Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

यूक्रेन-रूस संकट में इस्लामिक देश किसके साथ खड़े हैं?

हमें फॉलो करें यूक्रेन-रूस संकट में इस्लामिक देश किसके साथ खड़े हैं?

BBC Hindi

, शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022 (07:55 IST)
यूक्रेन की 4.49 करोड़ की आबादी में मुसलमानों की आबादी एक से दो फ़ीसदी मानी जाती है। यहाँ की बहुसंख्यक आबादी ईसाई है। पूर्वी यूक्रेन पर रूस सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है।
 
रूस की इस कार्रवाई को लेकर पश्चिम के देश ग़ुस्से में हैं और अब तक कई प्रतिबंधों की घोषणा कर चुके हैं। जापान और ऑस्ट्रेलिया भी पश्चिम के देशों के साथ खड़े हैं। इनके अलावा बाक़ी के देश अपने हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलित बयान दे रहे हैं।
 
आइए एक नज़र डालते हैं कि प्रमुख इस्लामिक देश या मुस्लिम बहुल देश यूक्रेन को लेकर छिड़े संघर्ष में किसके साथ हैं-
 
सऊदी अरब
23 फ़रवरी को संयुक्त संयुक्त राष्ट्र की एक आम सभा में सऊदी अरब ने रूस की निंदा किए बिना राजनयिक समाधान की बात कही थी। सऊदी अरब ने दोनों पक्षों से सैन्य तनाव कम करने की अपील की थी। कहा जा रहा है कि मीडिया का पूरा ध्यान यूक्रेन पर है लेकिन इसकी वजह बढ़ रही गैस की क़ीमत की बात कम हो रही है।
 
गैस की क़ीमत यूक्रेन संकट के कारण पिछले सात सालों में सबसे ज़्यादा हो गई है। हाल के वर्षों में रूस और सऊदी की साझेदारी में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुई है। रूस और सऊदी अरब दोनों दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं और निर्यात के फ़ैसलों पर इनका नियंत्रण होता है।
 
अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे हैं। इसका संकेत इस महीने भी मिला था, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी अरब से तेल का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। अगर सऊदी ऐसा करता तो न केवल महंगाई और गैस की क़ीमत कम करने में मदद मिलती बल्कि इससे रूस के फायदे को भी काबू में किया जाता। लेकिन सऊदी अरब ने इससे इनकार कर दिया था।
 
कहा जाता है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की बढ़ती ताक़त का एक नतीजा यह भी हुआ है कि सऊदी और रूस के संबंध और गहरे हुए हैं। 2015 की गर्मी पुतिन और क्राउन प्रिंस की पहली बैठक हुई थी। इसके बाद से दोनों नेताओं की कई बैठकें हुई हैं। बाइडन जब राष्ट्रपति बने तो उन्होंने कहा था कि वह अपने समकक्षों से ही मिलेंगे। क्राउन प्रिंस सऊदी अरब के रक्षा मंत्री हैं और उनसे अमेरिका के रक्षा मंत्री ही मिलेंगे।
 
द इंटरसेप्ट से एक रिपोर्ट में ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में सीनियर फेलो ब्रूस राइडेल कहते हैं, ''पुतिन और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस में बहुत कुछ समानता है। घर के भीतर या बाहर अपने विरोधियों को दोनों बर्दाश्त नहीं करते हैं। दोनों पड़ोसी देशों में हमले करते हैं और तेल की क़ीमत जितना संभव हो सके ऊंची रखने की कोशिश करते हैं। यूक्रेन पर हमले के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस के लिए सबसे अच्छा मौक़ा होगा। क्योंकि तेल की क़ीमत सातवें आसमान पर पहुँच जाएगी।
 
कई लोग सऊदी को लेकर यह सवाल भी उठा रहे हैं कि वह यूक्रेन पर बोलने का अधिकार नहीं रखता है क्योंकि यमन कई सालों से सैन्य कार्रवाई कर रहा है। बुधवार को भारत के जाने-माने गीतकार जावेद अख़्तर ने ट्वीट कर कहा था कि पश्चिम की ताक़ते सऊदी अरब की यमन में बमबारी पर क्यों चुप रहती हैं?
 
