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हिंडनबर्ग की कहानी, जिसने हिलाई गौतम अडाणी के साम्राज्य की जड़ें

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BBC Hindi

, शनिवार, 4 फ़रवरी 2023 (07:27 IST)
24 जनवरी 2023। ये वो तारीख़ है, जिसने भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी के लिए कई चीज़ें बदल दीं। इसी तारीख़ को अमेरिका की फॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आई थी।
 
इस रिपोर्ट में अडाणी समूह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। साथ ही रिपोर्ट में अडाणी समूह से 88 सवाल पूछे गए थे। इस रिपोर्ट को अडाणी समूह ने ख़ारिज किया था। रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडाणी के लिए शेयर बाज़ार की दुनिया से अच्छी ख़बरें नहीं आई हैं। ये गौतम अडाणी ही थे, जो कुछ दिन पहले तक दुनिया के तीसरे नंबर के रईस थे।
 
मगर हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के 10 दिनों के भीतर वो रईसों की टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गए हैं। इसके अलावा गौतम अडाणी ने 20 हज़ार करोड़ रुपये के एफ़पीओ को भी रद्द कर दिया था। कंपनी भारी नुकसान में है।
 
ऐसे में सवाल ये है कि इस रिपोर्ट को छापने वाले हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी की क्या कहानी है और हिंडनबर्ग रिसर्च के पीछे कौन शख़्स है?
 
हिंडनबर्ग नाम कहां से आया?
साल 1937, जर्मनी में हिटलर का राज था। इस दौर में एक स्पेसशिप था। नाम था- हिंडनबर्ग स्पेसशिप। स्पेसशिप के पीछे नाज़ी दौर की गवाही देता स्वास्तिक बना हुआ था। अमेरिका के न्यूजर्सी में इस स्पेसशिप को ज़मीन से जो लोग देख रहे थे, उन्हें तभी कुछ असामान्य दिखा।
 
एक तेज़ धमाका हुआ और आसमान में दिख रहे हिंडनबर्ग स्पेसशिप में आग लग गई। लोगों के चीखने की आवाज़ें सुनाई देने लगीं। स्पेसशिप ज़मीन पर गिर गया। 30 सेकेंड से कम वक़्त में सब तबाह हो चुका था। वहां मौजूद लोगों को बचाने के लिए कुछ लोग आगे बढ़े। कुछ लोगों को बचाया जा सका और कुछ को बचाने के लिए काफी देर हो चुकी थी।
 
जलते स्पेसशिप के धुएं ने आसमान को काला कर दिया था। अब जो बचा था, वो स्पेसशिप के अवशेष थे। इस स्पेसशिप में 16 हाइड्रोजन गैस के गुब्बारे थे। स्पेसशिप में क़रीब 100 लोगों को जबरन बैठा दिया गया था और हादसे में 35 लोगों की जान चली गई थी। माना जाता है कि हाईड्रोजन के गुब्बारों में पहले भी हादसे हुए थे, ऐसे में सबक लेते हुए इस हादसे से बचा जा सकता था।
 
हादसों से मिले सबक... शेयर बाज़ार के लिए?
गौतम अडाणी पर रिपोर्ट लाने वाली रिसर्च कंपनी का नाम हिंडनबर्ग भी इसी हादसे से जोड़कर रखा गया है। कंपनी कहती है, ''हिंडनबर्ग हादसे की तर्ज़ पर ही हम शेयर बाज़ार में हो रहे गोलमाल और गड़बड़ियों पर निगरानी रखते हैं। उनकी पोल खोलना और सच्चाई सामने लाना हमारा मकसद है।''
 
जैसे हिंडनबर्ग हादसे में लोगों का नुकसान हुआ, वैसे हिंडनबर्ग कंपनी कहती है कि वो लोगों को शेयर बाज़ार में ऐसे वित्तीय हादसों से बचाने या ख़तरे में पड़ने से बचाने का काम करती है।
 
कंपनी कैसे किसी रिपोर्ट को तैयार करती है? कंपनी की वेबसाइट में इसकी जानकारी मिलती है। कंपनी कहती है कि वो जिस आधार पर रिपोर्ट बनाती है वो काफ़ी मुश्किल होती है।
 
