- अभिमन्यु कुमार साहा
4 अगस्त की रात को मो. अलीम सैयद अपने भाई से मोबाइल पर बात कर रहे थे। बात उनके भाइयों की शादी से जुड़ी तैयारियों के बारे में हो रही थी। 17 अगस्त को उनके चचेरे भाई की शादी थी। उन्होंने जून के महीने में ही 14 अगस्त को हवाई टिकट बुक कराई थी, ताकि वे अपने भाई की शादी में घर जा सकें। बात हो ही रही थी कि अचानक रात के 11 बजकर 59 मिनट पर कॉल कट जाता है और उसके बाद उनकी बात उनसे नहीं हो पाती है। सुबह पता चला कि कश्मीर में कर्फ्यू लगा दिया गया है और राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया गया है।
मोबाइल-इंटरनेट सहित संचार के सभी साधनों पर रोक लगा दी जाती है। हर दिन अपने घरवालों से बात करने वाले की उनसे 5 दिनों तक बात नहीं हो पाती है। इसी बीच उन्हें हिंसा से जुड़ी कई ख़बरें भी मिलती हैं। घरवालों का हाल जानने अलीम कश्मीर जाना चाहते हैं पर पाबंदियों के चलते वो जा नहीं पाते हैं। अंत में वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं और याचिका दायर कर सुरक्षित घर जाने की मांग करते हैं।
उनकी याचिका पर बुधवार को चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की और कश्मीर प्रशासन को उन्हें सुरक्षित घर तक पहुंचाने को कहा है। 24 साल के मोहम्मद अलीम सैयद अनंतनाग के रहने वाले हैं। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की है। पढ़ाई के बाद हाल ही में नई नौकरी पाने वाले अलीम ने बताया कि उन्हें घर जाने की बेचैनी थी, लेकिन अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद वहां के बिगड़े माहौल को देखते हुए उन्हें डर था कि वो घर पहुंच पाएंगे भी या नहीं।
उन्होंने कहा, अंतिम बार मैंने अपने घरवालों से 4 अगस्त की रात को बात की थी। उसके बाद से अपने घर पर बात नहीं कर पा रहा हूं। इस बीच ऐसी न्यूज़ आ रही थी कि कश्मीर में हालात खराब हैं। माहौल गंभीर हैं। मेरे परिवार के प्रति जो चिंता थी वो और बढ़ गई। इन्हीं चिंताओं की वजह से मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। मैंने हाल ही में लॉ की पढ़ाई पूरी की है, तो मेरे पास यह विकल्प मौजूद था कि मैं सुप्रीम कोर्ट से मदद लूं। अलीम की जब आखिरी बार अपनी मां से बात हुई थी तब कश्मीर का माहौल बदल रहा था।
उनकी मां को लग रहा था अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं। उन्हें यह भी नहीं पता था कि अगले दिन कर्फ़्यू लगा दिया जाएगा और मोबाइल और टेलीफोन लाइनें बंद हो जाएंगी। वो बताते हैं, उन्होंने इस परिस्थिति के लिए पहले से कोई तैयारी भी नहीं की थी। राशन की भी व्यवस्था नहीं की गई थी। इन्हीं वजहों से मेरी चिंता और बढ़ गई। अगर कॉल करने की सुविधा होती तो मेरी चिंता ख़त्म हो जाती, पर बात हो ही नहीं पा रही थी। मैं परेशान हो रहा था।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कश्मीर से जुड़ी 14 याचिकाओं पर सुनवाई हुई, उनमें से एक याचिका अलीम की भी थी। एक अन्य याचिका सीपीएम नेता सीताराम येचुरी की तरफ से भी दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें भी कश्मीर के अपने दोस्त से मिलने की इजाजत दी। येचुरी ने अपनी पार्टी के विधायक एमवाई तारिगामी से मिलने की अनुमति मांगी थी।
सरकार कोर्ट में इसका विरोध कर रही थी। इस पर चीफ़ जस्टिस ने कहा कि सरकार उन्हें कश्मीर जाने से नहीं रोक सकती है। वो देश के नागरिक हैं और अपने मित्र से मिलना चाहते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वो वहां सिर्फ़ अपने दोस्त से मिलेंगे, इसके अलावा उन्हें किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि के लिए मना किया गया है।
मोहम्मद अलीम सैयद को भी कश्मीर जाने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने दे दी है। कोर्ट ने उनसे कहा है कि अगर उनको अपने परिवार को लेकर कोई चिंता है तो वो अपने घर चले जाएं। कोर्ट ने अलीम से दिल्ली वापस लौटने के अपने अनुभवों पर आधारित एक रिपोर्ट भी फाइल करने को कहा है। अलीम का घर श्रीनगर से 55 किलोमीटर दूर अनंतनाग में है। बिगड़े माहौल के कारण उन्हें यह यक़ीन नहीं था कि वो श्रीनगर से अनंतनाग सुरक्षित घर पहुंच पाएंगे।
उन्होंने कहा, 14 अगस्त को श्रीनगर के लिए अपनी हवाई टिकट बुक कराई थी, जो कैंसल कर दी गई। एक ईमेल के ज़रिए मुझे यह बताया गया। अगर मैं दोबारा टिकट बुक कर चला भी जाता तो डर था कि घर पहुंच पाऊंगा या नहीं। अनंतनाग में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वहां का माहौल काफी तनावपूर्ण रहता है। मुझे इस बात का यक़ीन था कि मैं श्रीनगर तो पहुंच जाऊंगा पर वहां से घर पहुंच पाऊंगा या नहीं, ये यक़ीन नहीं था। अलीम ने कहा, अगर टेलीफोन से बात भी हो जाती तो कम से कम मैं अपने घरवालों को बता देता और वो एयरपोर्ट चले आते, पर मैं बात भी नहीं कर पा रहा हूं। कश्मीर की स्थिति को लेकर असमंजस है। आधे लोग हालात ठीक बता रहे हैं, आधे लोग बुरा बता रहे हैं। आधे लोग माहौल को हिंसक बता रहे हैं और आधे लोग सबकुछ सामान्य बता रहे हैं। इस स्थिति में आप किस पर विश्वास करेंगे।
मो. अलीम सैयद गुरुवार को श्रीनगर जा रहे हैं। इसके बाद वो अपने मां-बाप और दो बड़े भाइयों से मिलेंगे। उनके मां-बाप सरकारी नौकरी में थे और अब रिटायर हो चुके हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर एक कश्मीरी की तरफ सरकार के इस फ़ैसले को वो कैसे देखते हैं, इस सवाल पर उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मैं किसी तरह की निजी राय नहीं देना चाहता हूं। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सब कुछ कानून तय करेगा।
अलीम का कहना है कि फ़िलहाल वे अपने घरवालों को लेकर चिंतित हैं और वे उनसे जल्द से जल्द मिलना चाहते हैं। मेरे जैसे बहुत सारे लोग हैं जो घर पर बात नहीं कर पा रहे हैं। कई कश्मीरी दोस्त जो बाहर रह रहे हैं, उन्होंने अपना-अपना संदेश अपने घरवालों को पहुंचाने के लिए मुझे कहा है।