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जीएसटी काउंसिल की बैठक: जीएसटी क़ानून के आधार पर मोदी सरकार को कैसे घेर रहे हैं राज्य

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BBC Hindi

, गुरुवार, 27 अगस्त 2020 (08:12 IST)
सलमान रावी, बीबीसी संवाददाता
गुरुवार को जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक होने जा रही है जिसमें राज्यों को दिए जाने वाले मुआवज़े पर विचार किया जाएगा।
 
इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राज्यों की ओर से भारी दबाव का सामना करना पड़ सकता है जो जीएसटी मुआवज़े की मांग कर रहे हैं।
 
केंद्र सरकार की तरफ़ से राज्यों को दिये जाने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के लगभग 44 हज़ार करोड़ रुपए बक़ाया हैं।
 
मगर सरकार ने वित्त मामलों की संसदीय समिति को साफ़ तौर पर कह दिया था कि वो राज्यों को जीएसटी की क्षतिपूर्ति करने की स्थिति में नहीं है। संसदीय समिति की बैठक में कई राज्यों के सांसदों ने सरकार का ध्यान इस तरफ़ खींचा था।
 
संसदीय समिति के सामने मौजूद वित्त सचिव अजय भूषण पाण्डेय ने स्पष्ट किया था कि केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी की भरपाई करने की स्थिति में इसलिए नहीं है क्योंकि महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है।
 
उनका ये भी कहना था कि 'कोरोनावायरस महामारी की वजह से लोगों के खरीदने की क्षमता में काफ़ी कमी आई है, इसलिए जीएसटी भी उतना जमा नहीं हो पाया है।'
 
मगर गुड्स एंड सर्विस टैक्स क़ानून के तहत राज्यों को जीएसटी लागू करने के बाद पांच साल तक राजस्व में होने वाले नुक़सान के बदले मुआवज़ा देने का प्रावधान है। ऐसे में, राज्यों को मुआवज़ा नहीं दे पा रही केंद्र सरकार को इस विषय पर अटॉर्नी जनरल की राय भी लेनी पड़ी है।
 
आर्थिक तंगी से जूझते राज्य : इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र सरकार सिर्फ़ 1।85 लाख करोड़ रुपए जीएसटी ही वसूल कर पाई थी जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में उसने 3।14 लाख करोड़ रुपए वसूले थे।
 
अर्थशास्त्री मानते हैं कि जीएसटी की वसूली में और भी ज़्यादा गिरावट के आसार हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में काफ़ी समय लग जाएगा।
 
इस मामले पर कांग्रेस की तरफ़ से बोलते हुए पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल का कहना था कि 'अगर राज्यों को उनका जीएसटी का मुआवज़ा नहीं मिलता है तो इसे राज्यों के साथ छल के रूप में देखा जाएगा।'
 
कर्नाटक के कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा कहते हैं कि महामारी के इस संकट काल में राज्यों को इस पैसे की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
 
बुधवार को कांग्रेस और ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के बाद कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि दो हफ़्तों बाद संसद का सत्र शुरू होने वाला है, ऐसे में उन्होंने राज्यों से बात करना ज़रूरी समझा।
 
सोनिया ने कहा कि वह चाहती थीं कि सभी राज्यों बात की जाए ताकि राज्य जीएसटी जैसे ज्वलंत और महत्वपूर्ण मुद्दों पर साझा तरीके से अपनी बात केंद्र सरकार तक पहुंचा पाएं।
 
सोनिया गाँधी का कहना था कि 11 अगस्त को वित्त मामलों पर संसद की 'स्टैंडिंग कमिटी' के सामने भारत के वित्त सचिव का यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण था कि केंद्र इस स्थिति में नहीं है कि राज्यों को जीएसटी का मुआवज़ा दे सके। उनका कहना था कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार को जीएसटी का 14 प्रतिशत राज्यों को बतौर मुआवज़ा देना था।
 
बीजेपी शासित राज्य भी कर रहे मांग : जीएसटी काउंसिल की बैठक 27 अगस्त को होने वाली है और उससे पहले ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों के नेताओं की इस बातचीत को अहम माना जा रहा है क्योंकि सभी मिलकर केंद्र सरकार पर मुआवज़े के लिए दबाव बनाना चाहते हैं।
 
ऐसा नहीं है कि बीजेपी शासित राज्य जीएसटी मुआवज़ा नहीं मांग रहे। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी स्पष्ट कर दिया कि 'सरकार को जीएसटी का मुआवज़ा राज्यों को देना ही चाहिए, चाहे इसके लिए उसे क़र्ज़ क्यों न लेना पड़े।'
 
मोदी का कहना था कि बिहार के राजस्व का 76 प्रतिशत केंद्र से ही आता है। ऊपर से कोरोना वायरस और बाढ़ ने राज्य की आर्थिकी को चोट पहुंचाई है। इसी तरह की मांग गुजरात ने भी की है।
 
क्या है रास्ता : इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के चांद वाधवा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि 'ये सही है कि अर्थव्यवस्था संकट में है और केंद्र सरकार राज्यों को मुआवज़ा नहीं दे पा रही है।' वो कहते हैं कि इसका एक हल यह हो सकता है कि सरकार क़र्ज़ लेकर राज्यों का भुगतान करे क्योंकि सारे राज्य आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहे हैं।
 
वाधवा का कहना था कि न सिर्फ़ राज्य, बल्कि आम व्यवसायी भी परेशान हैं। जिन व्यवसायों ने जीएसटी रिटर्न भरे थे, उनको भी भुगतान नहीं हो पाया है।
 
वहीं केंद्र सरकार ने जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले कानूनी राय भी मांगी है कि किस तरह मुआवज़े के भुगतान की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाए।
 
ज़ाहिर सी बात है कि बैठक के हंगामेदार होने के आसार हैं क्योंकि सभी राज्यों की वित्तीय हालत ख़राब है। ऐसे में वे केंद्र पर ज़्यादा से ज़्यादा बक़ाये के भुगतान के लिए दबाव बनाएंगे।
 
जीएसटी काउंसिल का कहना है कि उसने राज्यों को मई महीने में 8920।41 करोड़ रुपए और जून में 11116।8 करोड़ रुपए का जीएसटी का भुगतान किया है। अप्रैल में भुगताम की रक़म 1833।08 करोड़ रुपए थी।
 
कांग्रेस का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण राज्यों को लगभग 6 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुक़सान हुआ है और केंद्र सरकार को इसका मुआवज़ा देना चाहिए।

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