Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सुखविंदर सिंह सुक्खू एक ड्राइवर के बेटे हिमाचल के मुख्यमंत्री तक कैसे पहुँचे

हमें फॉलो करें सुखविंदर सिंह सुक्खू एक ड्राइवर के बेटे हिमाचल के मुख्यमंत्री तक कैसे पहुँचे

BBC Hindi

, रविवार, 11 दिसंबर 2022 (08:51 IST)
पंकज शर्मा, शिमला से बीबीसी हिंदी के लिए
हिमाचल प्रदेश के नादौन विधानसभा क्षेत्र से विधायक और कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे। चौथी बार विधायक बने सुखविंदर 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे।
 
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के नादौन तहसील के सेरा गाँव से ताल्लुक रखने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को हुआ था।
 
साधारण परिवार में जन्मे सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता रसील सिंह हिमाचल पथ परिवहन निगम शिमला में ड्राइवर थे। इससे पहले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्री रहे। डॉ यशवंत सिंह परमार, ठाकुर रामलाल और वीरभद्र सिंह।
 
तीनों राजपूत जाति थे। इस बार भी कांग्रेस ने राजपूत जाति से ही ताल्लुक रखने वाले सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया है।
 
2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की 50।72 प्रतिशत आबादी सवर्णों की है। इनमें से 32।72 फ़ीसदी राजपूत और 18 फ़ीसदी ब्राह्मण हैं। 25।22 फ़ीसदी अनुसूचित जाति, 5।71 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति, 13।52 फ़ीसदी ओबीसी और 4।83 प्रतिशत अन्य समुदाय से हैं।
 
सुखविंदर सिंह की माता संसार देवी गृहिणी हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अपनी शुरुआती पढ़ाई से लेकर एलएलबी तक की पढ़ाई की है।
 
अपने चार भाई-बहनों में से सुखविंदर सिंह सुक्खू दूसरे नंबर पर हैं। उनके बड़े भाई राजीव सेना से रिटायर हैं। उनकी दो छोटी बहनों की शादी हो चुकी है।
 
सुखविंदर सिंह सुक्खू की शादी 11 जून 1998 को कमलेश ठाकुर से हुई। उनकी दो बेटियां हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही हैं।
 
अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई (NSUI) से की। यहाँ वह शिमला के संजौली कॉलेज में क्लास रिप्रेजेंटेटिव और स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन के महासचिव चुने गए।
 
इसके बाद वो राजकीय महाविद्यालय संजौली में स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। यहाँ उन्होंने युवा छात्रों के बीच अपनी जबर्दस्त पकड़ बनाई। उसके बाद वह धीरे-धीरे एक मज़बूत युवा नेता के रूप में उभरे।
 
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष से शुरुआत
ये वो दौर था जब हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस और वीरभद्र सिंह, सुखराम और भाजपा के शांता कुमार, जैसे बड़े नेताओं का बोलबाला था।
 
इसी बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 1988 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष का पद सँभाला ।इसके बाद 1995 में उनको, युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव की कमान मिली। यह एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी।
 
सुखविंदर सिंह सुक्खू के बारे वरिष्ठ पत्रकार अर्चना फूल कहती हैं कि उनमें शुरुआत से ही एक अलग लीडरशिप क्वॉलिटी थी। वह हमेशा अपनी बात बड़ी बेबाकी से रखते थे।
 
उनकी ज़मीनी पकड़ हमेशा अपने लोगों के बीच काफ़ी मज़बूत थी ।यही वजह रही कि जब दिल्ली से आई पर्यवेक्षक की टीम ने एक-एक करके विधायकों की सहमति पूछी तो ज़्यादातर का झुकाव सुखविंदर की तरफ़ था। इसी वजह से सुखविंदर की दावेदारी सबसे मज़बूत थी।
 
नादौन विधानसभा क्षेत्र से आए उनके समर्थक सुनील कश्यप कहते हैं कि सुक्खू साधारण परिवार से आते हैं।
 
