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सद्दाम को फांसी दिए जाने पर रोए थे अमरीकी सैनिक

हमें फॉलो करें सद्दाम को फांसी दिए जाने पर रोए थे अमरीकी सैनिक
, शुक्रवार, 9 जून 2017 (12:34 IST)
- रेहान फ़ज़ल (बीबीसी संवाददाता)
सद्दाम हुसैन की सुरक्षा में लगाए गए बारह अमेरिकी सैनिक उनकी पूरी ज़िदगी के बेहतरीन मित्र न सही, लेकिन उनके आख़िरी मित्र ज़रूर थे। सद्दाम के आख़िरी क्षणों तक साथ रहे 551 मिलिट्री पुलिस कंपनी से चुने गए इन सैनिकों को 'सुपर ट्वेल्व' कह कर पुकारा जाता था।
 
इनमें से एक विल बार्डेनवर्पर ने एक किताब लिखी है, 'द प्रिज़नर इन हिज़ पैलेस, हिज़ अमैरिकनगार्ड्स, एंड व्हाट हिस्ट्री लेफ़्ट अनसेड' जिसमें उन्होंने सद्दाम की सुरक्षा करते हुए उनके अंतिम दिनों के विवरण को साझा किया है। बार्डेनवर्पर मानते हैं कि जब उन्होंने सद्दाम को उन लोगों के हवाले किया जो उन्हें फांसी देने वाले थे, तो सद्दाम की सुरक्षा में लगे सभी सैनिकों की आँखों में आँसू थे।
 
'दादा की तरह दिखते थे सद्दाम'
बार्डेनवर्पर अपने एक साथी एडम रोजरसन के हवाले से लिखते हैं कि, 'हमने सद्दाम को एक मनोविकृत हत्यारे के रूप में कभी नहीं देखा। हमें तो वो अपने दादा की तरह दिखाई देते थे।' सद्दाम पर अपने 148 विरोधियों की हत्या का आदेश देने के लिए मुक़दमा चलाया गया था।
 
उन्होंने इराकी जेल में अपने अंतिम दिन अमेरिकी गायिका मेरी जे ब्लाइज़ा के गानों को सुनते हुए बिताए। वो अपनी खचाड़ा एक्सरसाइज़ बाइक पर बैठना पसंद करते थे, जिसे वो 'पोनी' कह कर पुकारा करते थे। उनको मीठा खाने का बहुत शौक था और वो हमेशा मफ़िन खाने के लिए आतुर रहते थे।
 
बार्डेनवर्पर लिखते हैं कि अपने अंतिम दिनों में सद्दाम का उन लोगों के प्रति व्यवहार बहुत विनम्र था और वो ये आभास कतई नहीं होने देते थे कि वो अपने ज़माने में बहुत क्रूर शासक हुआ करते थे।
 
कास्त्रो ने सिगार पीना सिखाया
सद्दाम को 'कोहिबा' सिगार पीने का शौक था, जिन्हें वो गीले वाइप्स के डिब्बे में रखा करते थे। वो बताया करते थे कि सालों पहले फ़िदेल कास्त्रो ने उन्हें सिगार पीना सिखाया था।
 
बार्डेनवर्पर ने वर्णन किया है कि सद्दाम को बागबानी का बहुत शौक था और वो जेल परिसर में उगी बेतरतीब झाड़ियों तक को एक सुंदर फूल की तरह मानते थे। सद्दाम अपने खाने के बारे में बहुत संवेदनशील हुआ करते थे। वो अपना नाश्ता टुकड़ो में किया करते थे। पहले ऑमलेट, फिर मफ़िन और इसके बाद ताज़े फल। अगर गलती से उनका ऑमलेट टूट जाए, तो वो उसे खाने से इंकार कर देते थे।
 
बार्डेनवर्पर याद करते हैं कि एक बार सद्दाम ने अपने बेटे उदय की क्रूरता का एक वीभत्स किस्सा सुनाया था जिसकी वजह से सद्दाम आगबबूला हो गए थे। हुआ ये था कि उदय ने एक पार्टी में गोली चला दी थी, जिसकी वजह से कई लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे।
 
