Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कोरोना वैक्सीन को जनता तक पहुंचाने का 'मोदी सरकार का प्लान' क्या है?

हमें फॉलो करें कोरोना वैक्सीन को जनता तक पहुंचाने का 'मोदी सरकार का प्लान' क्या है?

BBC Hindi

, शनिवार, 21 नवंबर 2020 (07:33 IST)
सरोज सिंह, बीबीसी संवाददाता
एक तरफ़ हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को कोरोना का संभावित टीका 'कोवैक्सीन' लगवाया जो ट्रायल के तीसरे फेज़ में है। तो दूसरी तरफ़ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने दावा किया कि कुछ ही महीनों में कोरोना वैक्सीन बनकर तैयार हो जायेगी।
 
इन सबके बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से कोरोना के टीके की क़ीमत बता दी गई। संस्थान के अनुसार, कोरोना से बचाव के लिए एक डोज़ की क़ीमत 500 से 600 रुपये होगी। ख़बरों के मुताबिक़, कोरोना से असरदार बचाव के लिए दो से तीन हफ़्ते के अंतराल में दो टीके लगाने पड़ सकते हैं।
 
इन तमाम ख़बरों के बाद भारत में कोरोना का टीका लोगों तक कैसे पहुँचेगा, इस पर चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं क्या है कोरोना का टीका लोगों तक पहुँचाने का 'भारत सरकार का प्लान'।
 
भारत सरकार का एलान
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई है कि 2021 के शुरुआती 2-3 महीनों में वैक्सीन मिलनी शुरू हो जायेगी। उन्होंने साथ ही कहा कि 'अगस्त-सितंबर तक हम 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की स्थिति में होंगे।' यानी भारत में कोरोना वैक्सीन के लिए अब सरकार ने उलटी गिनती शुरू कर दी है।
 
इससे पहले अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना के वैक्सीन ट्रायल के शुरुआती नतीजों के बाद दावा किया था कि कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ सुरक्षा देने वाली नई वैक्सीन 95 फ़ीसदी तक कामयाब है। कुछ दिन पहले ही दवा कंपनी फ़ाइज़र ने अपनी वैक्सीन के 90 फ़ीसदी लोगों पर कामयाब होने की जानकारी दी थी।
 
गुरुवार को ख़बर आयी कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के कोरोना वैक्सीन ट्रायल में भी बुज़ुर्गों पर टीका काफ़ी कारगर होने का दावा किया जा रहा है।
 
मॉडर्ना वैक्सीन को स्टोर करने के लिए माइनस 20 डिग्री और फाइज़र वैक्सीन के लिए माइनस 70 से 80 डिग्री तापमान की ज़रूरत पड़ेगी, जिसके लिए भारत सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

दरअसल, भारत में बच्चों के लिए जो टीकाकरण अभियान चलते हैं, उनके लिए देश भर में वैक्सीन को स्टोर करने के लिए कुछ स्टोरेज चेन पहले से उपलब्ध हैं। लेकिन वो चेन मॉडर्ना और फाइज़र वैक्सीन को स्टोर करने के काम नहीं आयेगी।

इसलिए भारत सरकार ऑक्सफ़ोर्ड वाले टीके और भारत में बनने वाली कोवैक्सीन पर नज़र टिकाये बैठी है, जिनको नॉर्मल फ्रिज के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है।

भारत सरकार को उम्मीद है कि अगर सब नतीजे सही रहे तो अगले साल शुरुआत में कोवैक्सीन भी बाज़ार में आ जाएगी, जिसमें स्टोरेज संबंधी दिक्क़तों का सामना भारत जैसे देश को नहीं करना पड़ेगा।

भारत की जनसंख्या और वैक्सीन की डोज़
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया का दावा है कि 'वो आज भी हर महीने 50 मिलियन से 60 मिलियन वैक्सीन डोज़ बनाने की स्थिति में है।'
 
संस्थान के मुताबिक़, फ़रवरी 2021 तक उनकी क्षमता 100 मिलियन वैक्सीन डोज़ प्रति माह बनाने की हो जाएगी।
 
भारत सरकार से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया का किस तरह का क़रार है, इस पर अभी तक दोनों पक्षों ने कुछ साफ़ नहीं किया है।

लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने इतना ज़रूर कहा है कि 'भारत सरकार ने जुलाई 2021 तक उनसे 100 मिलियन वैक्सीन डोज़ की माँग की है।' जुलाई 2021 तक केंद्र सरकार ने 300 मिलियन वैक्सीन डोज़ जनता तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।
 
ये जानकारी अभी किसी को नहीं है कि सारे डोज़ भारत सरकार सीरम इंस्टीट्यूट से लेगी या फिर कोई दूसरी व्यवस्था भी की गई है।
 
