- सुरेंद्र कुमार (पूर्व भारतीय राजदूत)
ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में 22 सितंबर को अमेरिका में बसे 50 हज़ार भारतीयों और कई अमेरिकी सांसदों, सेनेटरों, गवर्नरों, मेयरों और कारोबारियों के सामने हुआ 'हाउडी मोदी' का मेगा शो, जिसकी टैग लाइन थी- 'साझा स्वप्न, सुनहरा भविष्य' - वो किसी रॉक कंसर्ट से कम नहीं था। वहां लोगों का हुजूम था, चमक-दमक थी, संगीत था, नृत्य था और थी नारेबाज़ी- मोदी! मोदी!
ये एक ऐसा शो था जिसे देख शायद ख़ुद ज़बरदस्त शोमैन समझे जाने वाले पूर्व टीवी होस्ट डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय फ़िल्मी सितारों अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ ख़ान औऱ सलमान ख़ान को भी जलन होती होगी।
इस आयोजन में साफ़ दिखा कि अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय के लोगों पर मोदी का चुंबकीय असर है। यह समुदाय एक तरफ तो अमेरिका के संपन्न समुदायों में एक है, जिसके पास वित्तीय, राजनीतिक और संगठनात्मक स्तर पर संसाधनों की कमी नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर यह अपनी भारतीय जड़ों यानी धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से बेहद गहरे ढंग से जुड़ा हुआ है। यह समुदाय भारतीय योग से लेकर भारतीय नृत्य और फ़िल्म संगीत को भी अपने भीतर समाहित कर लेना चाहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस समुदाय को अपनी भारतीयता पर गर्व है। इन सबके बावजूद मोदी का जिस गर्माहट और उत्साह से स्वागत किया गया वह अविश्वसनीय रहा।
मगर जब पर्दा गिरा, चमकती बत्तियां बंद हो गईं, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि 'हाउडी मोदी' का असल विजेता कौन है- ट्रंप या मोदी? दोनों ही नेता, जो इतने अलग होकर भी एक जैसे हैं, वे इस साझा मंच से कई उद्देश्यों को साधने की कोशिश कर रहे थे- अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना क़द ऊंचा करना, अपने समर्थकों में अपनी दमदार पहचान को मज़बूती से पेश करना, प्रतिद्वंद्वी देशों को संदेश देना, चुनावी फ़ायदे के लिए राजनीतिक पकड़ बनाना, द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार, कारोबार, रक्षा और निवेश से जुड़े मुद्दों पर समझ बढ़ाना और चीन, रूस, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों पर अच्छे समझौतों के लिए माहौल बनाना और आतंकवाद पर लगाम लगाना।
मोदी के ह्यूस्टन के ऊर्जा सेक्टर में की गई पहली बातचीत से पेट्रोनेट लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) का अमेरिकी बेहेमोथ- टेल्यूरियन इंक से समझौता हुआ है जिसके तहत पेट्रोनेट हर साल अमेरिकी कंपनी से पांच मिलियन टन एलएनजी आयात करेगी। इस एक समझौते ने ही व्यापार असंतुलन को लेकर ट्रंप की घबराहट को काफ़ी हद तक कम कर दिया होगा।
ट्रंप इस डील से बेहद खुश दिखाई दिए और उन्हें उम्मीद होगी कि दोनों देशों के बीच रक्षा और ऊर्जा सेक्टर में तेजी से वृद्धि हो। उन्होंने इस मौके पर अमेरिका में, ख़ासकर स्टील उद्योग क्षेत्र में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों की भी प्रशंसा की।
'अबकी बार ट्रंप सरकार'
इस मेगा इवेंट में भारतीय मूल के अमेरिकियों ने ट्रंप का शानदार स्वागत किया, इससे यह भी पता लगता है कि ट्रंप की अपनी छवि भी बेहतर हुई है, जो अप्रवासियों के मुद्दों पर उनके भाषणों और आदेशों के चलते काफ़ी प्रभावित हुई थी, उनके आदेश को विभिन्न अदालतों में चुनौती भी मिल चुकी है।
