ब्रिटेन की नागरिक एंजी एंगेनी ने कहा है कि 2010 में हज के दौरान मक्का में उनका यौन उत्पीड़न हुआ। उन्होंने बीबीसी से कहा, "मस्जिद अल-हरम के बाहर सुपर मार्केट में एक शख़्स ने मेरे कूल्हे को छुआ और फिर उसे दबाने लगा।"
वह आगे कहती हैं, "मैं सकते में आ गई। मेरी मां मुझसे दो मीटर दूर खड़ी थीं। डर के मारे मेरी आवाज़ नहीं निकल रही थी।" एंजी कहती हैं कि उनकी बहन का मस्जिद अल-हरम के अंदर एक गार्ड ने यौन उत्पीड़न किया।
"मैं उस पर चिल्लाई की ये तुम क्या कर रहे हो। तुम मेरी बहन को हाथ नहीं लगा सकते। पुलिस का काम है कि वह लोगों को सुरक्षा प्रदान करे। आप मस्जिद अल-हरम के रक्षक हैं। उसने मुझ पर हंसना शुरू कर दिया। मैं उस पर चीख रही थी कि तुम मेरी बहन के साथ क्या कर रहे हो और वो हंस रहा था।"
सोशल मीडिया पर शिकायत
एंजी पहली महिला नहीं हैं जिन्होंने पवित्र जगह पर यौन उत्पीड़न किए जाने को लेकर अपना अनुभव बताया है। इसका सिलसिला उस पाकिस्तानी महिला से शुरू हुआ था जिन्होंने अपने अनुभव को फेसबुक के ज़रिए साझा किया था।
इसके बाद तो ऐसी घटनाएं साझा करने का सिलसिला शुरू हो गया। मिस्र-अमेरिकी मूल की महिलावादी और पत्रकार मोना एल्ताहवी ने ट्विटर पर इसको लेकर #MosqueMeToo की शुरुआत की। जिसका उद्देश्य अन्य महिलाओं को अपनी यौन उत्पीड़न की कहानी बताने के बारे में प्रेरित करना था।
मुसलमान औरतों ने इस हैशटैग का इस्तेमाल किया और 24 घंटों से भी कम वक़्त में इसे 2 हज़ार बार ट्वीट में इस्तेमाल किया गया। विभिन्न देशों की मुसलमान औरतों ने हैशटैग #MosqueMeToo के ज़रिए हज और दूसरी धार्मिक यात्राओं के दौरान अपने साथ होने वाले यौन उत्पीड़न की घटनाएं शेयर कर रही हैं।
बहुत-सी औरतों ने ट्विटर पर बताया कि कैसे उनके जिस्म को टटोलने की कोशिश की गई, ग़लत तरीके से छूने की कोशिश की गई या फिर किसी ने कैसे उनके जिस्म को रगड़ने की कोशिश की।