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बिहार में क्यों और कैसे होते हैं पकड़ौवा ब्याह?

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, सोमवार, 26 मार्च 2018 (12:58 IST)
दिव्या आर्य
मान लीजिए कि आप एक जवान औरत हैं जिसकी शादी करने के लिए मां-बाप इतने परेशान हैं कि वो एक मर्द को अगवा कर ज़बरदस्ती शादी करवा देते हैं! इस 'पकड़ौवा शादी' में ना आपकी मर्ज़ी जानी जाती है, ना उस मर्द की।
 
जब पटना में BBCShe के कार्यक्रम के दौरान कॉलेज जानेवाली लड़कियों ने मुझे ऐसी 'पकड़ौवा शादी' के बारे में बताया, तो यक़ीन नहीं हुआ।
 
कोई लड़की ऐसी शादी के लिए कैसे मान सकती है? शादी के बाद अगर मर्द उसे ना स्वीकार करे तो? गुस्से में औरत को घर ले भी आए तो ऐसी शादी में वो रहेगी कैसे?
 
बिहार पुलिस के मुताबिक साल 2017 में क़रीब 3500 शादियों के लिए अपहरण हुए। इनमें से ज़्यादातर उत्तरी बिहार में हुए। तो मैं पटना से निकल पड़ी बिहार के सहरसा ज़िले। जहां के सिमरी गांव में मेरी मुलाक़ात हुई महारानी देवी और उनके पति परवीन कुमार से।
 
महारानी देवी 15 साल की थीं जब उनके परिवारवालों ने परवीन को अगवा कर ज़बरदस्ती दोनों की शादी करवा दी। महारानी बताती हैं, "शादी होने वाली है इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता था। मेरी मर्ज़ी किसी ने नहीं पूछी थी।" मैंने पूछा क्यों? "क्योंकि मम्मी-पापा को जो करना होता है, वही होता है, शादी के फ़ैसले में बेटी का कोई अधिकार नहीं होता।"
 
और उनके फ़ैसले का नतीजा ये कि महारानी देवी की शादी तो हो गई मगर परवीन उन्हें तीन साल तक घर नहीं लेकर आए। परवीन बताते हैं, "दिल में टेंशन थी, बहुत गुस्सा था कि मेरे साथ ये क्या हो गया है। इसलिए मैंने उन्हें वहीं छोड़ दिया और मैं अपने घर में अकेला रहता रहा।"
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बंदूक की नोक पर धमकी : सिमरी गांव से दो-चार किलोमीटर दूर टोला-ढाब गांव में 17 साल के रोशन कुमार भी गुस्से में हैं। इसी साल जनवरी में उनके पड़ोसी उन्हें बहला-फुसला कर दूसरे गांव ले गए। रोशन के मुताबिक उन्हें कमरे में बंद किया गया, मारा-पीटा गया और बंदूक की नोक पर धमकी दी गई। ज़बरदस्ती उनसे उम्र में बड़ी महिला से उनकी शादी करवा दी गई।
 
जब रोशन महिला के परिवारवालों से छूटे तो पुलिस थाने में जाकर बाल विवाह का केस दर्ज करवाया। वो बताते हैं, "फिर सुलह-सफ़ाई के लिए पंचायत बैठी, पर मैंने कहा कि गले में फंदा तो लगा ही दिया है अब चाहे मार भी डालिए, लेकिन मैं ये शादी नहीं मानूंगा।"
 
पर फिर उस महिला का क्या? "लड़की को मैं नहीं जानता था। मुझे उससे रिश्ता नहीं रखना। मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। मुझे पढ़-लिख कर अपनी ज़िंदगी बनानी है।"
 
बेटी को दलदल में क्यों धकेलते हैं? : 'पकड़ौवा विवाह' की ये सच्चाई जानते हुए भी लड़की के परिवारवाले अपनी बेटी को इस दलदल में क्यों धकेलते हैं? पटना विश्वविद्यालय में 'वुमेन स्टडीज़' सेंटर शुरू करने वाली इतिहास की प्रोफ़ेसर भारती कुमार के मुताबिक ये सामंती समाज की देन है।
 
वो कहती हैं, "उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सामाजिक दबाव इतना है कि लड़की के परिवारवाले इसी कोशिश में रहते हैं कि कैसे जल्द से जल्द अपनी जाति में इसकी शादी कर दें।" 'पकड़ौवा विवाह' ज़्यादातर ग्रामीण इलाकों में किया जाता रहा है और वहां लड़कियों की ज़िंदगी शादी, बच्चे और परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती है।
 
रोशन की चचेरी बहन अभी 15 साल की है पर बातें बड़ी-बड़ी करती है। भाई के साथ ज़बरदस्ती हुई उससे नाराज़ है, पर कहती है, "मैं भी एक लड़की हूं। सोचती हूं कि वो लड़की ने तो नहीं कहा होगा कि अगवा कर के मेरी शादी करवा दो। ये उसके मम्मी-पापा की ही ग़लती है।" "बिना मिले शादी करवा देते हैं, लड़का भी खुश नहीं होता, लड़की की ज़िंदगी भी बर्बाद होती है।"
 
बिहार में दहेज के देन-लेन पर नीतीश सरकार ने ख़ूब सख़्ती दिखाई और शराब की ही तरह इस पर भी पूरी पाबंदी है। पर प्रियंका के गांव में इसका कोई असर नहीं। उसके मुताबिक शादियों के इस तरह होने की एकमात्र वजह लड़की के परिवार की दहेज देने की कम हैसियत है।
 
वो कहती है, "पकड़ के शादी वही करवाते हैं जिनके पास दहेज नहीं होता है। वरना दहेज से ही तो शादी होती है।" हैरानी की बात ये है कि 'पकड़ौवा शादी' में जब मर्द अपनी पत्नी को अपनाने से इनकार कर देता है तो फिर दहेज देकर ही उसे मनाया जाता है। मानो दहेज और शादी का एक चक्रव्यूह हो। जिससे निकलने का कोई सिरा नहीं है।
 
परवीन कुमार ने तीन साल बाद अपनी पत्नी को अपना लिया। उनके मुताबिक ये घर-परिवार और उनकी अपनी इज़्ज़त की बात थी। "लोग मेरे बारे में क्या सोचते? फिर मैं अगर इस शादी को नहीं मानता तो कोई और अच्छे परिवार वाले अपनी लड़की के साथ मेरा संबंध करने से कतराते ही।" इसलिए परवीन ने 'एडजस्ट' कर, नई शुरुआत करने का फ़ैसला किया।
 
महारानी के पास तो फ़ैसला लेने की छूट ही नहीं थी। बताती हैं उनकी सहेलियों ने कहा, "जो हुआ सो हुआ, कई के साथ होता है, ज़्यादा मत सोचो, अब जैसी ज़िंदगी है उसे जिओ।" परवीन और महारानी के अब जुड़वां बेटे हैं। और अगर पूछ लो तो रुआंसी आंखों से महारानी बस इतना कहती हैं कि उन्हें ससुराल में अच्छे से रखते हैं। "ऐसा नहीं लगता की हम लोगों की पकड़ के शादी हुई थी।"

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