Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कोरोना वायरस : तीन मई के बाद लॉकडाउन बढ़ा, तो चुनौतियां क्या

हमें फॉलो करें कोरोना वायरस : तीन मई के बाद लॉकडाउन बढ़ा, तो चुनौतियां क्या

BBC Hindi

, गुरुवार, 30 अप्रैल 2020 (09:11 IST)
- गुरप्रीत सैनी
3 मई के बाद लॉकडाउन का क्या करना है, इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा की। फ़िलहाल देश लॉकडाउन में है, जो कोरोना महामारी पर क़ाबू पाने के लिए 25 मार्च को शुरू हुआ था। पहले 21 दिन का लॉकडाउन किया गया। 14 अप्रैल को इसे तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया। क्या तीन मई के बाद भी लॉकडाउन बढ़ेगा? हर भारतीय के दिमाग़ में आज यही सवाल है।

जवाब मिलना अभी बाक़ी है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के वक़्त कुछ राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाए जाने का सुझाव दिया। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने मेघालय के ग्रीन ज़ोन या नॉन-कोविड प्रभावित ज़िलों में गतिविधियों की छूट के साथ तीन मई के बाद लॉकडाउन बढ़ाने का विचार रखा।

'देश युद्ध के बीच खड़ा'
रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश युद्ध के बीच खड़ा है और लोगों को सावधानी बरतना जारी रखना होगा। उन्होंने देशवासियों को ये बात ऐसे वक़्त में कही जब आर्थिक गतिविधियों को फिर से चालू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें धीरे-धीरे छूट दे रही हैं। ऐसे में सबकी निगाहें अब इस बात पर हैं कि तीन मई के बाद लॉकडाउन को लेकर क्या फ़ैसला लिया जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ लॉकडाउन को मददगार मानते हैं क्योंकि अगर लॉकडाउन ना होता तो एक व्यक्ति से औसतन तीन लोगों में वायरस जा सकता था। लेकिन बढ़ता हुआ लॉकडाउन अपने साथ कई चुनौतियों को भी लेकर चल रहा है, जो दिन बीतने के साथ-साथ बड़ी होती जा रही हैं।

लॉकडाउन बढ़ा तो...
अर्थशास्त्री विवेक कॉल कहते हैं कि अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो ज़्यादातर छोटे कारोबार और बड़े कारोबार बंद ही रहेंगे। कारोबार बंद रहेंगे तो व्यापारियों और उनके यहां काम करने वाले लोगों की आमदनी पर असर पड़ेगा। आमदनी पर असर पड़ेगा तो इसका सीधा सीधा असर खपत पर पड़ेगा। खपत पर असर पड़ा तो उसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

छोटे व्यापारियों ने एक महीने से ज़्यादा वक़्त का लॉकडाउन तो जैसे-तैसे काट लिया। लेकिन विवेक कॉल कहते हैं कि ये आगे बढ़ा तो छोटे व्यापारी की अपने कामगारों को तनख्वा देने की क्षमता और भी कम हो जाएगी। इससे लोगों की नौकरियां जाएंगी और उनकी तनख्वाहें काटी जाएंगी।

व्यापार मार खाएगा तो लोग भी...
अगर आर्थिक रूप से संपन्न लोगों की बात करें तो वो भी अपने घरों में बंद हैं। आर्थिक मामलों के जानकार कहते हैं कि लोगों के घर के बाहर ना निकलने की वजह से उनकी ख़रीददारी की क्षमता पर असर पड़ा है। लॉकडाउन ऐसे ही जारी रहा तो, लोग गाड़ियां नहीं ख़रीदेंगे, स्कूटर नहीं ख़रीदेंगे, वॉशिंग मशीन, एसी नहीं ख़रीदेंगे। मई-जून में एसी की ख़रीददारी काफ़ी होती है, लेकिन उस पर भी प्रभाव पड़ेगा। तो कुल मिलाकर व्यापार मार खाएगा। व्यापार मार खाएगा तो लोग भी मार खाएंगे।

आंशिक लॉकडाउन से कोई फ़ायदा होगा?
केंद्र और राज्य सरकारें लॉकडाउन पूरी तरह खोले जाने के पक्ष में नज़र नहीं आतीं। पिछले दिनों आए सरकारी निर्देश भी कहते हैं कि ग्रीन ज़ोन यानी जिनमें एक भी मामला नहीं है या ऑरेंज ज़ोन जहां मामले कम होते जा रहे हैं, वहां कुछ सावधानियां बरतते हुए आर्थिक गतिविधियां शुरू की जाएंगी। क्योंकि 'जान है तो जहान है' का नारा, अब 'जान भी जहान भी' में बदल गया है।