तुर्की
तुर्की संवैधानिक रूप से इस्लामिक देश नहीं है लेकिन यहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमान है। तुर्की नेटो का भी सदस्य है। नेटो के सदस्य होने के नाते वह यूक्रेन पर रूसी हमले के साथ नहीं है लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन जब अमेरिका से नाराज़ होते हैं तो पुतिन के पास ही जाते हैं। रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम लेने कारण तुर्की पर अमेरिका ने प्रतिबंध भी लगाया था। बाइडन के आने के बाद से तुर्की का संबंध अमेरिका से ख़राब हुआ है।
 
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फ़ोन पर बात की। तुर्की के राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से इस बातचीत को लेकर एक बयान जारी किया गया है।
 
बयान में कहा गया है, इस बातचीत में रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर बात हुई। राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संवाद को हमेशा से अहमियत दी है, जिसके कई अच्छे नतीजे भी मिले और वह आगे भी संवाद जारी रखेंगे।
 
तुर्की ने ज़ोर देते हुए कहा कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने वाले क़दमों का वह समर्थन नहीं करता है और उसका ये रुख़ सिद्धांतों पर आधारित है। अर्दोआन ने मिन्स्क समझौते के तहत समस्या के समाधान पर ज़ोर दिया।
 
अर्दोआन ने मौजूदा हालात को जटिल बताते हुए कहा कि सैन्य संघर्ष से किसी को भी फ़ायदा नहीं होगा इसीलिए तुर्की कूटनीतिक तरीक़े से समाधान निकालने के पक्ष में है। तुर्की तनाव कम करने में भूमिका निभाने के लिए भी तैयार है। अर्दोआन ने कहा कि नेटो में भी तुर्की अपनी सकारात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा। तुर्की के राष्ट्रपति ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को उच्च स्तरीय सहयोग परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया है।
 
ईरान
ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है। ईरान का संबंध अमेरिका से 1979 में इस्लामिक क्रांति से ही ख़राब है। रूस से ईरान के अच्छे संबंध रहे हैं।
 
यूक्रेन संकट को लेकर ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद ख़ातिबज़ादेह ने मंगलवार को कहा था, ''इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान सभी पक्षों से धैर्य की अपेक्षा करता है। किसी भी तरह के तनाव बढ़ाने वाले क़दम से परहेज़ करना चाहिए। सभी पक्ष संवाद के ज़रिए अपने मतभेदों को सुलझा सकते हैं। दुर्भाग्य से अमेरिका ने नेटो के हस्तक्षेप और उकसाऊ क़दम से इलाक़े की स्थिति को जटिल बना दिया है।
 
हालांकि रूस के साथ ईरान के संबंध ऐतिहासिक रूप से मधुर नहीं रहे हैं। 1943 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तेहरान में मित्र देशों के नेता स्टालिन, चर्चिल और फ़्रैंकलीन डी रूज़वेल्ट की बैठक हुई थी। उस वक़्त ईरान पर रूस और ब्रिटेन का कब्ज़ा था। तेहरान कॉन्फ़्रेंस में ही मित्र देश दूसरे मोर्चे को लेकर नॉरमंडी पर आक्रमण के लिए सहमत हुए थे। 1941 में रूस और ब्रिटेन ने तटस्थ ईरान पर हमला किया था ताकि तेल की आपूर्ति बाधित ना हो और रूसी आपूर्ति जारी रहे।
 
पाकिस्तान
पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र इस्लामिक देश है, जो परमाणु शक्ति संपन्न है। शीत युद्ध के दौरान पाकिस्तान अमेरिकी खेमे में था लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। सबसे दिलचस्प है कि पुतिन ने यूक्रेन पर हमले का आदेश दिया है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान रूस के दौर पर पहुँचे हैं।
 
सोशल मीडिया पर कई विश्लेषकों का कहना है कि इमरान ख़ान ने दौरे का बिल्कुल ग़लत समय चुना है। कहा जा रहा है कि इमरान ख़ान ने दौरे का जो वक़्त चुना है उससे संदेश जाएगा कि पाकिस्तान यूक्रेन संकट में अमेरिकी के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ नहीं बल्कि रूस के साथ खड़ा है।
 
पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार डॉन के अनुसार, वहाँ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ़ ने इमरान ख़ान के दौरे के समय को लेकर लगाई जा रही अटकलों को ख़ारिज कर दिया है। युसूफ़ ने कहा है, ''हाँ वैश्विक तनाव है लेकिन हमारा दौरा द्विपक्षीय है और यह चीन के दौरे की तरह ही है। हमारे दौरे में आर्थिक मुद्दे शामिल हैं। हम किसी एक खेमे में नहीं हैं।''
 
यूएई
संयुक्त अरब अमीरात ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन के मुद्दे को कूटनीतिक वार्ता से सुलझाने की अपील की है। यूएई ने यह नहीं कहा है कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। यूएई की सरकारी न्यूज़ एजेंसी WAM के अनुसार, रूस और यूएई के विदेश मंत्री ने बुधवार को फ़ोन पर बात की और अपने संबंधों को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच संबंध मज़बूत करने की बात यूक्रेन संकट के दौरान हुई है।
 
कॉपी - रजनीश कुमार

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Russia-Ukraine Conflict: यूक्रेन पर भारत के 'निष्पक्ष' रुख का रूस ने किया स्वागत