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कोरोना वायरस: प्रवासी मज़दूरों के चलते गांवों और क़स्बों तक पहुंचा संक्रमण?

हमें फॉलो करें कोरोना वायरस: प्रवासी मज़दूरों के चलते गांवों और क़स्बों तक पहुंचा संक्रमण?

BBC Hindi

, रविवार, 7 जून 2020 (12:45 IST)
समीरात्मज मिश्र, बीबीसी हिंदी के लिए
प्रवासी मज़दूरों की वापसी के बाद उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के आंकड़े जहां तेज़ी से बढ़ रहे हैं वहीं संक्रमण का दायरा अब क़स्बों और गांवों तक भी फैल चुका है। गांवों में तब तक संक्रमण के कोई मामले नहीं आए थे जब तक प्रवासी मज़दूरों और अन्य लोगों का बड़ी संख्या में आना शुरू नहीं हुआ था।
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा दस हज़ार के क़रीब पहुंचने वाला है और अब तक 257 लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है। हर दिन संक्रमित लोगों की संख्या सैकड़ों में पहुंच रही है। शुक्रवार को राज्य भर में 500 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं। हालांकि अब तक क़रीब छह हज़ार लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में कोरोना का पहला मामला तीस मार्च को सामने आया था जिसकी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी। उसके बाद एक महीने तक संक्रमण की दर काफ़ी धीमी रही लेकिन मई महीने में संक्रमण की रफ़्तार न सिर्फ़ तेज़ हुई बल्कि संक्रमण के मामले गांवों में भी दिखने लगे।

बस्ती में शुक्रवार तक कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या बढ़कर 218 हो गई है और अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच कई लोगों को लगातार तीन रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें घर भी भेजा जा चुका है।

बस्ती के ज़िलाधिकारी आशुतोष निरंजन कहते हैं कि संख्या इतनी ज़्यादा होने के बावजूद ज़िले में दहशत का माहौल नहीं है क्योंकि ज़िले में अब तक जितने भी पॉज़िटिव केस आए हैं वे सभी प्रवासी हैं।

अमेठी जैसे छोटे ज़िले में लॉकडाउन फ़ेज़ तीन तक कोई पॉज़िटिव केस नहीं था और इसे ग्रीन ज़ोन में शामिल किया गया था। लेकिन पांच मई के बाद पहला केस मिलने से लेकर अब तक संक्रमित लोगों की संख्या 150 के ऊपर पहुंच गई है।

इनमें से ज़्यादातर लोग ग्रामीण इलाक़ों से हैं। ज़िले के कई गांव कंटेनमेंट ज़ोन में तब्दील कर दिए गए हैं जहां आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रशासन की ओर से कराई जा रही है।

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2700 से ज़्यादा प्रवासी श्रमिक संक्रमित
राज्य में अब तक क़रीब 25 लाख प्रवासी श्रमिक मुंबई, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और दूसरे राज्यों से ट्रेनों और बसों के ज़रिये आ चुके हैं। इनके अलावा बड़ी संख्या में लोग पैदल, साइकिल अथवा ट्रक इत्यादि से भी आए हैं।
अब तक दूसरे राज्यों से आए कुल 2719 प्रवासी मज़दूर कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं जो कुल संक्रमित लोगों की क़रीब 30 फ़ीसद है।
 
प्रयागराज यूपी के बड़े ज़िलों में गिना जाता है लेकिन कोरोना संक्रमण का पहला मामला यहां पांच अप्रैल को सामने आया था। हालांकि उसके बाद भी संक्रमण की रफ़्तार यहां उतनी ज़्यादा नहीं रही जितनी अन्य जगहों पर है। फ़िलहाल पॉज़िटिव मामलों की संख्या 113 है और इनमें से ज़्यादातर ग्रामीण इलाक़ों के हैं और प्रवासी हैं।

प्रयागराज के ज़िलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी बताते हैं, "हमारे यहां क़रीब एक लाख पैंतीस हज़ार लोग बाहर से आए। ग्रामीण स्तर पर निगरानी समितियां तैयार की गईं ताकि बिना निगरानी के कोई स्थानीय लोगों के संपर्क में न आए।

हमारा मक़सद ये है कि हम बाहर से आने वालों की जांच करके ही उन्हें जाने दें क्योंकि पॉज़िटिव मामले बढ़ना ख़तरनाक नहीं है लेकिन यदि कोई भी पॉज़िटिव व्यक्ति अन्य लोगों के संपर्क में आ गया तो वह ज़्यादा ख़तरा बन जाएगा। ज़िले में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो कि बाहर से आया हो और वह हमारी निगरानी में न हो।"