भारत अमेरिका से पेट्रोलियम, गैस और रक्षा उपकरणों को ख़रीदना चाहता है और कारोबार को देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने तीखे टैरिफ़ पर कुछ समय तक नियंत्रण रख सकते हैं। जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका रवाना हो रहे थे उसी दिन भारत में कॉर्पोरेट टैक्स में काफ़ी कटौती की घोषणा को अमेरिका में पॉज़िटिव नज़रिए से देखा गया है।
मोदी ने अपने संबोधन में ट्रंप के मजबूत नेतृत्व और अमेरिका को फिर से महान बनाने के प्रति उनके पैशन की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि ट्रंप अमेरिका और दुनियाभर के लिए काफी कुछ हासिल कर रहे हैं। इसके अलावा मोदी ने चरमपंथ के ख़िलाफ़ भारत की लड़ाई में साथ देने के लिए भी उनको धन्यवाद दिया।
वहीं निजी तौर पर, मोदी ने ट्रंप को गर्मजोशी से भरा, दोस्ताना, ऊर्जा से भरा और सहज रूप से उपलब्ध बताया। मोदी ने ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए भी 'अबकी बार ट्रंप सरकार' कहकर ट्रंप का दिन बना दिया। मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि हम लोग नया इतिहास बनते हुए देख रहे हैं और एनआरजी स्टेडियम में उत्साह और जोश से नई कैमेस्ट्री भी बन रही है।
ट्रंप ने अपने जवाबी संबोधन में मोदी को अमेरिका का सबसे प्रतिबद्ध और भरोसेमंद दोस्त बताया। उन्होंने भारतीय चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के लिए मोदी की प्रशंसा की और कहा कि कई आर्थिक सुधारों को लागू करके मोदी वाक़ई में भारत के लिए अद्भुत काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने भारत में लाखों लोगों को ग़रीबी से बाहर निकाला है।
उन्होंने इस मौके पर अमेरिका में बसे क़रीब 40 लाख शानदार भारतीयों के प्रति गहरा आभार जताते हुए कहा कि यह समुदाय अमेरिकी संस्कृति और अमेरिकी वैल्यू को समृद्ध बना रहा है।
कश्मीर
मोदी ने अपने भाषण में अपनी कई उपलब्धियों का जिक्र किया है, लेकिन सबसे अहम यह रहा है कि उन्होंने ट्रंप की मौजूदगी में अनुच्छेद 370 को फेयरवेल देने की बात कही। उनकी इस घोषणा से यह स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर पर हालिया फ़ैसला भारत का आंतरिक मामला है और अमेरिका भी इस बात को मान रहा है।
ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर पूछा कि क्या उन्हें मुंबई के पहले एनबीए मैच को देखने के लिए आमंत्रित किया जाएगा और उन्होंने ये भी संकेत दिया कि वे आ सकते हैं। इससे अंदाज़ा होता है कि वे निकट भविष्य में भारत की यात्रा कर सकते हैं। किसको क्या पता मोदी ट्रंप को अगले साल गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें मुख्य अतिथि के तौर पर भी निमंत्रित कर सकते हैं।
मोदी और ट्रंप अपने अपने समर्थकों के पास जाकर दावा कर सकते हैं कि यह आयोजन उनकी जीत रही। इस मेगा इवेंट का एक संदेश तो साफ़ है कि अब भारत-अमेरिका के आपसी संबंध, कई मुद्दों पर मतभेद के बाद भी नई ऊंचाइयों तक पहुंच गए हैं। दोनों देशों को इस संबंधों से फ़ायदा ही होना है।
मोदी निजी बातचीत में बताते हैं कि ट्रंप उन्हें मोल-तोल करने के लिहाज से मुश्किल नेता बताते हैं लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डील करने के लिहाज से माहिर नेता हैं और मैं उनसे सीख रहा हूं। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में दोनों नेता कारोबारी समझौतों की घोषणा कर सकते हैं जिससे भारत और अमेरिका दोनों के हित सधेंगे। एनआरजी स्टेडियम में दोनों नेताओं की कैमेस्ट्री से यही ज़ाहिर होता है कि अच्छी चीज़ें भविष्य में आने वाली हैं। इस आयोजन ने मौजूदा दौर के ग्लोबल प्रभावशाली नेताओं की कतार में ला दिया है।