि 314 लोगों को रोका गया है।
 
9. हिज़बुल्लाह
हिज़बुल्लाह का अर्थ ‘अल्लाह का दल’ है। यह यह एक ईरान समर्थित शिया इस्लामी राजनीतिक संगठन और अर्धसैनिक समूह है जो लेबनान में बड़ी ताक़त रखता है। इसके गठन का मुख्य उद्देश्य इसराइल का विनाश है। साल 1992 से इसकी अगुवाई हसन नसरुल्लाह कर रहे हैं।
 
हिज़बुल्ला का उदय कब हुआ, इसकी सटीक तारीख़ बताना मुश्किल है। लेकिन साल 1982 में फ़लस्तीनी चरमपंथियों के हमले के जवाब में दक्षिणी लेबनान में इसराइल की घुसपैठ के बाद हिज़बुल्ला के पहले रहे संगठन का उदय हुआ था।
 
हिज़बुल्लाह फ़िलीस्तीनी और मध्य पूर्व के अन्य शियाओं का समर्थक है। अपने उद्देश्य को पाने के लिए इस संगठन ने कई हमले किये हैं। इसे अमेरिका, इसराइल, ब्रिटेन और अरब लीग के अन्य सदस्य आतंकवादी संगठन मानते हैं।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महुआ मोइत्रा पर हीरानंदानी के 'हलफनामे' का अडाणी कनेक्शन क्या है?