अदार पूनावाला ने इतना ज़रूर कहा है कि 'हमने अपनी तरफ़ से पूरी तैयारी रखी है कि हम भारत सरकार को 300 मिलियन डोज़ अपनी तरफ़ से जुलाई तक ऑफ़र कर सकें।'

इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पूरी दुनिया में वैक्सीन पहुँचाने के लिए की जा रही पहल 'कोवैक्स' का भी हिस्सा है।

उन्होंने वहाँ भी अपनी तरफ़ से वैक्सीन देने का वादा किया है ताकि हर देश के ज़रूरतमंदों तक वैक्सीन पहुँच सके।

'वैक्सीन की ख़ुशख़बरी' पहले कहाँ से आने की उम्मीद
भारत में इस वक़्त पाँच अलग-अलग कोरोना वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं। इनमें से दो तीसरे और एडवांस स्टेज में हैं।

सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के अलावा, दुनिया भर में बन रहे चार और वैक्सीन बनाने वाली संस्थाओं के साथ वैक्सीन के उत्पादन का क़रार किया है।

अदार पूनावाला कहते हैं, "हमारा क़रार जिनके साथ हुआ है, उनमें से कुछ ऐसी वैक्सीन हैं जिनके एक डोज़ लगाने से भी कोरोना से बचाव संभव है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर वैक्सीन के बनाने का तरीक़ा अलग है। इतना ही नहीं, अभी कोई नहीं जानता कि कौनसी वैक्सीन कितना असरदार होगी। इसलिए हमने दूसरे वैक्सीन बनाने वालों के साथ उत्पादन का क़रार किया है।"

उनका मानना है कि आने वाले एक साल तक हर तीन से चार महीने के बीच एक नई वैक्सीन बाज़ार में आयेगी। ये जनता और सरकार पर निर्भर करेगा कि वो कौनसी वैक्सीन लगवाना चाहते हैं। इसकी शुरुआत जनवरी से होगी, जब ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के बाज़ार में आने की संभावना जताई जा रही है।

अगर दो-तीन शुरुआती वैक्सीन कारगर साबित होती हैं, तो सीरम इंस्टीट्यूट बाक़ी वैक्सीन का उत्पादन नहीं करेगा।

इसके अलावा भारत में कई दूसरे वैक्सीन निर्माता भी हैं, जो वैक्सीन उत्पादन के काम में जुटे हैं और उन्होंने दुनिया के दूसरे देशों में चल रहे वैक्सीन बनाने वालों के साथ क़रार किया है। रूस की वैक्सीन का भी भारत में ट्रायल किये जाने की संभावना जताई जा रही है।

किन लोगों को लगेगी पहली वैक्सीन : भारत सरकार ने यह साफ़ कर दिया है कि कोरोना का टीका जब भी भारत में उपलब्ध होगा, तो सबसे पहले हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगेगा।
 
लेकिन टीका आम जनता तक कब पहुँचेगा? गुरुवार को एक कार्यक्रम में पूछे गए इस सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि "135 करोड़ भारतवासियों के लिए एक साथ टीका मुहैया कराना मुमकिन नहीं है। इसलिए सरकार ने प्राथमिकता तय की है।"
 
उन्होंने कहा, "अभी जिन टीकों के सफल होने की बात चल रही है, उनके दो डोज़ लगाने पड़ेंगे। ये दो टीके दो से तीन हफ़्ते के अंतराल में लगेंगे। ऐसे में भारत सरकार शुरुआत में केवल 25 से 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण ही कर सकती है। पिछले 10 महीने से जो हेल्थकेयर वर्कर जान की बाज़ी लगाकर काम कर रहे हैं, वो सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर हैं।"
 
"फिर 65 साल से ज़्यादा उम्र वालों को टीका लगेगा। उसके बाद 50 से 65 साल वालों को टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता दी जायेगी। फिर चौथे नबंर पर 50 साल से कम उम्र वाले ऐसे लोगों को जगह दी जायेगी जिनको दूसरी बीमारियाँ हैं।"
 
डॉक्टर हर्षवर्धन ने यह भी साफ़ किया कि ऐसा नहीं है कि सरकार के पास यह तय करने का अधिकार है, तो वो अपने मन से कुछ भी तय कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये सब बातें वैज्ञानिक आधार पर एक्सपर्ट कमेटी द्वारा तय की गई हैं। लोगों तक टीका कब और कैसे पहुँचेगा, इसके लिए भारत सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है।
 
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल उसके अध्यक्ष हैं। भारत सरकार ने हर राज्य के गाँव और पंचायत स्तर तक इसे पहुँचाने के लिए तीन महीने पहले से काम शुरू कर दिया है।
 
बताया गया है कि पहले चरण में जिन हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को यह टीका लगना है, उसकी लिस्ट राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अक्तूबर के अंत तक तैयार कर ली थी।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हांगकांग: चीन की पश्चिमी देशों को धमकी, 'आंखें निकाल ली जाएंगी'