इस पर सद्दाम इतने नाराज़ हुए थे कि उन्होंने हुक्म दिया कि उदय की सारी कारों में आग लगा दी जाए। सद्दाम ने ठहाका लगाते हुए ख़ुद बताया कि किस तरह उन्होंने उदय की मंहगी रॉल्स रॉयस, फ़रारी और पोर्श कारों के संग्रह में आग लगवा दी थी और उससे उठी लपटों को निहारते रहे थे।
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दिलफेंक सद्दाम
सद्दाम की सुरक्षा में लगे एक अमेरिकी सैनिक ने उनको बताया था कि उसके भाई की मौत हो गई है। यह सुनकर सद्दाम ने उसे गले लगाते हुए कहा था, 'आज से तुम मुझे अपना भाई समझो।' सद्दाम ने एक और सैनिक से कहा था कि अगर मुझे मेरे धन का इस्तेमाल करने की अनुमति मिल जाए, तो मैं तुम्हारे बेटे की कालेज की शिक्षा का ख़र्चा उठाने के लिए तैयार हूँ।
 
एक रात सबने बीस साल के सैनिक डॉसन को एक ख़राब नाप के सूट में घूमते हुए देखा। पता चला कि डॉसन को सद्दाम ने अपना वो सूट तोहफ़े में दिया है। बार्डेनवर्पर लिखते हैं कि, 'कई दिनों तक हम डॉसन पर हंसते रहे, क्योंकि वो उस सूट को पहन कर इस तरह चला करता था, जैसे वो किसी फ़ैशन शो की 'कैटवॉक' में चल रहा हो।'
 
सद्दाम और उनकी सरक्षा में लगे गार्डों के बीच दोस्ती पनपती चली गई, हालांकि उन्हें साफ़ आदेश थे कि सद्दाम के नज़दीक आने की बिल्कुल भी कोशिश न की जाए। हुसैन को उनके मुक़दमे के दौरान दो जेलों में रखा गया था। एक तो बग़दाद में अंतर्राष्ट्रीय ट्राइब्यूनल का तहख़ाना था और दूसरा उत्तरी बग़दाद में उनका एक महल था जो कि एक द्वीप पर था, जिस पर एक पुल के ज़रिए ही पहुंचा जा सकता था। 
 
बार्डेनवर्पर लिखते हैं, 'हमने सद्दाम को उससे ज़्यादा कुछ नहीं दिया जिसके कि वो हक़दार थे। लेकिन हमने उनकी गरिमा को कभी आहत नहीं किया।' स्टीव हचिंसन, क्रिस टास्कर और दूसरे गार्डों ने एक स्टोर रूम को सद्दाम के दफ़्तर का रूप देने की कोशिश की थी।
 
'सद्दाम का दरबार' बनाने की कोशिश
सद्दाम को 'सरप्राइज़' देने की योजना बनाई गई। पुराने कबाड़ ख़ाने से एक छोटी मेज़ और चमड़े के कवर की कुर्सी निकाली गई और मेज़ के ऊपर इराक का एक छोटा सा झंडा लगाया गया।
 
बार्डेनवर्पर लिखते हैं, 'इस सबके पीछे विचार ये था कि हम जेल में भी सद्दाम के लिए एक शासनाध्यक्ष के दफ़्तर जैसा माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। जैसे ही सद्दाम उस कमरे में पहली बार घुसे, एक सैनिक ने लपक कर मेज़ पर जम आई धूल को झाड़न से साफ़ करने की कोशिश की।' सद्दाम ने इस 'जेस्चर' को नोट किया और वो कुर्सी पर बैठते हुए ज़ोर से मुस्कराए।
 
सद्दाम रोज़ उस कुर्सी पर आकर बैठते और उनकी सुरक्षा में लगाए गए सैनिक उनके सामने रखी कुर्सियों पर बैठ जाते। माहौल ये बनाया जाता जैसे सद्दाम अपना दरबार लगा रहे हों। बार्डेनवर्पर बताते हैं कि सैनिकों की पूरी कोशिश होती थी कि सद्दाम को खुश रखा जाए। बदले में सद्दाम भी उनके साथ हंसी मज़ाक करते और वातावरण को ख़ुशनुमा बनाए रखते।
 
