Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कोरोनावायरस: रिकवरी रेट का बढ़ना कितनी बड़ी उपलब्धि?

हमें फॉलो करें कोरोनावायरस: रिकवरी रेट का बढ़ना कितनी बड़ी उपलब्धि?

BBC Hindi

, शुक्रवार, 31 जुलाई 2020 (07:24 IST)
शुभम किशोर, बीबीसी संवाददाता
भारत में कोविड-19 संक्रमण के कुल मामले अब क़रीब 16 लाख हो गए हैं। जिनमें से 5 लाख 30 हज़ार के क़रीब सक्रिय मामले हैं और 10 लाख से ज़्यादा लोग ठीक हो चुके हैं, वहीं मरने वालों की संख्या क़रीब 35 हज़ार हो गई है।
 
इन आँकड़ों के साथ भारत का रिकवरी रेट क़रीब 64 प्रतिशत हो गया, यानी अभी तक जितने लोग संक्रमित हुए हैं, उनमें से 64 प्रतिशत लोग ठीक हो गए हैं, लेकिन अगर केवल दिल्ली की बात करें तो ये आंकड़ा 90 प्रतिशत के क़रीब पहुंच गया है।
 
कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की संख्या के 10 लाख तक पहुंचने को सरकार एक उपलब्धि की तरह पेश कर रही है। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ट्वीट कर लिखा, “हमने 10 लाख लोगों के ठीक होने के आंकड़े को छू लिया है। ये मौक़ा है जब हमें अपने डॉक्टर, नर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स का अभिनंदन करना चाहिए। ये उनकी कर्तव्य निष्ठा और बलिदान का नतीजा है जो इतनी बड़ी संख्या में लोग रिकवर हुए हैं।”
 
लोगों के रिकवर होने में निश्चित रुप से डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अहम भूमिका निभाई है लेकिन क्या इससे यह साबित होता है कि सरकार कोविड से लड़ने में कामयाब साबित हो रही है?
 
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, भारत में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 50 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 52,123 नए मामले दर्ज किए गए हैं और 775 लोगों की मौत हुई है।
 
रिकवरी रेट क्यों बढ़ रहा है?
आइसीएमआर के पूर्व अध्यक्ष एन के गांगुली ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि रिकवरी रेट के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “ये बात ज़रुर है कि इंफ्रास्ट्रचर में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है, कम समय में कई अस्पताल तैयार कर लिए गए, पीपीई किट और वेंटीलेटर उपलब्ध हो गए, जिन राज्यों में ऐसा हुआ वहां उन लोगों की रिकवरी बढ़ी जो अस्पताल में भर्ती हुए, उन राज्यों में जहां बहुत अच्छी तैयारियां नहीं थी, वो जूझते हुए दिखाई दिए, जैसे दिल्ली और मुंबई में मरने वालों का प्रतिशत कम रहा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल थोड़ा पीछे रहे।”
 
गांगुली के मुताबिक़ भारत में बीमारी का प्रभाव भी अमेरिका और यूरोप जैसा नहीं था। इसका एक कारण ये हो सकता है कि हमारे देशों में सार्स के वायरस पहले भी आ चुके हैं। कई कंटेनमेंट ज़ोन में सरकार की पॉलिसी ने भी मदद की।
 
देश के पूर्व डॉयरेक्टर जनरल ऑफ़ हेल्थ सर्विसेज़ डॉक्टर जगदीश प्रसाद के मुताबिक़ “पहले हम प्लाज़्मा थेरेपी, एंटी वायरल ड्रग जैसी चीज़ें इस्तेमाल नहीं कर रहे थे, हर चीज़ का एक लर्निंग कर्व होता है, समय के साथ आप सीखते हैं, इस मामले में भी हमनें सीखा है जिसका ये असर हो सकता है।”
 
जगदीश प्रसाद बताते हैं, “इस बीमारी में यह देखा गया है कि बुज़ुर्गों पर इसका असर ज्यादा और युवाओं पर कम होता है। भारत में युवा ज़्यादा हैं, यहां 80 साल से अधिक उम्र के लोग कम है, पश्चिम देशों में अधिक उम्र के लोग ज़्यादा हैं, इसलिए वहां ज़्यादा जानें गई हैं, हमारे यहां ज़्यादा लोग ठीक हो गए।”
 
रिकवरी का बढ़ना महामारी के कम होने का संकेत
कोविड-19 महामारी की शुरुआत से ही यह बात पता था कि इस संक्रमण से मरने वाले लोगों का प्रतिशत बहुत कम रहेगा और ज़्यादातर लोग मामूली रूप से बीमार पड़ने के बाद ठीक हो जाएंगे, इसलिए अगर 15 लाख केस में 10 लाख लोग अभी तक ठीक हो चुके हैं, तो यह बात हैरान करने वाली नहीं है।
 
भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या क़रीब दो प्रतिशत है। पूरी दुनिया में इस संक्रमण से मरने वालों का आँकड़ा 3 प्रतिशत से अधिक है। अमेरिका में क़रीब 3 प्रतिशत से ज़्यादा मरीज़ों की मौत हुई है। ब्रिटेन में ये आँकड़ा 15 प्रतिशत है।
 
जगदीश प्रसाद के मुताबिक़, “क़रीब 5 प्रतिशत लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं, आपकी स्वास्थ्य व्यवस्था कैसा काम कर रही है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि जो लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, उनमें से कितने स्वस्थ होकर वापस जा रहे हैं।”
 
उनके मुताबिक़ इस रिकवरी रेट का सीधा संबंध कोरोना महामारी के ख़त्म होने से नहीं है, क्योंकि कई लोग जिनमें कोई लक्षण नहीं है, उनका टेस्ट भी नहीं हो रहा और वह इस बीमारी को अभी भी फैला रहे हैं, इसलिए लोगों को लगातार मॉनिटर करना बहुत ज़रूरी है।
 
इसके अलावा अगर हर दिन आने वाले नए केस की संख्या जब तक ठीक होने वाले लोगों की संख्या से ज़्यादा हैं, ये कहना ग़लत होगा कि बीमारी का प्रभाव कम हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ पिछले 24 घंटों में 52,123 नए केस आए हैं और 32,553 लोग ठीक हुए है।
 
डॉ. जगदीश प्रसाद के मुताबिक़ “इसका मतलब है कि बीमारी से संक्रमित लोगों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है।”
 
इसके अलावा कितने लोगों को हर दिन अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ रही है, ये भी एक संकेत है कि महामारी का प्रभाव कम हो रहा है या नहीं। गांगुली के मुताबिक़ अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है और यह एक अच्छा संकेत है।
 
लेकिन अभी देश में मेट्रो, ज़्यादातर बसें और भीड़भाड़ वाले इलाक़े बंद हैं, जब वह खुलेंगे तब की स्थिति क्या होगी, ये अभी से अनुमान लगाना मुश्किल है। इसके अलावा ग़रीब लोग, प्रवासी मज़दूर और उन जगहों पर रहने वाले लोग जहां सोशल डिस्टेंसिंग मुमकिन नहीं होता, उनका विशेष ख्याल रखना होगा।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आज का इतिहास : भारतीय एवं विश्व इतिहास में 31 जुलाई की प्रमुख घटनाएं