बिहार के मुख्यमंत्री ने बुधवार शाम कार्यवाहक राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाक़ात की और अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। देर रात राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने बताया कि गुरुवार सुबह 10 बजे राजेंद्र मंडप हॉल में नीतीश फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
पटना से लेकर दिल्ली तक बिहार की सियासत पर चर्चा है। नीतीश कुमार ट्विटर और फ़ेसबुक पर टॉप ट्रेंड बने हुए हैं। नेताओं ने भी अपनी राय जताने और विरोधियों पर निशाना साधने के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश के इस्तीफ़े के बाद तुरंत ट्विटर के ज़रिये उन्हें बधाई दी, नीतीश ने भी जवाब ट्विटर पर ही दिया।
महागठबंधन में टूट की मुख्य वजह माने जा रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी कई ट्वीट किए। तेजस्वी यादव ने लिखा, "यदि आपको (नीतीश कुमार) अपनी नैतिकता और ईमानदारी पर इतना यकीन है को आपने जदयू विधायकों को अपने घर में बंद करके क्यों रखा है। उन्हें आज़ाद करें वो आपके नैतिकता की गवाही देंगे।"
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, "आपको आधी रात में सरकार बनाने के दावा पेश करने के लिए जाने की ज़रूरत नहीं थी। ईमानदार लोगों को डर नहीं होना चाहिए।" तेजस्वी यादव ने ये भी दावा किया कि राज्यपाल ने उन्हें गुरुवार सुबह 11 बजे मिलने का समय दिया और फिर अचानक ही एनडीए को 10 बजे शपथ ग्रहण के लिए कहा। इतनी भी जल्दी क्या है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने लिखा, "नीतीश जी बिहार की जनता ने महागठबंधन को चुना है भाजपा और भाजपा/मोदी के विरोध में। नैतिकता यह कहती है कि आप पुनः बिहार की जनता का जनादेश लें।"
अकबर चौधरी ने लिखा, "नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई ना लड़कर सीधा इस्तीफा क्योँ दे दिया। राजनीतिक रोटी सेंकने वाले नेताओं में आप भी हो।"
वरिष्ठ पत्रकार संजय पुगलिया ने लिखा, "ग़ज़ब था बिहार का ये ट्विस्ट- एक ट्वीट पे बधाई और दूसरे ट्वीट पर धन्यवाद हो गया और यूँ #NiKu और #NaMo का इश्क़ आबाद हो गया !"
शनि शुक्ल ने लिखा, "#nitishkumar ही सोनम गुप्ता है - लालू।"
टफ टाइम्ल नेवर लास्ट नाम से एक ट्विटर हैंडल ने लिखा, "धोखा देने में सबसे आगे हैं। पहले सांप्रदायिक ताकतों के ख़िलाफ़ महागठबंधन का हिस्सा बने फिर उसे तोड़ कर सांप्रदायिक ताकतों से हाथ मिला लिया। जय श्री राम।"
प्रणीत सक्सेना ने लिखा, "नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक, राजनीति हमें अचम्भित करना नहीं छोड़ती। ये साफ पता चल रहा है कि लालू ने अपनी पिछली ग़लतियों से कोई सीख नहीं ली।"
मोहम्मद ताहिर अली ने लिखा, "भ्रष्टाचार पर सीधा कदम, मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ना एक अच्छा निर्णय। लालू यादव के परिवार का भ्रष्टाचार पूरी तरह खुल चुका था।"