कई सैनिकों ने बाद में बार्डेनवर्पर को बताया कि उन्हें पूरा विश्वास था कि 'अगर उनके साथ कुछ बुरा हुआ होता, तो सद्दाम उन्हें बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देते।' सद्दाम को जब भी मौका मिलता, वो अपनी रक्षा कर रहे सैनिकों से उनके परिवार वालों का हालचाल पूछते।
 
इस किताब में सबसे चकित कर देने वाला किस्सा वो है जहाँ ये बताया गया है कि सद्दाम के मरने पर इन सैनिकों ने बाक़ायदा शोक मनाया था, जबकि वो अमेरिका के कट्टर दुश्मन माने जाते थे। उन सैनिकों में से एक एडम रौजरसन ने विल बार्डेनवर्पर को बताया कि 'सद्दाम को फांसी दिए जाने के बाद हमें लगा कि हमने उनके साथ ग़द्दारी की है। हम अपने आप को उनका हत्यारा समझ रहे थे। हमें ऐसा लगा कि हमने एक ऐसे शख़्स को मार दिया जो हमारे बहुत नज़दीक था।'
 
सद्दाम को फांसी दिए जाने के बाद जब उनके शव को बाहर ले जाया गया था तो वहाँ खड़ी भीड़ ने उनके ऊपर थूका था और उसके साथ बदसलूकी की थी।
 
अमेरिकी सैनिक हैरान थे
बार्डेनवर्पर लिखते हैं कि ये देख कर सद्दाम की अंतिम समय तक सुरक्षा करने वाले ये 12 सैनिक भौंचक्के रह गए थे। उनमें से एक शख़्स ने भीड़ से दो-दो हाथ करने की कोशिश भी की थी, लेकिन उनके साथियों ने उन्हें वापस खींच लिया था। उन सैनिकों में से एक स्टीव हचिन्सन ने सद्दाम को फांसी दिए जाने के बाद अमेरिकी सेना से इस्तीफ़ा दे दिया था।
 
हचिन्सन इस समय जॉर्जिया में बंदूकों और टैक्टिकल ट्रेनिंग का कारोबार करते हैं। उन्हें अभी भी इस बात का रंज है कि उन्हें उन इराकियों से न उलझने का आदेश दिया गया जो सद्दाम हुसैन के शव का अपमान कर रहे थे। सद्दाम अपने अंतिम दिनों तक ये उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें फांसी नहीं होगी।
 
एक सैनिक एडम रोजरसन ने बार्डेनवर्पर को बताया था कि एक बार सद्दाम ने उनसे कहा था कि उनका किसी महिला से प्यार करने का दिल चाह रहा है। जब वो जेल से छूटेंगे तो एक बार फिर से शादी करेंगे। 30 दिसंबर, 2006 को सद्दाम हुसैन को तड़के तीन बजे जगाया गया। उन्हें बताया गया कि उन्हें थोड़ी देर में फांसी दे दी जाएगी। ये सुनते ही सद्दाम के भीतर कुछ टूट गया। वो चुपचाप नहाए और अपने आप को फांसी के लिए तैयार किया।
 
उस समय भी उनकी एक ही चिंता थी, 'क्या सुपर ट्वेल्व को नींद आई?' अपनी फांसी से कुछ मिनटों पहले सद्दाम ने स्टीव हचिन्सन को अपनी जेल कोठरी के बाहर बुलाया और सीखचों से अपना हाथ बाहर निकाल कर अपनी 'रेमंड वील' कलाई घड़ी उन्हें सौंप दी। जब हचिन्सन ने विरोध करना चाहा तो सद्दाम ने ज़बरदस्ती वो घड़ी उनके हाथ में पहना दी। हचिन्सन के जॉर्जिया के घर में एक सेफ़ के अंदर वो घड़ी अब भी टिक-टिक कर रही है।

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