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कोरोना : क्या ये दवा वायरस को ख़त्म कर सकती है?

हमें फॉलो करें कोरोना : क्या ये दवा वायरस को ख़त्म कर सकती है?
, बुधवार, 18 मार्च 2020 (18:20 IST)
- मोहर सिंह मीणा
राजस्थान की राजधानी जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल (एसएमएस) कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों के इलाज को लेकर चर्चा में है। दरअसल इस अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव 3 मरीज़ों को रेट्रोवायरल ड्रग के ज़रिए ठीक किया गया है। इनमें से 2 इटली से जयपुर आए हैं और एक जयपुर का ही रहने वाला है।

जयपुर के निवासी जिनमें कोरोना संक्रमण पाया गया, उनकी उम्र 85 साल बताई जा रही है। अस्पताल का दावा है कि इलाज के बाद इन मरीज़ों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है। लेकिन इन्हें फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में आइसोलेशन में ही रखा जाएगा। बीबीसी से बातचीत में एसएमएस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा ने ऐसा दावा किया।
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नया ड्रग कैसे काम करता है? : दरअसल कोरोना वायरस (Corona virus) बिलकुल नई बीमारी है। कोरोना वायरस और एचआईवी वायरस का एक जैसा मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर होने के कारण मरीज़ों को ये एंटी ड्रग दिए गए हैं। एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर (LOPINAVIR) और रिटोनाविर (RITONAVIR) एंटी ड्रग देने का फ़ैसला वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम ने लिया। इसे रेट्रोवायरल ड्रग भी कहा जाता है।

इस टीम में शामिल डॉक्टर सुधीर के मुताबिक़, SARS के मरीज़ों में भी इस ड्रग का इस्तेमाल पहले किया जा चुका है। कोरोना वायरस भी एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है। कोरोना का वायरस इसी परिवार का वायरस है जो म्यूटेशन से बना है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसके लिए बाक़ायदा गाइडलाइन जारी कर कहा है कि किन मरीज़ों पर इस ड्रग का इस्तेमाल किया जा सकता है।

सवाई मानसिंह अस्पताल में आईसीएमआर गाइडलाइन के तहत इस ड्रग का इस्तेमाल किया गया है। डॉ. मीणा के मुताबिक़ गाइडलाइन में साफ़ कहा गया है कि 'कॉमप्रोमाइज्ड'मरीज़ों में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। 'कॉमप्रोमाइज्ड' मरीज़ कौन होते हैं?

इसकी परिभाषा बताते हुए डॉ. मीणा ने कहा, ऐसे मरीज़ जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है और साथ में उन्हें डायबिटीज हो, दिल की बीमारी हो। उन्हीं में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कम उम्र वाले लोग जिन्हें बाक़ी किसी दूसरी तरह की परेशानी नहीं होती उन पर इस ड्रग का इस्तेमाल फ़िलहाल नहीं किया जा रहा है। राजस्थान में कोरोना के 4 मरीज़ों में 3 इसी तरह के 'कॉमप्रोमाइज्ड' मरीज़ हैं।

कोरोना वायरस पॉजिटिव से नेगेटिव हुए मरीज़ों के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम का गठन किया गया है। इनकी निगरानी में ही आगे का इलाज जारी रखा गया है। नए ड्रग के इस्तेमाल के बाद इटली निवासी महिला और जयपुर निवासी बुजुर्ग हालांकि कोरोना से तो नेगेटिव हैं। लेकिन लंग्स, डायबिटीज, हायपरटेंशन की दिक्कत उनमें अभी भी है। राजस्थान का चौथा मरीज़ कम उम्र का है, इसलिए शुरुआत में उन पर इस ड्रग का इस्तेमाल नहीं किया गया था।

बीबीसी से बातचीत में डॉ. मीणा ने बताया कि मंगलवार से उस मरीज़ को भी ये रेट्रोवायरल ड्रग दिया गया है। आईसीएमआर की गाइडलाइन और डॉक्टरों की विशेष टीम की सलाह पर ही ये फ़ैसला किया गया। बीबीसी से बातचीत में अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान रोहित कुमार सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है। रोहित का कहना है कि एंटी वायरल ड्रग को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इन एंटी ड्रग के इस्तेमाल करने से पहले एक पूरी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।

कहां-कहां हो रहा है इसका इस्तेमाल : सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉ. सुधीर भंडारी उस टीम के सदस्य रहे हैं। बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत से पहले चीन और अमेरिका में भी इसका इस्तेमाल हो चुका है। इसलिए ये सच नहीं है कि भारत ने सबसे पहले इस तरह के ड्रग का इस्तेमाल कोरोना के इलाज के लिए किया है। इतना ज़रूर सही है कि जयपुर में मरीज़ों के ठीक होने के बाद से सवाई मानसिंह अस्पताल को दूसरे देशों से इस बारे में फोन ज़रूर आ रहे हैं।

डॉ. मीणा का दावा है कि उन्हें पाकिस्तान, बांगलादेश और इटली तक से इस नई इलाज तकनीक के विषय में फोन आए हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी कुछ मरीज़ों पर भी इसकी अनुमति अब दी जा चुकी है। लेकिन देश के बाक़ी राज्यों में इसका इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा है? इस सवाल के जवाब में डॉ. सुधीर कई कारण गिना रहे हैं। सबसे पहला कारण वे बताते हैं कि इसका इस्तेमाल केवल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में ही किया जा सकता है, दूसरा इस ड्रग का इस्तेमाल किन पर होना है, इसके भी सख़्त निर्देश हैं।

कितना सफल है इलाज का ये तरीक़ा : तीसरी वजह ये है कि कोरोना वायरस नए तरह का वायरस है और इस ड्रग के सभी चरणों के क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुए हैं। इस ड्रग को कोरोना के इलाज में कितना सफल माना जा सकता है?

इस सवाल के जवाब में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव के मुताबिक़ 4 लोगों पर ड्रग का ट्रायल करके हम इस पर कोई डेटा नहीं निकल सकते। यही सवाल केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से रेट्रोवायरल ड्रग के इस्तेमाल पर राज्यसभा में सवाल पूछा गया।

जवाब में उन्होंने कहा, आईसीएमआर के वैज्ञानिक विश्वभर में कोरोना के इलाज को लेकर जो भी काम हो रहा है, उस पर नज़र बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों की जांच के बाद कुछ मरीज़ों पर रेट्रोवायरल दवाइयां दी जा रही हैं।

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