Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पेल्विक फ़्लोर: महिलाओं के शरीर का एक रहस्यमय हिस्सा

हमें फॉलो करें पेल्विक फ़्लोर: महिलाओं के शरीर का एक रहस्यमय हिस्सा
, गुरुवार, 2 अगस्त 2018 (10:34 IST)
- एलिसिया बार्ने (बीबीसी फ़्यूचर)
 
महिलाओं के बारे में कहा जाता है कि मर्दों के मुक़ाबले वो ज़्यादा जीती हैं। साइंस के मुताबिक़ इसकी वजह महिलाओं की जटिल शारीरिक संरचना है। इसमें सबसे ज़्यादा जटिल है, उनकी कोख यानी प्रजनन अंगों की संरचना जिसे अंग्रेज़ी में पेल्विक फ्लोर कहते हैं।
 
 
अक्सर लोग सलाह देते हैं कि पेल्विक फ्लोर मज़बूत होना चाहिए। लेकिन पेल्विक सिस्टम काम कैसे करता है इसके बारे में पुख़्ता तौर पर आज तक कोई नहीं जान पाया है। पेल्विक फ्लोर मर्दों में भी होता है। लेकिन, महिलाओं की तरह उन्हें बच्चे को जन्म नहीं देना पड़ता। इसीलिए उन्हें महिलाओं की तरह परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता।
 
 
क्या है पेल्विक फ़्लोर
पेल्विक फ्लोर शरीर का वो हिस्सा है, जिसमें ब्लैडर, यूटेरस, वजाइना और रेक्टम होते हैं। ये हिस्सा महिलाओं के शरीर के सबसे अहम अंगों को सहेज कर रखता है। उन्हें सही तौर पर काम करने में मदद करता है। लेकिन, दुनिया भर में लाखों महिलाओं को पेल्विक फ्लोर में कोई ना कोई परेशानी होती है। ये औरत के शरीर का बहुत अहम हिस्सा है। लेकिन, इसके बावजूद इस पर रिसर्च ना के बराबर की गई है।
 
 
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में पेल्विक फ्लोर रिसर्चर और गाइनेकोलॉजिस्ट जेनिस मिलर का कहना है कि शारीरिक संरचना में दिमाग़ के बाद पेल्विक फ्लोर ही सबसे जटिल है। इसके काम के तरीक़े पर अभी तक साफ़ तौर पर किसी रिसर्च का नतीजा सामने नहीं आ पाया है।
 
 
शोधकर्ताओं के लिए ये अभी तक शरीर का रहस्यमय हिस्सा बना हुआ है। पेल्विक सिस्टम कोख की हड्डियों के बीच छिपा होता है, जहां तक पहुंचना आसान नहीं है। इसके अलावा शारीरिक संरचना में हरेक चीज़ एक दूसरे से जुड़ी है।
 
 
मशहूर जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में गाइनेकोलॉजी की प्रोफ़ेसर विक्टोरिया हांडा का कहना है कि पेल्विक फ़्लोर की कोई भी परेशानी महिला की पूरी ज़िंदगी पर असर डालती है। चूंकि इस परेशानी से ज़िंदगी को ख़तरा नहीं होता इसीलिए ना तो आम लोग इस पर ध्यान देते हैं और ना ही रिसर्चर्स ने इसे आज तक गंभीरता से लिया।
 
 
रिसर्च में कमी की वजह
साइंस ने हर लिहाज़ से हर क्षेत्र में बेपनाह तरक्क़ी कर ली है। लेकिन क्या वजह है कि महिलाओं के शरीर के इतने अहम हिस्से पर अभी तक कोई सार्थक रिसर्च नहीं हो पाई। प्रोफ़ेसर हांडा का कहना है कि बदक़िस्मती से सेहत के क्षेत्र में आज तक जितनी रिसर्च हुई हैं, वो मर्दों पर हुई हैं।
 
 
लगभग सारी रिसर्च मर्द और औरत दोनों की शारीरिक संरचना को एक जैसा मानकर की गई है। महिलाओं के शरीर पर अलग से रिसर्च की ज़रूरत कम ही समझी गई है। इसके अलावा औरतों के शरीर या उनके गुप्त अंगों और ज़नाना बीमारियों के बारे में बात करने में हिचक महसूस की जाती रही जिसके चलते कभी खुलकर आवाज़ उठी ही नहीं कि महिलाओं के शरीर को मर्दों से अलग माना जाए और उन पर अलग से रिसर्च की जाए।
 
 
हाल ये है कि अमेरिकी कांग्रेस में कभी किसी सांसद ने महिलाओं के पेल्विक फ्लोर सिस्टम पर रिसर्च के लिए फंड की मांग नहीं की। हालांकि हाल के वर्षों में इस दिशा में कुछ रिसर्च की गई हैं। प्रोफ़ेसर मिलर और उनके साथियों ने मिलकर एम।आऱ।आई के ज़रिए पता लगाया है कि बच्चे को जन्म देने की वजह से पेल्विक फ्लोर में कई तरह की चोट लग जाती हैं।
 
 
प्रजनन के दौरान चोटें
एम.आर.आई. इमेज के ज़रिए ही पता चला कि डिलिवरी के दौरान कई महिलाओं की लेवेटर एनी नाम की मांसपेशी फट जाती है जिसकी वजह से कोख का एक हिस्सा बड़ा होकर वजाइना से बाहर आ जाता है। इससे पेल्विक फ्लोर कमज़ोर पड़ जाता है।
 
