चीन में अविवाहित युवतियों के बीच एक नया चलन देखने को मिल रहा है। वे अपने अंडाणु को विदेशों में फ़्रीज़ करवा रही हैं। ये लड़कियां अपने करियर पर ध्यान देना चाहती हैं और शादी, बच्चे के बंधन में नहीं बंधना चाहतीं। ये महिलाएं मध्यवर्ग की हैं और पढ़ी-लिखी हैं। चीनी समाज में तेज़ी से आ रहे बदलाव का यह एक प्रमाण है। ज़िंदगी अकेले गुज़ारने का चलन पूरी दुनिया में बढ़ रहा है और चीन इससे अछूता नहीं है। चीन में कामकाजी महिलाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ी है जो अपने करियर के प्रति समर्पित हैं और फ़िलहाल शादी नहीं करना चाहतीं।
आर्थिक आज़ादी ने बदली प्रवृत्ति
ऐसे में चीन की कामकाज़ी महिलाएं अपना अंडाणु विदेशों में सुरक्षित रखना चाहती हैं। बीजिंग में रहने वाली 40 साल की एक महिला कहती हैं, "मैंने यह तय नहीं किया है कि भविष्य में मुझे बच्चे चाहिए या नहीं। मैं अपना अंडाणु सुरक्षित रख रही हूं। मैं इसे फ़्रीज़ करने का खर्च वहन कर सकती हूं। इससे भविष्य में मेरे लिए विकल्प खुले रहेंगे।" इस महिला ने जनवरी महीने में अपने अंडाणु लॉस एंजिल्स में सुरक्षित किया है।
चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्था ने वहां की महिलाओं को आर्थिक आज़ादी दी है। उन्हें पैसे कमाने की छूट है। वे अपने मन का करियर चुन सकती हैं। यह महिलाओं की पहली पीढ़ी है जो इस तरह की आर्थिक आज़ादी का अनुभव ले रही है। ऐसे में ये महिलाएं अब इस आज़ादी का पूरा आनंद लेना चाहती हैं। वो आगे बताती हैं, "मैं अपने जीवन को ख़ुद नियंत्रित कर सकती हूं और इस आज़ादी से काफ़ी ख़ुश हूं।"
भविष्य का है ख़्याल
ऐसी महिलाओं के लिए अंडाणु सुरक्षित रखना एक बीमे की तरह है। वे इसका इस्तेमाल भविष्य में करेंगी या नहीं, यह निश्चित नहीं है, लेकिन यह भविष्य में उनके मां बनने के सपनों को पूरा कर सकता है। 26 साल की जिया अकेले जी रही हैं। उनका कोई बॉयफ़्रेंड भी नहीं है, लेकिन वो अपने अंडाणु को सुरक्षित रखने की योजना बना रही हैं। अगले दो से तीन साल में वह ऐसा करेंगी।
जिया कहती हैं, "अगर मेरा ब्यॉयफ़्रेंड भी होता तो भी मैं अपना अंडाणु सुरक्षित रखती। मैं 30 साल से पहले शादी नहीं करना चाहती।" वह अमरीका में पीएचडी कर रही हैं। वो कहती हैं, "करियर जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मुझे अपनी आमदनी बढ़ानी होगी...एक दिन मैं किसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाऊंगी।"
देश में अंडाणु सुरक्षित रखने पर प्रतिबंध
40 साल की झांग बताती हैं कि उन्होंने ताइवान में पिछले दो सालों में कई बार अपना अंडाणु फ़्रीज़ करवाया है। वो कहती हैं, "आज एक अच्छा लाइफ़ पार्टनर ढूंढना मुश्किल हो गया है। पुरुष कम उम्र की लड़कियां चाहते हैं ताकि उनके बच्चे हो सकें।"
"मेरे मां-पिता के समय में ऐसी आर्थिक आज़ादी नहीं थी। उन्हें घर भी ख़रीदने की ज़रूरत नहीं थी क्योंकि उन्हें उनके नियोक्ता के द्वारा घर दिया जाता था। उस समय जीवनसाथी ढूंढते वक़्त उनकी पढ़ाई-लिखाई तक नहीं देखी जाती थी।" झांग कहती हैं कि वो चीन में अपने अंडे सुरक्षित नहीं रख सकतीं, इसलिए वह विदेशों में ऐसा कर रही हैं।
ऐसी ही एक युवती का कहना है कि उन्होंने अपना अंडाणु लॉस एंजिल्स में फ़्रीज़ कराया है। वो कहती हैं, "मैंने ऐसा इसलिए किया है ताकि अपने मां-बाप को दिखा सकूं कि भविष्य में मैं मां बन सकती हूं।''
अंतरराष्ट्रीयबाज़ार की है नज़र
मनमेन 31 साल की हैं और एक फ़ोटोग्राफी स्टूडियो चलाती हैं।विदेशों में अंडाणु सुरक्षित रखने वाली महिलाओं की संख्या कितनी है इसका पता लगाना मुश्किल है। सोशल मीडिया पर यह एक मुद्दा बन चुका है। वीचैट मैसेजिंग ऐप पर एक ऐसा ग्रुप है जो ऐसी महिलाओं की मदद कर रहा है।
ग्रुप में अविवाहित महिलाओं के मां बनने के अन्य उपायों को बारे में बताया जा रहा है। निजी एजेंसियां और क्लिनिक चीन के प्रजनन बाज़ार की ताक़त को भांप चुके हैं। फ़र्टिलिटी एंड सर्जिकल असोसिएट्स ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के मुख्य संचालक पदाधिकारी सैम्मी कॉक कहते हैं, "प्रजनन का व्यापार बढ़ रहा है।"
कॉक के अनुसार लगभग 25 चीनी महिलाएं हर साल उनके संस्थान में अंडाणु सुरक्षित करवाती हैं और इनकी संख्या बढ़ ही रही है। कितना ख़र्च आता है। कैलिफ़ोर्निया के अलावा ताइवान और कंबोडिया में भी ऐसा किया जा रहा है। अमरीका में अंडे सुरक्षित करवाने में 15 से 20 हज़ार डॉलर खर्च होते हैं।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के नियमों के अनुसार चीन में अविवाहित महिलाएं अपने अंडे सुरक्षित नहीं रख सकती हैं। शादीशुदा महिलाओं के लिए अंडे सुरक्षित करवाना आसान काम नहीं है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक चीन की शादीशुदा महिलाएं दो ही स्थिति में अपना अंडाणु सुरक्षित रख सकती हैं। पहला, अगर वह बांझपन से जूझ रही हैं और दूसरे, अगर वह कैंसर की मरीज़ हैं।
पुरुषों के मामले में नियम बिल्कुल उलट है। उन्हें अपने शुक्राणु सुरक्षित रखने की आज़ादी है। इसके लिए उनका शादीशुदा होना ज़रूरी भी नहीं है। महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली कार्यकर्ता सियो मेली कहती हैं, "यह अविवाहित महिलाओं को मां बनने से रोकने जैसा है। पुरुषों पर पाबंदी नहीं है। यह सरकार की पुरुषवादी मानसिकता को दर्शाता है।"