लोकसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग के कुछ दिन ही बचे हैं और कांग्रेस राज्यों में गठबंधन की जोड़-तोड़ में लगी हुई है। पूरे देश में जिस तरह की उम्मीद की जा रही थी कांग्रेस के गठबंधन बनाने को लेकर, वो अंतिम वक़्त तक साकार होता नहीं दिख रहा है।
हालांकि कांग्रेस के युवा नेता और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का कहना है कि जिस भी गठबंधन से पार्टी की बात नहीं बन पाई है, वो चुनावों के बाद एक साथ आएंगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन से बात नहीं बन पाने की भी वजह बताई।
बीबीसी के रेहान फ़ज़ल के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में पार्टी को बहुत काम करने की ज़रूरत है। पिछली बार हम सिर्फ दो सीट जीते थे। इस बार प्रियंका गांधी भी चुनाव मैदान में हैं और पार्टी के लिए प्रचार करेंगी।"
"यहां सपा और बसपा का गठबंधन हुआ है, जिसका हम सम्मान करते हैं कि उनकी अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन ये गठबंधन भाजपा के विरोध में बनाया गया है और चुनाव के बाद सारी पार्टियां इकट्ठी आएंगी, इसमें बहुत ज़्यादा दुविधा वाली बात नहीं है।"
चुनावों से पहले देश में भाजपा के ख़िलाफ़ कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन बनाने की तैयारी हो रही थी। कई रैलियों में भी कांग्रेस और भाजपा विरोधी पार्टियों के नेताओं ने मंच साझा भी किया था, पर अंत अंत तक इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। वहीं भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन का एलान काफी पहले ही कर दिया गया। इस बारे में सचिन पायलट कहते हैं कि कांग्रेस भी अपने स्तर से रणनीति बना रही है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को हराने की क्षमता कांग्रेस के पास ही है।
वो कहते हैं, "जो एनडीए का कुनबा था वो लगातार पांच सालों में टूटता गया है और यूपीए का कुनबा मजबूत हुआ है। जम्मू-कश्मीर हो, तमिलनाडु हो, झारखंड हो, बिहार हो, हर जगह हमारा गठबंधन हो गया है और हमलोग चाहते हैं कि हम अपने सहयोगियों को सम्मानजनक सीट दे। कांग्रेस पार्टी भी अपने स्तर से रणनीति बना रही है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को हराने की क्षमता कांग्रेस के पास ही है।"
बालाकोट के मुद्दे को काउंटर कैसे करेगी कांग्रेस
पिछले साल हुए तीन विधानसभा चुनावों कांग्रेस ने जीत हासिल की, लेकिन बालाकोट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाउंस बैक किया है और जिस तरह एंटी सैटेलाइट मिसाइल के परीक्षण के बाद उन्होंने पूरे देश को संबोधित किया, उसका ज़िक्र चुनावी रैलियों में किया जा रहा है।
ऐसे में कांग्रेस उसका काउंटर कैसे करेगी, इस सवाल पर सचिन पायलट कहते हैं यह सबकुछ मोदी सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए कर रही है। उन्होंने बीबीसी से कहा, "एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से पहले ऐसा लग रहा था कि वो कुछ धमाकेदार घोषणा करने वाले हैं, पर उन्होंने एंटी सैटेलाइट मिसाइल के बारे में देश को बताया।"
पायलट कहते हैं, "ये जो राष्ट्रवाद को दोबारा से परिभाषित करने की मुहिम छिड़ी है, ये काल्पनिक है क्योंकि देश के सच्चे नागरिक को कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। मुझे किसी भाजपा से या दल से या किसी नेता से ये सर्टिफिकेट नहीं चाहिए कि मैं देशभक्त हूं या नहीं हूं। ये मेरे जेहन में है, मेरे रूह में है, मेरे खून में है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए आप सेना की वीरता, उनके शौर्य की आड़ में काम कर रही है। हालांकि भाजपा इन आरोपों को खारिज करती रही है। पार्टी का कहना है कि चरमपंथ के ख़िलाफ़ उनकी सरकार ने जो फ़ैसले लिए हैं, वो पहले की सरकारों ने नहीं ली।
नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक निजी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण कई साल पहले ही हो चुका होता अगर सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई होती। उन्होंने पिछली सरकार पर फ़ैसले लेने में शिथिलता बरतने का आरोप लगाया।
हालांकि पायलट कहते हैं कि देश पर अगर कोई आंख उठा के देखता है तो सरकार किसी की भी हो, प्रधानमंत्री कोई भी हो, जवाब वही मिलेगा जो मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ गया कि आप सेना का रानजीतिकरण नहीं कर सकते हैं। क्योंकि चुनाव का मुद्दा आम आदमी की रोजी-रोटी से जुड़ा होना चाहिए। महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आर्थिक संकट पर चर्चा होनी चाहिए।"
भाजपा के नेता अपनी हर रैलियों में सरकार के कार्यकाल को भ्रष्टाचार मुक्त होने का दावा कर रहे हैं।
इस पर सचिन पायलट कहते हैं नरेंद्र मोदी की सरकार में सरकारी संस्थाएं नष्ट कर दिए गए। उन्होंने कहा, "देश भर में जो भी संस्थाएं हैं, मैंने कभी नहीं सुना कि सीबीआई, सीबीआई पर छापा मार रही है, ईडी, ईडी को नोटिस दे रहा है। रात के दो बजे सीबीआई निदेशक बर्खास्त किए जाते हैं, कोर्ट उस फैसले को पलट रही है, सुप्रीम कोर्ट के चार जज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं।"
पायलट इन सभी को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हैं और कहते हैं कि ये सभी व्यवस्थाएं वर्तमान सरकार के दौरान बनीं, जो देश को खतरे में डाल सकती हैं।