लेकिन ये आंशिक लोकडॉउन भी कम चुनौतीभरा नहीं है। मान लीजिए आप शहर के एक हिस्से में काम करते हैं और दूसरे हिस्से में आपका घर है। जहां आप काम करते हैं वहां चीज़ें ठीक-ठाक हैं, छूट मिल रही है। लेकिन जहां आप रह रहे हैं वो जगह खुल नहीं सकती, तो आप एक जगह से दूसरी जगह जाएंगे कैसे।

सप्लाई चेन की मुश्किलें
सप्लाई चेन में कुछ सुधार ज़रूर हुआ है, लेकिन इलाक़ों को ग्रीन ज़ोन, ऑरेंज ज़ोन और रेड ज़ोन में बांटे जाने से नई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। विकास जैन कहते हैं, इसमें अब ये चुनौती आ गई है कि सेफ़ यानी ग्रीन ज़ोन या ऑरेंज ज़ोन अपने आप को प्रोटेक्ट कर रहे हैं, बाहर से कुछ भी नहीं आने दे रहे हैं। जैसे तमिलनाडु ने हाइवे पर एक दीवार खड़ी कर दी। आंध्र प्रदेश ने हाइवे पर गड्ढा खोद दिया, ताकि कोई क्रॉस ना करे। हरियाणा ने अपनी सीमा सील कर दी है। इससे इंटर-स्टेट ट्रांसपोर्टेशन में दिक्क़त आ रही है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
गुड़गांव चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विकास जैन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के बारे में बताते हैं कि इस सेक्टर के लिए इस वक़्त सबसे बड़ी चुनौती कामगारों की सैलेरी है। वो कहते हैं, अगर लॉकडाउन में कामगार काम नहीं कर रहे हैं तो मैन्युफैक्चरर सैलेरी नहीं दे पाएंगे। उनके मुताबिक़ हालांकि प्रोडक्शन पहले से बेहतर हुआ है, लेकिन अब भी 25 से 30 प्रतिशत के बीच ही है।

विकास जैन कहते हैं कि सरकार ने पॉलिसी बनाई है, लेकिन इसके फोकस में ज़्यादातर सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग हैं, जबकि बड़े उद्योगों को भी सरकार के सहयोग की ज़रूरत है। वो कहते हैं, सारे उद्योग एक दूसरे से जुड़े हैं। छोटे उद्योगों से बड़े उद्योग माल ख़रीदते हैं। इसलिए बड़ों की भी मदद करनी होगी, नहीं तो एमएसएमई भी फेल हो जाएगा।

बस और ट्रेनें
लॉकडाउन बढ़ा तो बस और ट्रेनों पर रोक भी जारी रह सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि ये ज़रूरी भी है क्योंकि इससे वायरस जंगल की आग की तरह फैल सकता है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्तपाल में डिपार्टमेंट ऑफ़ मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. एसपी बयोत्रा कहते हैं, ट्रेन बस तो चालू करना ख़तरनाक होगा। एक भी संक्रमित हुआ तो बहुत से लोग संक्रमित हो जाएंगे। इससे तो पूरा सिस्टम ही फेल हो जाएगा। हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्य अपने प्रवासी मज़दूरों और छात्रों को लाने की बात कर रहे हैं।

लेकिन विकास जैन कहते हैं कि वहां जाकर भी लोग क्या खाएंगे। इन सभी लोगों को अपने राज्य में तो काम मिल नहीं पाएगा। इन चुनौतियों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों पर भी आर्थिक दबाव बढ़ रहा है। आर्थिक जानकार कहते हैं कि स्थिति ऐसी ही रही तो पुलिस, हेल्थकेयर वर्कर जैसे सरकारी कर्मचारियों की तनख्वा देने में भी दिक्क़त आ सकती है।

डॉक्टर बयोत्रा कहते हैं कि सोसाइटी में अभी वायरस ख़त्म नहीं हुआ है, हम अभी भी एसी स्थिति में हैं, जिसमें हम वायरस को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। वो भी मानते हैं कि लॉकडाउन को फ़िलहाल तो पूरी तरह नहीं खोला जा सकता, लेकिन सुरक्षा उपाय करते हुए कुछ छोटी-मोटी आर्थिक गतिविधियां शुरू करने के पक्ष में वो भी हैं।वहीं मेडिसिन डिपार्टमेंट के ही वाइस चेयरमैन डॉ. अतुल कक्कड़ कहते हैं कि अभी भी हम क्रिटिकल स्टेज में हैं और सोशल डिस्टेंसिंग अभी भी अहम है और इसमें लॉकडाउन मदद करेगा।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या सिगरेट बचा सकती है कोरोना वायरस से?