सभी प्रवासी श्रमिक सरकार की नज़र में?
भानुचंद्र गोस्वामी कहते हैं कि बाहर से आने वाले प्रवासी पॉज़िटिव ज़रूर पाए गए हैं लेकिन उनकी वजह से स्थानीय लोगों में संक्रमण नहीं हुआ है।
 
गोस्वामी दावा करते हैं कि उनके ज़िले में जितने भी प्रवासी आए हैं सबकी रिपोर्ट नियमित तौर पर अपडेट होती है और तीन दिन के बाद कोई लक्षण न आने पर उन्हें घर पर क्वारंटीन के लिए भेजा जाता है।
उनके मुताबिक़, इस दौरान कई लोगों की पूल टेस्टिंग भी की गई है और जागरूकता फैलाने की भी कोशिशें की गई हैं जो अभी भी जारी हैं।

हालांकि ऐसा नहीं है कि राज्य के सभी ज़िलों में यही स्थिति हो। कई ज़िले ऐसे हैं जहां प्रवासी लोगों की वजह से उनके संपर्क में आने वाले उनके परिजन या फिर अन्य लोगों में भी संक्रमण फैला है।

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, "अब तक मुश्किल से साढ़े तीन लाख लोगों की जांच की गई है जबकि 25 लाख से ज़्यादा तो प्रवासी ही आ चुके हैं। ऐसे में यह कहना बहुत मुश्किल है कि गांवों में जो प्रवासी आए हैं उनमें से सभी सरकार के राडार पर हैं।"

क्वारंटीन केंद्रों की हालत ख़राब
बताया जा रहा है कि श्रमिक ट्रेनों, सरकारी बसों और अन्य वैध साधनों से आने वाले प्रवासी मज़दूरों की संख्या से कहीं ज़्यादा ऐसे लोग हैं जो विभिन्न तरीक़ों से अपने आप ही अन्य राज्यों से चले आए। इनमें से कुछ तो क्वारंटीन सेंटरों में गए लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जो सीधे तौर पर अपने घरों और गांवों में पहुंच गए।
 
इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनका न तो कहीं परीक्षण हुआ और न ही ये किसी तरह से क्वारंटीन में रहे।
जानकारों के मुताबिक़, यदि ऐसे लोगों में संक्रमण हुआ तो निश्चित तौर पर यह संक्रमण अन्य लोगों तक भी आसानी से पहुंच सकता है क्योंकि आने वाले ज़्यादातर प्रवासी मुंबई, दिल्ली और गुजरात से हैं जहां संक्रमण की संख्या सबसे ज़्यादा है।

यही नहीं, प्रवासी मज़दूरों को क्वारंटीन करने में न सिर्फ शासन-प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है बल्कि क्वारंटीन सेंटर्स की स्थिति भी इस तरह की है कि वहां से लोग भाग रहे हैं। राज्य के तमाम जगहों से आए दिन क्वारंटीन सेंटरों से लोगों के भागने या फिर अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायतें करने की ख़बरें आती रहती हैं।
नियमों के पालन में कमी

लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं, "ग्रामीण स्तर पर लोग सरकारी स्कूलों में बने क्वारंटीन सेंटरों में रह भले ही रहे हैं लेकिन किसी तरह का नियमों का पालन नहीं हो रहा है। कोई बाग़ में रह रहा है और वहीं लोग बैठकर ताश खेल रहे हैं तो कोई स्कूल इत्यादि में बने क्वारंटीन सेंटर में रहते हुए भी दिनभर गांव में घूमता रहता है। सोशल डिस्टैंसिंग जैसी कोई चीज़ नहीं है।"

पिछले दिनों एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के आंकड़ों के मुताबिक़ यूपी में विभिन्न राज्यों से आए प्रवासियों में संक्रमण की दर बहुत कम है। इसके तहत 74,237 प्रवासियों का परीक्षण किया गया जिसमें सिर्फ़ 2404 लोग ही कोरोना पॉज़िटिव आए हैं। यह आंकड़ा क़रीब तीन फ़ीसद है।

जानकारों का कहना है कि इससे इन संभावनाओं को बल मिलता है कि प्रवासी संक्रमण लेकर नहीं आए बल्कि वो ख़ुद इसलिए संक्रमित हुए क्योंकि वो किन्हीं न किन्हीं वजहों से विदेशों से आने वाले लोगों के संपर्क में आए।

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