इसके तरीके कंपनी कुछ यूं बताती है:
  • निवेश के फ़ैसले देने के लिए विश्लेषण को आधार बनाते हैं
  • इनवेस्टिगेटिव रिसर्च करते हैं
  • सूत्रों से मिली गुप्त जानकारियों पर रिसर्च होती है
 
हिंडनबर्ग अपने बारे में क्या कहती है?
हिंडनबर्ग कहती है कि उसके पास निवेश को लेकर दशकों का अनुभव है। कंपनी की वेबसाइट ने दावा किया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी अपनी रिपोर्ट्स और दूसरी तरह की कार्रवाइयों से पहले भी कई कंपनियों के शेयर्स गिरा चुकी है।
 
अडाणी से पहले हिंडनबर्ग का नाम जिस बड़ी कंपनी के साथ जुड़ा था वो थी- ट्रक कंपनी निकोला। ये मामला जब अदालत तक पहुंचा था, तब निकोला कंपनी के फाउंडर को दोषी पाया गया था।
 
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, हिंडनबर्ग ने साल 2020 के बाद से 30 कंपनियों की रिसर्च रिपोर्ट उजागर की है और रिपोर्ट रिलीज़ होने के अगले ही दिन उस कंपनी के शेयर औसतन 15 फ़ीसदी तक टूट गए। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले छह महीने में इन कंपनियों के शेयरों में औसतन 26 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
 
हिंडनबर्ग अपनी वेबसाइट में उन रिपोर्ट्स की लिस्ट भी देती है, जो वो सितंबर 2020 से लेकर अब तक पब्लिश कर चुकी है।
 
हिंडनबर्ग किसी कंपनी की जांच इन मौक़ों पर करती है:
  • अकाउंटिंग में अनियमितताएं
  • अहम पदों पर 'अयोग्य' व्यक्ति
  • अघोषित लेन-देन
  • किसी तरह की ग़ैर-क़ानूनी/ अनैतिक व्यापार या वित्तीय रिपोर्टिंग प्रैक्टिस
 
हिंडनबर्ग के पीछे कौन?
हिंडनबर्ग रिसर्च के प्रमुख नेथन उर्फ नेट एंडरसन हैं। एंडरसन ने साल 2017 में इस कंपनी की स्थापना की थी। नेट एंडरसन ने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
 
एंडरसन ने इंटरनेशनल बिजनेस की पढ़ाई की थी और करियर की शुरुआत फैक्ट-सेट रिसर्च सिस्टम नाम की एक डेटा कंपनी से की थी। इस कंपनी में एंडरसन ने इंवस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनियों के साथ काम किया था।
 
साल 2020 में वॉल स्ट्रीट जनरल को दिए इंटरव्यू में एंडरसन ने कहा था, ''मैंने महसूस किया कि ये लोग साधारण सा विश्लेषण कर रहे थे।''
 
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, एंडरसन ने इसराइल में कुछ वक़्त के लिए एंबुलेंस भी चलाई थी। एंडरसन के लिंक्डइन प्रोफाइल में लिखा है, ''एंबुलेंस ड्राइवर के तौर पर काम करते हुए मैंने सीखा कि कैसे बहुत प्रेशर में काम किया जाता है।''
 
एंडरसन के इसी प्रोफाइल में लिखा है कि उनके पास 400 घंटों का मेडिक अनुभव भी है। कई इंटरव्यू में एंडरसन अपना रोल मॉडल अमेरिकी अकाउंटेंट हैरी मॉर्कोपोलोस को बताते हैं।
 
एंडरसन के रोल मॉडल हैरी ने भी साल 2008 के बेर्नार्ड मैडॉफ पोंजी स्कीम से जुड़े भ्रष्टाचार के बारे में लोगों को बताया था। इसी मैडॉफ पर हाल ही में नेटफ्लिक्स की सिरीज़ भी रिलीज़ हुई थी। इस सिरीज़ का नाम था- द मॉन्स्टर ऑफ वॉल स्ट्रीट।
 
लेकिन इन दिनों गुरु नहीं, चेले नेट एंडरसन की वजह से शेयर बाज़ार में हंगामा मचा है और इसका सीधा असर गौतम अडाणी पर हो रहा है।
 
(कॉपी- विकास त्रिवेदी)

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