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डीएम के सामने लड़ाई यही है कि हमारी कोई औक़ात नहीं है, बोलने वाले ट्रक ड्राइवर की कहानी

मध्य प्रदेश के शाजापुर में कलेक्टर के साथ हुआ था विवाद

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BBC Hindi

, गुरुवार, 4 जनवरी 2024 (18:43 IST)
- शुरैह नियाज़ी
  • विवाद के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव का बयान
  • शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल ने दी सफाई
  • ट्रक ड्राइवर ने आरोपों से किया इनकार
Story of truck driver who came into limelight due to controversy : मध्य प्रदेश के शाजापुर में कलेक्टर के साथ विवाद को लेकर चर्चा में आए ट्रक ड्राइवर पप्पू अहिरवार ने कहा है कि वो कलेक्टर को ट्रक ड्राइवरों के साथ होने वाली परेशानी के बारे में समझाने की कोशिश कर रहे थे। पप्पू ने स्‍वयं पर लगे इन आरोपों से इनकार किया कि वो किसी भी तरह से कलेक्टर की बातों को नज़रअंदाज़ कर रहे थे।

पप्पू अहिरवार ने बीबीसी हिंदी से बात करते हुए उन पर लगे इन आरोपों से इनकार किया कि वो किसी भी तरह से कलेक्टर की बातों को नज़रअंदाज़ कर रहे थे। दो दिन पहले सोशल मीडिया पर 18 सेकंड का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ट्रक ड्राइवरों से बात करते हुए मध्य प्रदेश के शाजापुर के कलेक्टर किशोर कन्याल ने एक ड्राइवर से पूछा, तुम्हारी औक़ात क्या है?

देश में 'हिट एंड रन' मामले में सज़ा के नए प्रावधानों को लेकर ट्रक और टैक्सी ड्राइवर और बस ऑपरेटरों के संगठनों ने देशभर में हड़ताल की थी। इसी दौरान ट्रक ड्राइवरों का एक समूह बातचीत के लिए कलेक्टर के पास पहुंचा था, जहां बातचीत के दौरान कलेक्टर नाराज़ हो गए थे।
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विवाद बढ़ने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कलेक्टर को पद से हटा दिया है और कहा है कि अधिकारियों को अपनी भाषा और व्यवहार का ध्यान रखना चाहिए। वहीं विवादों में घिरे कलेक्टर किशोर कन्याल ने कहा कि उन्होंने जो भी कहा वो ठेस पहुंचाने के इरादे से नहीं कहा था, बल्कि वो ड्राइवर को शांत कराने की कोशिश कर रहे थे।

पप्पू अहिरवार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि कलेक्टर की बातचीत के दौरान वो किसी भी तरह की बाधा नहीं डाल रहे थे बल्कि इस उम्मीद में अपनी बात रख रहे थे कि उनकी बात सुनकर प्रशासन समाधान निकालेगा। पप्पू ने कहा, मैं पहले उनकी (कलेक्टर साहब) बातों को समझ रहा था और उसके बाद अपनी बातें रख रहा था। मैं उन दिक्क़तों की बात कर रहा था जो हर ट्रक ड्राइवर झेलता है।

उन्होंने यह भी कहा, सड़क पर ट्रक ड्राइवरों के साथ पुलिस का या फिर आरटीओ के अधिकारियों का जिस तरह का व्यवहार होता है, मैं उसकी बात कर रहा था। इसके अलावा कई बार ट्रक ड्राइवर के साथ आम लोग भी दुर्व्यवहार करते हैं, कभी उन पर चोरी का आरोप लगा देते हैं।

मैं इन्हीं मामलों के बारे में बात कर रहा था और कह रहा था कि हमारे लिए इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए कोई क़ानून नहीं है। पप्पू कहते हैं कि उन्हें ये उम्मीद थी कि उनकी बात सुनी जाएगी और प्रशासन कोई समाधान निकालेगा, लेकिन इसी बीच पप्पू की बातों से नाराज़ होते हुए कलेक्टर किशोर कन्याल वीडियो में कहते दिखे, तुम्हारी क्या औक़ात है?

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में कलेक्टर के इस सवाल के उत्तर में पप्पू कहते हैं, हमारी लड़ाई ही इसी बात की है कि हमारी कोई औक़ात नहीं है। हम हाथ जोड़कर आपसे विनती कर रहे हैं।
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सीएम ने उठाया कड़ा कदम
इस वीडियो के वायरल होने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कलेक्टर किशोर कन्याल को उनके पद से हटा दिया है। उन्होंने इस पर कहा कि मेरे ध्यान में लाया गया कि ट्रक ड्राइवर और जिला प्रशासन की बैठक में जिस प्रकार से भाषा बोली गई अधिकारी का वो भाषा बोलना उचित नहीं है।

अधिकारी कितना बड़ा ही क्यों न हो उसे ग़रीब के काम का भी सम्मान करना चाहिए और भाव का भी सम्मान करना चाहिए। मनुष्यता के नाते इस भाषा को हमारी सरकार में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, मैं खुद मज़दूर परिवार से निकला बेटा हूं। मैं समझता हूं कि आगे से अधिकारी कोई ऐसी भाषा बोलता है तो उसे प्रशासन में रहने का अधिकार नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि जो अधिकारी इस पद पर आएगा, वो भाषा और व्यवहार का ध्यान रखेगा।

कलेक्टर किशोर कन्याल की सफाई
पद से हटाए जाने से पहले किशोर कन्याल ने भी इस मामले को लेकर सफ़ाई दी। कलेक्टर शाजापुर के हैंडल से पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य ये था कि ये स्पष्ट रहे कि कोई भी व्यक्ति क़ानून व्यवस्था नहीं बिगाड़ेगा। आपको अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीक़े से करना है तो इसमें कोई समस्या नहीं। कोई ट्रक वाला सामान लेकर आ रहा है तो उसे कोई रोकेगा नहीं।