उनकी ख़ासयिसत है कि वह सबका ध्यान रखते हैं ।उनकी वजह से ही कांग्रेस ने लोअर हिमाचल के ज़िला हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा में इतना शानदार प्रदर्शन किया। वह एक लोकप्रिय नेता हैं।
 
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छात्र राजनीति में ही अपनी पकड़ इतनी मज़बूत कर ली थी कि 1998 से 2008 तक लगातार दस साल, युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। अपने राजनीतिक करियर के दौरान ही वो दो बार शिमला नगर निगम के पार्षद भी बने।
 
लेकिन इनका लक्ष्य बड़ा था। लिहाजा 2003 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और वह पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहुँचे।
 
वीरभद्र सिंह से टक्कर
इसके बाद 2007, 2017 और अब 2022 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए। इस बीच 2008 में वो प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने।
 
साल 2012 विधानसभा चुनाव में उनको पहली हार मिली लेकिन वह इससे टूटे नहीं। उन्होंने आठ जनवरी 2013 को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला।
 
इस दौरान वह अपनी सराकर और कांग्रेस के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से अलग-अलग मुद्दों पर सीधे कई बार टक्कर लेते रहे।
 
वह क़रीब छह साल तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इस दौरान वो संगठन को मज़बूत करते रहे। लेकिन 2017-18 के चुनावों में कांग्रेस को मिली हार के बाद 10 जनवरी 2019 को अध्यक्ष पद से हट गए।
 
2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने उनको अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष औक टिकट वितरण कमिटी का सदस्य बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी।
 
हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद जब मुख्यमंत्री की चर्चा तेज़ हुई तो वह रेस में शुरू से बने रहे और क़रीब 48 घटों तक चली केंद्रीय पर्यवेक्षकों की लंबी मंत्रणा के बाद पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया।
 
नाम ना छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि पहले रेस में तीन नाम ज़्यादा चर्चा में रहे।
 
इनमें प्रतिभा सिंह ,सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री। फिर जब विधायकों से अलग से राय जानी गई तो क़रीब 21 से ज़्यादा विधायकों ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर सहमति दी जबकि कुछ विधायकों ने हाई-कमान पर फ़ैसला छोड़ने की बात कही।
 
बड़ी ज़िम्मेदारी
यह ऐसा पल था जहाँ केंद्रीय पर्यवेक्षकों की टीम ने अपना फ़ैसला उनके हक़ में दे दिया ।हालाँकि शुक्रवार की बैठक में एक सिंगल लाइन प्रस्ताव पास किया था, जिसमें आख़िरी फ़ैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया गया था। लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए यह फ़ैसला शनिवार को ही शिमला में ले लिया गया।
 
शुक्रवार और शनिवार के इस घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप चौहान कहते हैं कि उन्होंने पहली बार देखा कि कांग्रेस ने अपना फ़ैसला लेने में किसी तरह की देर या ग़लती नहीं की।
 
उन्होंने हर एक पहलू को ध्यान में रखते हुए, जल्द फ़ैसला लिया। ऐसा इसलिए कि पंजाब जैसे हालात हिमाचल प्रदेश में ना झेलना पड़े। उनकी रणनीति और फ़ैसला लेने की सोच में एकदम स्पष्टता थी।
 
हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री का शपथग्रहण समारोह 11 दिसंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज़ मैदान पर होगा। इसमें कांग्रेस के कई राष्ट्रीय नेता भी शामिल होंगे।
 
हिमाचल के मुख्यमंत्री के तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू के कंधों पर कांग्रेस के चुनावी वादों को पूरा करने और हिमाचल को क़र्ज़ से उबरने जैसी बड़ी जिम्मदारियां होंगी।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दिल्ली के स्कूलों में लगे सीसीटीवी कैमरे, फुटेज की सुरक्षा पर उठे सवाल