डिजिटल बूम के बावजूद भारत में नकदी का चलन क्यों बना हुआ है सबसे अधिक?

BBC Hindi
शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023 (07:59 IST)
सौतिक बिस्वास, बीबीसी संवाददाता
भारत सरकार ने साल 2016 के नवंबर महीने में भ्रष्टाचार और अघोषित संपत्ति की समस्या से निपटने के मकसद से अपने दो बैंक नोटों को अचानक चलन से बाहर कर दिया। ये बैंक नोट 500 और 1000 रुपये की राशि थे जिनकी कुल भारतीय मुद्रा में हिस्सेदारी 86 फीसद थी।
 
सरकार के इस एलान के तुरंत बाद बैंकों और एटीएम के सामने लंबी कतारें लगती देखी गयीं। और एकाएक पूरे देश में अफ़रा-तफ़री का माहौल पैदा हो गयी।
 
कुछ आलोचकों के मुताबिक़, इस कदम से निम्न आय वर्ग के भारतीयों को नुकसान हुआ और देश की विशाल अनौपचारिक अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई जहां लोग नकदी में लेन देन किया करते थे।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम का लगातार ये कहते हुए बचाव किया कि नोटबंदी ने काले धन को कम करने, टैक्स कलेक्शन बढ़ाने और टैक्स के दायरे में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को लाने और पारदर्शिता बढ़ाने में काफ़ी मदद की है।
 
लेकिन इस फ़ैसले के सात साल बाद भी भारत में नकदी का चलन बड़े पैमाने पर है। इसने नोटबंदी के विवादित फ़ैसले के औचित्य पर नए सिरे से संदेह पैदा किया है।
 
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, 2020-21 में अर्थव्यस्था में नकदी का चलन 16।6% बढ़ गया जबकि इसके पहले दशकों में इसकी औसत वृद्धि दर 12.7% रही है। किसी भी देश में कैश के चलन को जानने के लिए, देश के कुल सकल उत्पाद में उसके हिस्से को देखा जाता है। भारत के जीडीपी में कैश का हिस्सा 2020-21 में 14% था और 2021-2022 में 13% था
 
दूसरी तरफ़ डिज़िटल लेन देन में भी तेज़ी से उछाल आ रहा है, इसकी मुख्य वजह स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल, डेबिट कार्ड का इस्तेमाल और बड़े पैमाने पर कल्याणकारी योजनाएं हैं।
 
डिज़िटल लेन देन 1 ट्रिलियन डॉलर के पार
डिज़िटल लेन देन में आया उछाल यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) की वजह से भी है। यूपीआई के ज़रिए इंटरनेट के माध्यम से स्मार्टफोन एप के ज़रिए एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में कैश ट्रांसफर किया जा सकता है।
 
पिछले साल देश में यूपीआई लेनदेन एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया था, जोकि भारत की जीडीपी के एक तिहाई के बराबर है।
 
एसीआई वर्ल्डवाइड एंड ग्लोबल डेटा (2023) के मुताबिक़, 8.9 करोड़ लेन देन के साथ भारत की वैश्विक डिज़िटल पेमेंट में हिस्सेदारी 46% तक पहुंच गई है।
 
एक साथ नकदी और डिज़िटल पेमेंट में उछाल को आम तौर पर ‘मुद्रा मांग’ विरोधाभास के रूप में जाना जाता है।
 
आरबीआई की ओर से हर साल जारी की जाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक़, “आम तौर पर नक़दी और डिज़िटल लेन देन को एक दूसरे का विकल्प माना जाता है, लेकिन दोनों में वृद्धि उम्मीद के विपरीत है।”
 
एटीएम से नकदी निकासी धीमी हो गई है और ‘करेंसी वेलोसिटी’- अर्थव्यवस्था में ग्राहकों और बिज़नेस के बीच जिस दर से नकदी का लेन देन होता है- वो भी धीमा पड़ गया है।
 
लेकिन अधिकांश भारतीयों के लिए कैश के रूप में वित्तीय बचत करना एक सावधानी भरा कदम है। क्योंकि वे मानते हैं कि कैश के रूप में की गयी बचत को आपातकालीन स्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
 
नकदी चलन में 500 और 2,000 रुपये नोटों का हिस्सा सबसे अधिक है। आरबीआई के अनुसार, 31 मार्च तक चलन में रही कुल नकदी की क़ीमत में इनकी 87% से अधिक हिस्सेदारी थी। 2000 के नोटों को 2016 की नोटबंदी के बाद जारी किया गया था जिसे केंद्रीय बैंक ने पिछले मई महीने में वापस ले लिया।
 
कोविड महामारी के पहले हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि छोटी खरीदारियों में नक़दी और बड़े लेनदेन में डिज़िटल का दबदबा था।
 
नकदी लेन देन बढ़ा
एक कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'लोकल सर्कल्स' के हालिया सर्वे में पाया गया कि अधिकांश लोग किराने के सामान खरीदने, बाहर खाना खाने, बाहर घूमने जाने, किराए पर मदद लेने, निजी सेवाओं और घर की मरम्मत कराने में नकदी का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
 
आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, बैंक जमा पर गिरती ब्याज़ दरें, विशाल अनौपचारिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर डायरेक्ट बेनिफ़िट कैश ट्रांसफ़र की वजह से संभवत: नकदी का चलन बढ़ा होगा।

लेकिन राजनीति और रियल इस्टेट की भी अपनी भूमिका है। चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के प्रचार अभियानों में अघोषित पैसों का आना बदस्तूर है। हाल ही में आयकर अधिकारियों ने विपक्ष के एक सांसद से जुड़े ठिकानों से 200 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की।
 
साल 2018 में मोदी सरकार ने अवैध नकदी के चलन को बाहर करने और राजनीतिक वित्तपोषण को अधिक पारदर्शी करने के लिए सीमित समय और ब्याज़ मुक्त इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने की शुरुआत की।
 
आलोचकों का मानना है कि इसका असर उलटा हुआ। उनका कहना है कि ये बॉन्ड गोपनीय होते हैं। काला धन का एक बड़ा हिस्सा अभी भी रियल इस्टेट में बना हुआ है।
 
नवंबर में किए गए अपने सर्वे में लोकल सर्कल्स ने पाया कि भारत में पिछले सात सालों में प्रापर्टी ख़रीदने वाले 76% वालों ने नकदी में लेन देन किया। जबकि 15% लोगों ने आधे से अधिक का भुगतान नकदी में किया।
 
केवल 24% लोगों ने कहा कि उन्हें नकदी में भुगतान नहीं करना पड़ा जबकि इसके दो साल पहले ऐसा जवाब देने वालों की संख्या 30% थी।
 
नकदी और डिजिटल लेनदेन बढ़ने का विरोधाभास
देवेश कपूर और मिलन वैष्णव की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार, रियल इस्टेट के क्षेत्र में नकद लेनदेन की अहमियत डेवलपर्स के नेताओं से क़रीबी संबंध और उनके समर्थन से जुड़ी हुई है। हालांकि, नकदी और डिज़िटल दोनों तरह की करेंसी में उछाल के मामले में भारत कोई अपवाद नहीं है।
 
साल 2021 में यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में इस ढर्रे को ‘पैराडॉक्स ऑफ़ बैंक नोट्स’ या बैंक नोटों का विरोधाभास कहा था।
 
इसमें कहा गया था कि हाल के सालों में यूरो बैंक नोटों की मांग लगातार बढ़ी है जबकि खुदरा लेन-देन में बैंक नोट का इस्तेमाल घटा है।
 
लेकिन दिलचस्प है कि खुदरा लेनदेन में डिज़िटलीकरण के कारण नकदी के चलन में कमी के अनुमान के बावजूद एक अप्रत्याशित ट्रेंड का रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया।
 
यह अप्रत्याशित ट्रेंड था कि नकदी की मांग में कमी न आना। असल में, 2007 से चलन में रहने वाले यूरो नोटों की संख्या मांग बढ़ी ही है।
 
स्वीडन, उल्लेखनीय रूप से दुनिया का सबसे कैश-लैस समाज है। जबकि अधिकांश भारतीयों के लिए रोज़मर्रा की ज़िंदगी चलाने के लिए नकद पैसा अहम बना रहेगा।
 
दिल्ली के एक ऑटो रिक़्शा ड्राइवर अतुल शर्मा कहते हैं, “मेरे अधिकांश ग्राहक नकद में ही किराया देते हैं। नकद कभी ख़त्म नहीं होगा।”

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

क्या दिल्ली में समय से पूर्व हो सकते हैं विधानसभा चुनाव, केजरीवाल की मांग के बाद क्या बोले विशेषज्ञ

महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना मेरी कभी ख्वाहिश नहीं रही : उद्धव ठाकरे

अनिल विज ने बढ़ाई BJP की मुश्किलें, खुद को बताया CM पद का दावेदार, कहा- मैं सबसे सीनियर नेता

Caste Census : जाति जनगणना को लेकर बड़ा अपडेट, सरकार करने वाली है यह काम

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, कौन हैं झारखंड के लिए बड़ा खतरा...

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

iPhone 16 सीरीज लॉन्च होते ही सस्ते हुए iPhone 15 , जानिए नया आईफोन कितना अपग्रेड, कितनी है कीमत

Apple Event 2024 : 79,900 में iPhone 16 लॉन्च, AI फीचर्स मिलेंगे, एपल ने वॉच 10 सीरीज भी की पेश

iPhone 16 के लॉन्च से पहले हुआ बड़ा खुलासा, Apple के दीवाने भी हैरान

Samsung Galaxy A06 : 10000 से कम कीमत में आया 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाला सैमसंग का धांसू फोन

iPhone 16 Launch : Camera से लेकर Battery तक, वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

अगला लेख
More