कन्याल कहते हैं, उसी चीज़ को लेकर एक व्यक्ति बार-बार कहने लगा कि अगर तीन तारीख़ के बाद हमारा मुद्दा नहीं सुलझता है तो हम किसी भी लेवल पर जा सकते हैं और क़ानून व्यवस्था को बिगाड़ सकते हैं। उस बात को लेकर मुझे ग़ुस्सा आया था। मैं फिर से स्पष्ट करना चाहता हूं कि क़ानून व्यवस्था को बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। हम किसी हालत में ऐसी स्थिति नहीं बनने देंगे।

ज़िला अधिकारी के ख़िलाफ़ उठाए गए क़दम के बारे में पूछे जाने पर पप्पू अहिरवार ने कहा, जो किया है वो सरकार ने किया है, इस पर मैं क्या कह सकता हूं। पप्पू अहिरवार ने यह भी बताया कि कोरोना महामारी के समय देशभर के ट्रक ड्राइवरों ने जो सेवा भाव दिखाया, लोग उसकी चर्चा नहीं करते।

उन्होंने कहा, हम अपने परिवारों से कई महीनों तक दूर रहे लेकिन हमारी बात किसी ने नहीं की। यह सोचकर दुख भी होता है। नए क़ानून का विरोश कर रहे ट्रक ड्राइवरों ने एक जनवरी से तीन जनवरी तक हड़ताल का ऐलान किया था।

कौन हैं पप्पू अहिरवार?
26 साल के पप्पू अहिरवार शाजापुर शहर से लगभग सात किलोमीटर दूर बमोरी गांव के रहने वाले हैं। वे कहते हैं कि वो 18 साल की उम्र से ट्रक चला रहे हैं। ट्रक चलाने से पहले तीन साल तक उन्होंने कंडक्टर के तौर पर काम किया था। पप्पू के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चों के अलावा उनके उनके माता-पिता भी हैं, जो उनकी आमदनी पर आश्रित हैं।

पप्पू कहते हैं कि उनके परिवार के पास खेती की थोड़ी ज़मीन है लेकिन वह गुज़ारे के लिए पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि सरकार को संवेदनशील रुख़ अपनाना चाहिए और ट्रक ड्राइवरों की बात सुननी चाहिए, जिसके बाद उन्हें कोई क़ानून बनाना चाहिए।

बीते चौबीस घंटों में पप्पू अहिरवार को लेकर सोशल मीडिया में काफ़ी चर्चा हो रही है। इस पर वो कहते हैं, मुझे फेमस होने का शौक़ नहीं है। मैं चाहता हूं कि हमारी बातें सुनी जाएं और हमारी समस्या का कोई हल हो। पप्पू का कहना है कि सरकार को सख़्त क़ानून ज़रूर बनना चाहिए।

वो कहते हैं, उन लोगों के लिए कड़ा क़ानून बनाना चाहिए जो शराब पीकर ट्रक चलाते हैं या फिर क़ानून का पालन नहीं करते हैं, लेकिन जो लोग क़ानून का पालन करते हैं, उन्हें बेवजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

क्या है पूरा मामला?
हाल में संसद में पास हुए भारत न्याय संहिता में 'हिट एंड रन' मामले में सज़ा के नए प्रावधानों के ख़िलाफ़ ट्रक, टैक्सी और बस ऑपरेटरों के संगठनों ने एक जनवरी से देशभर में तीन दिन की हड़ताल शुरू की थी। हड़ताल का असर देशभर के साथ ही मध्य प्रदेश जैसे राज्य में भी देखने को मिला।

क़ानून के तहत 'हिट एंड रन' केस में (धारा 106/2) लापरवाही से हुए एक्सीडेंट के मामले में घटनास्थल से भाग जाने वाले ड्राइवरों के लिए दस साल की कैद और सात लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अभी तक जो क़ानून लागू था, उसमें गाड़ी से दबकर होने वाली मौतों में लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगाया जाता था और इस तरह के मामलों में ड्राइवर को आसानी से ज़मानत मिल जाती थी। इसमें दो साल तक की सज़ा का प्रावधान था।

लेकिन नए क़ानून को सरकार ने काफ़ी सख़्त बना दिया है, जिसकी वजह से ट्रक ड्राइवरों के साथ-साथ टैक्सी और बस ऑपरेटर्स सड़कों पर आ गए हैं। ड्राइवरों का कहना है कि ड्राइवर एक्सीडेंट वाली जगह से इसलिए भाग जाते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि अगर वो पकड़े गए तो लोग उन्हें पीट-पीट कर मार देंगे।

ज़्यादातर ट्रक ड्राइवरों का मानना है कि इतने कड़े प्रावधान की वजह से उनके लिए ट्रक चलाना मुश्किल हो जाएगा और उनका रोज़गार ख़त्म हो जाएगा। देशभर में विरोध के बाद मंगलवार को अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस और सरकार के बीच लंबी बातचीत हुई। केंद्र सरकार के इस आश्वासन के बाद कि क़ानून अभी लागू नहीं किया जाएगा, हड़ताल को वापस ले लिया गया।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि ड्राइवरों की चिंता का संज्ञान लेकर सरकार ने अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस से चर्चा की है। हम ये बताना चाहते हैं कि ये नए क़ानून और प्रावधान लागू नहीं हुए। इनको लागू करने से पहले अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस से चर्चा की जाएगी।

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