लेबनान सरकार ने व्हाट्सऐप कॉल पर टैक्स लगाने के अपने फ़ैसले को वापस ले लिया है, इसके बावजूद वहां प्रदर्शन जारी है। गुरुवार को सरकार ने घोषणा की थी कि व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक मैसेंजर और ऐप्पल फ़ेस टाइम जैसे ऐप के ज़रिए किए जाने वाले कॉल पर रोज़ाना टैक्स लगेगा।
इन ऐप्स के ज़रिए कॉलिंग करने वालों को रोज़ाना $0.20 का टैक्स देना पड़ता है, जो भारतीय रुपए में क़रीब साढ़े 14 रुपए के बराबर होता है, लेकिन सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों के कुछ घंटे बाद ही सरकार ने इस फ़ैसले को वापस ले लिया। देश में चल रहे आर्थिक संकट से निपटने के सरकार के तरीक़ों से नाराज़ हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे और प्रधानमंत्री से इस्तीफ़ा देने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर फूंके। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसूगैस का इस्तेमाल किया। गुरुवार को हुई इन हिंसक झड़पों में दर्जनों लोग घायल हो गए। शुक्रवार को लेबनान के प्रधानमंत्री साद अल-हरीरी ने कहा कि देश बहुत मुश्किल दौर से गुज़र रहा है, लेकिन उन्होंने इस्तीफ़ा देने से इनकार कर दिया।
लेबनान में लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
लेबनान आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहा है। कई लोग सरकार को इसके लिए ज़िम्मेदार मान रहे हैं। नाराज़ लोग हज़ारों की तादाद में प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनों में शामिल एक चार्टर्ड अकाउंटेट ने कहा, मैं घर पर बैठा था और मैंने लोगों को प्रदर्शनों के लिए घरों से निकलते देखा, इसलिए मैं भी निकल पड़ा। उन्होंने कहा, मैं शादीशुदा हूं, मैंने लोगों से पैसे उधार ले रखे हैं और हर महीने ये क़र्ज़ बढ़ता जा रहा है। और मैं काम नहीं कर रहा हूं। ये सरकार की ग़लती है।
गुरुवार को लेबनान की राजधानी बेरूत में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नारे लगाए कि वो सरकार गिराना चाहते हैं। कई लोग इसलिए भी नाराज़ हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि प्रशासन ने देश के जंगलों में लगी भयानक आग को बुझाने के लिए कुछ नहीं किया।
पिछले कई दशकों में ऐसी भयानक आग वहां कभी नहीं लगी। अब्दुल्लाह नाम के एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हम यहां व्हाट्सऐप की वजह से नहीं आए हैं, हम यहां हर चीज़ के लिए आए हैं : ईंधन, खाने, ब्रेड समेत हर चीज़ के लिए।