 
हालांकि ये कितनी महिलाओं में और कैसे होता है इसके आंकड़े अलग हैं। एक रिसर्च के मुताबिक़ 13 से 36 फ़ीसद औरतों में ऐसा वजाइना के ज़रिए बच्चा जनने के दौरान होता है। जबकि प्रोफ़ेसर मिलर की रिसर्च के मुताबिक़ ये आंकड़ा 5 से 15 फीसद महिलाओं का है।
 
 
दिलचस्प बात ये है कि लेवेटर एनी मांसपेशी के फटने की ख़बर मरीज़ या डॉक्टर दोनों को नहीं लग पाती। बच्चा पैदा करते समय महिलाओं के अंदरूनी अंगों में कई तरह की छोटी-छोटी चोटें लगती हैं। इन्हें सामान्य माना जाता है।
 
 
लेकिन नई रिसर्च के बाद पेल्विक फ्लोर से जुड़ी समस्याएं सुलझाने में मदद मिलेगी। हालांकि पेल्विक फ्लोर मज़बूत करने के लिए केगल एक्सरसाइज़ करने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन महिलाओं के लिए ज़ख़्मी मांसपेशियों के साथ ऐसी कोई एक्सरसाइज़ कारगर नहीं है। अभी तक की रिसर्च के मुताबिक़ पेल्विक फ्लोर से संबंधित मुद्दों के लिए उम्र, मोटापा और वजाइना के रास्ते बच्चा पैदा करना अहम है।
 
 
पेल्विक फ़्लोर डिसऑर्डर
प्रोफ़ेसर हांडा का कहना है कि ज़्यादातर महिलाओं को पेल्विक फ़्लोर डिसऑर्डर की समस्या नहीं होती। कुछ में बहुत कम होती है। लेकिन वो ख़तरनाक नहीं होती। बहरहाल तसल्ली की बात ये है कि वैज्ञानिक महिलाओं की शारीरिक संरचना के साथ-साथ पेल्विक फ़्लोर सिस्टम और उससे जुड़ी बीमारियों के बारे में पता लगा रहे हैं। उनके निवारण के लिए दवाएं बनाने का काम किया जा रहा है।
 
 
पेल्विक फ़्लोर से जुड़ी समस्याएं बहुत आम हैं। अमरीका में क़रीब एक चौथाई महिलाओं को ये समस्या रहती है। पेल्विक डिसऑर्डर के चलते पेशाब के लिए दबाव जल्दी-जल्दी बनने लगता है। तेज़ हंसने, खांसने या छींक आने पर पेशाब निकल जाता है। इसके अलावा पेल्विक फ़्लोर पर मौजूद अंग बाहर की ओर निकल आता है। एक अन्य स्टडी के मुताबिक़ तो ब्रिटेन में 42 फ़ीसद महिलाओं को पेशाब जल्दी छूट जाने की शिकायत है।
 
 
कुछ स्टडी पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर के लिए बढ़ती उम्र को ज़िम्मेदार मानती हैं तो कुछ नहीं मानतीं। इनकी रिसर्च के मुताबिक़ जवान लड़कियों को भी ये दिक़्कत होना आम बात है। यहां तक की महिला खिलाड़ियों को भी पेशाब छूट जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। कई मर्तबा पेट पर दबाव पड़ने की वजह से भी पेशाब निकल जाता है।
 
 
ज़रूरी है जागरूकता
पेल्विक मांसपेशियां मज़बूत करने के लिए कई तरह की एक्सरसाइज़ करने को कहा जाता है। साथ ही दिनचर्या में बदलाव लाकर भी इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके अलावा कई तरह की डिवाइस का सहारा भी लिया जाता है। मसलन ब्लैडर को सपोर्ट करने के लिए वजाइना के ज़रिए पेसरी नाम की डिवाइस शरीर में दाखिल कर दी जाती है।
 
 
मिडुरेथ्रल स्लिंज नाम की डिवाइस भी एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इसके लिए ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है। पेल्विक फ़्लोर से संबंधित अभी तक जितनी भी रिसर्च के नतीजे सामने आए हैं उनसे सभी रिसर्चर काफ़ी खुश हैं।
 
 
उनका कहना है कि शुगर, दिल और दिमाग की बीमारियों पर लंबे समय से रिसर्च हो रही हैं। लेकिन महिलाओं की कोख को लेकर रिसर्च का क्षेत्र नया है। इसके बावजूद रिसर्च तेज़ी से आगे बढ़ रही है और नतीजे भी काफ़ी बेहतर हैं।
 
 
प्रोफ़ेसर मिलर का कहना है कि अगर लड़कियों को किशोरावस्था में ही उनके शरीर की आंतरिक संरचना और मांसपेशियों के बारे में जानकारी दे दी जाए तो बहुत सी समस्याओं को समय रहते ही ख़त्म किया जा सकता है। मसलन अगर पेल्विक मांसपेशियों की जानकारी उन्हें पहले से हो, तो केगल एक्सरसाइज़ के ज़रिए वो इन मांसपेशियों को मज़बूत कर सकती हैं। कई बार जानकारी के अभाव में भी बीमारियां बढ़ जाती हैं।
 

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ट्रेड वॉरः अमेरिका को 'चित' कर सकते हैं चीन के ये चार 'हथियार'