केरल से ग्राउंड रिपोर्ट: 'यक़ीन नहीं हो रहा कि मैंने माता-पिता को खो दिया है'

Webdunia
गुरुवार, 16 अगस्त 2018 (11:18 IST)
- प्रमिला कृष्णन (तमिल सेवा)
 
"भूस्खलन में मैंने अपने माता-पिता को खो दिया. मैं उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकी।" 46 बरस की शाली ने अपना दर्द कुछ इसी अंदाज़ में बयान किया।
 
 
शाली क़ुदरत के उस कोप से पीड़ित हैं जिसे केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन साल 1924 के बाद राज्य की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा बता चुके हैं। शाली से हमारी मुलाक़ात इडुक्की के बाढ़ राहत कैंप में हुई। इस कैंप में पांच सौ से ज़्यादा लोगों ने शरण ली हुई है।
 
 
कुंजाक्कुझी इलाके में हुए भूस्खलन में शाली के माता-पिता इलिक्कुट्टी (60) और अगस्ती (65) की मौत हो गई। यहां 11 अन्य लोगों ने भी जान गंवा दी। शाली कहती हैं, "हर साल बारिश और भूस्खलन होता है, लेकिन मुझे यक़ीन नहीं हो रहा है कि इसमें मैंने अपने माता-पिता को खो दिया है। उस वक़्त वो सो रहे थे।"
 
 
बदल गई बारिश की भाषा
शाली का घर केरल के इडुक्की ज़िले में है। ये इलाका ख़ूबसूरत पहाड़ियों से घिरा है। इसलिए वो बारिश के मिज़ाज से वाकिफ़ हैं।
 
 
वो कहती हैं, "बारिश के दौरान गांव में अंधेरा छा जाता है और इसके बाद बूंदें गिरती हैं। लेकिन हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर कभी असर नहीं होता। ये मॉनसून की बारिश होती है। उस दौरान हम घर में ही रहते हैं। पहले भी कुछ जगहों पर हमेशा ज़मीन धंसती थी, लेकिन हम कभी भूस्खलन से प्रभावित नहीं हुए थे। जब मॉनसून की विदाई होती है तो भी हल्की बारिश के साथ होती है। मुझे लगा कि ऐसा ही होगा।"
 
 
राहत शिवर में रह रही शाली कम से कम एक बार अपने माता-पिता के घर जाना चाहती हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश, भूस्खलन और ऐसे ही दूसरे ख़तरों की वजह से वो कहीं भी नहीं जा पा रही हैं। इन हालात ने उन्हें और ज़्यादा परेशान कर दिया है।
 
बारिश में बरसते आंसू
शाली कहती हैं हादसे के एक दिन पहले उन्होंने अपने माता-पिता से बात की थी। वो कहती हैं, "उन्होंने मुझसे कहा था कि चिंता मत करो। लेकिन अब उनके घर का नामो-निशान तक नहीं है। मेरे पड़ोसियों ने मुझे सिर्फ़ उनकी मौत के बारे में बताया। दीवार ने उनके घर से बाहर निकलने का रास्ता बंद कर दिया। बाद में वो बाढ़ के पानी में घिर गए। ये परिवार के लिए बहुत दुखद घटना है।"
 
 
शाली के पति को दिल की बीमारी है। माता-पिता उनके लिए संबल की तरह थे। उनके बेटे बिबिन और बेटी स्नेहा पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। वो कहती हैं, "मैं अपने माता-पिता की मदद करने के बारे में सोचती थी। मुझे लगता था कि मेरे बच्चे इस स्थिति में हैं कि वो मेरी देखभाल कर सकते हैं। मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैं कभी अपने माता-पिता की मदद नहीं कर सकी।"
 
 
शाली कहती है, "हम हमेशा बारिश के साथ रहे हैं। अब इसने हमारी ज़िंदगी को जख़्म दे दिया है।"
 
 
विक्रमन की उम्र 65 बरस है। वो इडुक्की के किसान हैं। वो कहते हैं कि उन्होंने पहले कभी ऐसी प्राकृतिक आपदा नहीं देखी। विक्रमन कहते हैं, "हममें से कई ने अपने घर गंवा दिए। घर का सामान भी चला गया। शाली की स्थिति सबसे ख़राब है। हम उन्हें दिलासा दे रहे हैं। साल 1974 में इडुक्की में कई जगह भूस्खलन हुआ था, लेकिन मौजूदा बारिश की तरह तब इतनी जनहानि नहीं हुई थी।"
 
 
राहत शिविर में रहने वाले लोग एक दूसरे को दिलासा दे रहे हैं। सभी एक साथ खाना खाते हैं। विक्रमन कहते हैं, "कई बार हम लोगों के रोने की आवाज़ सुनते हैं। कुछ लोग चुपचाप सोए रहते हैं।"... इस राहत शिविर में क़रीब 70 बच्चे भी हैं। कुछ मौकों पर वो बूंदाबांदी में निकल आते हैं और खेलने लगते हैं।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

ISI एजेंट से अंतरंग संबंध, पाकिस्तान में पार्टी, क्या हवाला में भी शामिल थी गद्दार Jyoti Malhotra, लैपटॉप और मोबाइल से चौंकाने वाले खुलासे

संभल जामा मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

itel A90 : 7000 रुपए से भी कम कीमत में लॉन्च हुआ iPhone जैसा दिखने वाला स्मार्टफोन

सिर्फ एक फोटो से हैक हो सकता है बैंक अकाउंट, जानिए क्या है ये नया व्हाट्सएप इमेज स्कैम

Motorola Edge 60 Pro : 6000mAh बैटरी वाला तगड़ा 5G फोन, जानिए भारत में क्या है कीमत

50MP कैमरे और 5000 mAh बैटरी वाला सस्ता स्मार्टफोन, मचा देगा तूफान

Oppo K13 5G : 7000mAh बैटरी वाला सस्ता 5G फोन, फीचर्स मचा देंगे तहलका

अगला लेख