इमरान कु़रैशी (बीबीसी हिन्दी के लिए)
सीनियर कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा को विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। अल्वा को महिला मुद्दों पर काम करने के लिए जाना जाता है। 1986 में निर्वाचित निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण के लिए पहल करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
अल्वा 1986 में कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार में महिला और बाल विकास मामलों की मंत्री थीं। उसी दौरान उन्होंने पंचायत से लेकर संसद यानी सभी निर्वाचित निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का कानून लाने की पहल की थी।
अल्वा इस मुद्दे पर लगातार काम करती रही थीं। दूसरी महिला सांसदों के साथ मिलकर की गई उनकी लगातार कोशिश और अभियान की बदौलत 2010 में महिला आरक्षण से जुड़ा बिल राज्यसभा में पास हो गया।
उस वक्त उन्होंने इस संवाददाता से कहा था, 'यह सुनकर दुख होता है कि राजीवजी से चर्चा के बाद मैं जब महिला आरक्षण का बिल कैबिनेट में लेकर आई तो मेरे ही कुछ सहयोगी इसकी हंसी उड़ा रहे थे।'
उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी खेमे की उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा ने उन पर भरोसा जताने के लिए विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद कहा है।
मार्गरेट अल्वा ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस बारे में लिखा, 'भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर चुना जाना विशेषाधिकार और सम्मान की बात है। मैं इस नामांकन को बहुत ही विनम्रता के साथ स्वीकार करती हूं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'मैं विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझ पर यक़ीन किया। जय हिन्द!'
42 साल की उम्र में ही बन गई थीं मंत्री
अल्वा 4 बार राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं। 1974 से 1992 के बीच वे 4 बार ऊपरी सदन की सदस्य रहीं। साल 1991 में पीवी नरसिम्हराव सरकार में उन्हें कार्मिक मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला था। लोकसभा के लिए वे पहली बार 1999 में कर्नाटक की कनारा सीट से चुनी गई थीं। अल्वा पहली बार इंदिरा गांधी के शासन के दौरान चर्चा में आईं। उस दौरान वे कांग्रेस पार्टी में कई पदों पर रहीं। वे वायोलेट अल्वा और जोएचिम अल्वा की पुत्रवधू थीं। दोनों सांसद थे। मार्गरेट अल्वा 42 साल की उम्र में ही मंत्री बन गई थीं, जो उन दिनों एक बड़ी उपलब्धि थी।
कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता बीके हरिप्रसाद ने बीबीसी हिन्दी से कहा, 'वे असाधारण वक्ता हैं। उन्हें संसद के दोनों सदनों के कामकाज के बारे में अच्छी तरह पता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की सबसे सुयोग्य उम्मीदवार वही हैं। इस पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उनका नामांकन सही है।'
कर्नाटक के पूर्व मंत्री आरवी देशपांडे ने कहा कि 'अल्वा को प्रशासन का लंबा अनुभव है। वे संसदीय मामलों की राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं इसलिए संसदीय प्रक्रियाओं का भी उन्हें बखूबी अनुभव है। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा की अध्यक्ष की जिम्मदारी निभाने की उनमें सभी योग्यताएं हैं।'
मार्गरेट अल्वा कभी गांधी परिवार की क़रीबी मानी जाती थीं लेकिन एक ऐसा वक़्त भी आया, जब सोनिया गांधी से मतभेदों के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। हालांकि मार्गरेट अल्वा ने कभी भी ये नहीं बताया कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया था?
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर अल्वा के नाम की घोषणा एनसीपी के चीफ शरद पवार ने की। शरद पवार के घर पर टीएमसी, माकपा, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और अन्य दलों की बैठक के बाद मार्गरेट अल्वा के नाम का ऐलान किया गया।
बैठक के बाद अल्वा के नाम का ऐलान करते हुए पवार ने कहा, 'हमने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वे एक सम्मेलन में व्यस्त थीं। हमने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी संपर्क करने की कोशिश की। उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन का ऐलान किया था। वे जल्द ही मार्गरेट अल्वा के नाम का भी समर्थन करेंगे।'
शिवसेना ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी खेमे की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को समर्थन देने का ऐलान किया है। शिवसेना के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर विपक्षी नेताओं की हुई बैठक के बाद ये जानकारी दी।
गुजरात, गोवा, राजस्थान और उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं अल्वा
अल्वा का जन्म 1942 में मैंगलोर में हुआ था। इसके बाद ही मद्रास प्रेसिडेंसी की अलग-अलग जगहों पर वे पली-बढ़ीं। उनके पिता इंडियन सिविल सर्विस में थे। उनकी शादी अल्वा परिवार में हुई थी। उनके सास-ससुर दोनों सांसद थे। इस परिवार में ही उन्होंने राजनीति के गुर सीखे। अल्वा गुजरात, गोवा, राजस्थान और उत्तराखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में उनका मुक़ाबला एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ से होगा। भाजपा नेता धनखड़ अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। उनकी उम्मीदवारी पर शनिवार को ही मुहर लगी है।